राज्यसभा को स्थाई सदन क्यों कहा जाता है ?

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राज्यसभा सदन को स्थाई सदन क्यों कहा जाता है ?
राज्यसभा सदन को स्थाई सदन क्यों कहा जाता है ?

राज्यसभा सदन को स्थाई सदन क्यों कहा जाता है ? ( Why is the Rajya Sabha called a permanent house? )

भारत एक लोकतांत्रिक देश है. जहां पर लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि सरकार चलाते हैं. इनमें से कुछ प्रतिनिधि प्रत्यक्ष तौर पर चुने जाते हैं. कुछ अप्रत्यक्ष तौर पर चुने जाते हैं. भारत सरकार की बात करें, तो इसके 2 सदन होते हैं. एक राज्यसभा होती है. जिसको हम उच्च सदन या स्थाई सदन भी कहते हैं. इसके अलावा दूसरा सदन लोकसभा होती है. इसे हम निम्न सदन या अस्थाई सदन भी कहते हैं. भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली में इनका इतना महत्व होने के कारण लोगों के मन में इनके प्रति बहुत जिज्ञासा रहती है. इसी कारण आमतौर पर लोगों के मन में सवाल होता है कि राज्यसभा सदन को स्थाई सदन क्यों कहा जाता है ? अगर आपके मन में भी ऐसा ही सवाल है, तो इस पोस्ट में इसी सवाल का जवाब जानते हैं.

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राज्यसभा

राज्यसभा सदन को स्थाई सदन क्यों कहते हैं –

दरअसल, लोकसभा के सदस्यों को 5 वर्ष के लिए चुना जाता है. इस समय के बीच में भी लोकसभा को भंग किया जा सकता है. लेकिन जहां तक राज्यसभा की बात है. इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है. इसके सभी सदस्यों का चुनाव एक साथ नहीं किया जाता है. उदाहरण के तौर पर समझे तो- मान लिजिए राज्यसभा के सदस्यों की कुल संख्या 6 है. ऐसे में 2 वर्ष के बाद इसके एक तिहाई यानि की 2 सदस्य नए नियुक्त होते हैं तथा जिनके 6 वर्ष हो गए हैं. उन सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो जाता है. इसके बाद अगले वर्ष जिन सदस्यों के 6 वर्ष पूरे हो जाते हैं, उन एक तिहाई यानि 2 सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो जाता है तथा नए 2 सदस्य नियुक्त किए जाते हैं. इस तरह यह सदन कभी भी भंग नहीं होता है क्योंकि इसके सदस्यों का कार्यकाल एक साथ पूरा नहीं होता है. इसी कारण इसको स्थाई सदन कहा जाता है.

Rajya Sabha Elections -
राज्यसभा

राज्यसभा के सदस्यों की चुनाव की बात करें, तो इनका चुनाव अप्रत्यक्ष तौर पर होता है. राज्‍यसभा की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, ‘राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधियों का निर्वाचन अप्रत्यक्ष निर्वाचन पद्धति के जरिए किया जाता है. हर राज्‍य और दो केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों को वहां के विधायक और केंद्रशासित प्रदेश के इलेक्‍टोरल कॉलेज के सदस्‍य मिलकर चुनते है. राज्‍यसभा चुनाव प्रपोशनल रीप्रजेंटेशन सिस्‍टम के हिसाब से होता है जिसमें सिंगल वोट ट्रांसफरेबल होता है.’ लेकिन अगर इसको साधारण भाषा में समझने की कोशिश करें, तो इसमें जीत इस बात पर निर्भर करती है कि आपके राज्य में विधानसभा की तथा राज्यसभा की कितनी सीट हैं. इसके चुनाव के लिए ( जीत = कुल वोट/(राज्‍यसभा सीटों की संख्‍या+1)+1 ) इन नियम को अपनाना पड़ता है. मान लो किसी राज्य में कुल वोट 90 ( जो राज्यसभा के लिए मतदान करते हैं ) हैं तथा राज्यसभा की 4 सीटें हैं. ऐसे में राज्यसभा की 4 सीटों में 1 जो़डने पर 5 बनता है. इसके बाद 90 को 5 से भाग करते हैं. अब जो हमें 18 उत्तर मिला है, इसमें 1 जोड देते हैं. इस राज्य में जीत हासिल करने के लिए 19 वोटों की आवश्यकता होती है. इसके साथ ही राज्यसभा की वोट डालते समय वरियता के हिसाब से वोट दिए जाते हैं. जैसे पहली पसंद कौन तथा दूसरी पंसद कौन है. इसके साथ ही 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत कर सकता है. जिन्होंने अपने क्षेत्र में कोई विशेष योगदान दिया हो.

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वर्तमान समय में राज्यसभा की सीटों की बात करें, तो वर्तमान समय में 250 सीटे हैं. जिनमें से 238 सदस्यों के लिए अप्रत्यक्ष तौर पर चुनाव होता है. बाकि 12 सदस्य को राष्ट्रपति अपनी इच्छा से मनोनीत कर सकता है. राष्ट्रपति उनको मनोनित करता है, जिन्होंने अपने क्षेत्र में कुछ विशेष योगदान दिया हो. जैसे – वो कोई कलाकार हो सकता है या फिर कोई खिलाड़ी इत्यादी.

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