राशन कार्ड और आधार कार्ड में नाम मिलने पर ही मिलेगा राशन

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राशन कार्ड में आधार कार्ड के नंबर बदलकर राशन घोटाले के बाद अब शासन ने नई व्यवस्था के तहत तकनीकी सुधार किए हैं। अब किसी भी नाम के आधार कार्ड को राशन कार्ड में फीड नहीं किया जा सकेगा। नाम का मिलान होने पर ही लिंक किया जा सकेगा। संशोधन के नाम पर भी बदला नहीं जा सकेगा।

RASAHAN WILL BE PROVIDED ON AADHAR AND RASHAN CARD BEHALF 1 news4social -

राजधानी में राशन घोटाले के तहत एक ही आधार कार्ड को एक से अधिक राशन कार्ड से लिंक करके बायोमैट्रिक मशीन से घोटाला किया था। हर माह राशन को हड़पा जा रहा था। घोटाला पकड़े जाने के बाद अब शासन ने राशन कार्ड और आधार कार्ड में एक नाम मिलने पर ही लिंक कराए हैं। जिन राशन कार्ड के नाम नहीं मिल रहे हैं, उनको पुन: संशोधन कराया है। यह काम 87 फीसदी पूरा हो चुका है, ऐसा प्रशासन क दावा है। अब किसी भी व्यक्ति के राशन कार्ड पर दूसरे के आधार कार्ड को लिंक नहीं किया जा सकेगा। वहीं राशन डीलर की बायोमैट्रिक मशीन को भी दुकान से 10 मीटर से अधिक दूरी पर नहीं ले जाया जा सकेगा। दूर जाने पर मशीन काम नहीं रहेगी। मशीन को दुकान पर ही रखना है। किसी भी राशन कार्ड के डाटा के संशोधन की जिम्मेदारी पूर्ति अधिकारी की होगी। उसके नाम से ही पासवर्ड जारी किए गए हैं। वहीं ग्रामीण इलाकों की दुकानों पर भी मशीनें लगाई जा चुकी हैं। जिला पूर्ति अधिकारी मे. आमिर ने बताया कि राशन में हेराफेरी रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। इसके बाद भी सतर्कता बरती जाएगी।

छेड़छाड़ की तो होगी जेल

ई-पॉश मशीन के साथ छेड़छाड़ की तो अब जेल जाओगे। सूबे में राशन घोटाले के खुलासे के बाद इन मशीनों को अब रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन सिस्टम से अटैच कर दिया है। एक माइक्रो चिप इंस्टाल करके मशीन के डाटा को मुख्यालय के सर्वर से अटैच कर दिया जाएगा, ताकि छेड़छाड़ की स्थिति में संबंधित मशीन का मैसेज सप्लाई जिला पूर्ति कार्यालय को दिया जा सके। यह मशीन मोबाइल की तरह काम करेगी।

मशीनों की होगी जियो टैगिंग

सूबे के 43 जनपदों में गत दिनों स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम एसआईटी ने राशन घोटाला पकड़ा था। सर्वाधिक केस इलाहाबाद के पकड़ में आए थे तो वहीं मेरठ में भी 220 व राजधानी लखनऊ में 46 से अधिक सरकारी राशन की दुकानों का लाइसेंस रद करते हुए इनके खिलाफ  मुकदमा दर्ज कराया गया था। फर्जी आधार नंबर से हो रहे राशन घोटाले में विभाग के दामन पर भी छींटे पड़े तो वहीं कई पूर्व अधिकारियों की भूमिका जांच के दायरे में हैं। ऐसे में पूर्ति विभाग अब ई-पॉश मशीनों की जियो टैगिंग करा रहा है, जिसके बाद मशीनों को तय क्षेत्र से बाहर ले जाने पर एडमिनिस्ट्रेटर और सर्विस प्रोवाइडर के पास अलर्ट आ जाएगा।

कोट-

ई-पॉश मशीन के साथ सरकारी राशन विक्रेता अब छेड़छाड़ नहीं कर सकता है। जियो टैगिंग होने के बाद न सिर्फ  मशीन की लोकेशन सर्वर पर होगी बल्कि मशीन के साथ छेड़छाड़ को आरएफआईडी के जरिए पकड़ लिया जाएगा। मो. आमिर, डीएसओ