RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया यूएस में क्यों आया बैंकिंग संकट, कहा-भारतीय बैंकों के बिजनस मॉडल पर है नजर
नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा कि सेंट्रल बैंक घरेलू बैंकों के ‘बिजनेस मॉडल’ पर करीब नजर रखे हुए है, क्योंकि गलत स्ट्रैटजी से एक बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। दास ने अमेरिका में हाल की घटनाओं के लिए खराब कारोबारी मॉडल को भी एक वजह बताते हुए कहा कि भारत का बैंकिंग सिस्टम मजबूत बना हुआ है और ग्लोबल घटनाक्रमों का इस पर बुरा असर देखने को नहीं मिला। उनका यह बयान सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने के कुछ समय बाद आया है। गौरतलब है कि इस घटनाक्रम से अमेरिका और यूरोप के वित्तीय क्षेत्र में संकट की स्थिति पैदा हो गई है।
दास ने कहा कि अमेरिका के हाल के घटनाक्रमों से यह सवाल खड़ा हुआ है कि क्या व्यक्तिगत बैंकों का बिजनेस मॉडल सही था। उन्होंने कहा, ‘रिजर्व बैंक ने अब बैंकों के कारोबारी मॉडल पर नजदीकी निगाह रखनी शुरू की है। इनमें किसी तरह की खामी से संकट पैदा हो सकता है।’ बिजनेस मॉडल कई बार बैंक के बही-खाते के कुछ हिस्सों के लिए जोखिम पैदा कर सकता है, जो बाद में एक बड़ा संकट बन सकता है।
भारत का फाइनेंशल सिस्टम मजबूत
रिजर्व बैंक प्रमोटेड ‘कॉलेज ऑफ सुपरवाइजर्स’ की ओर से वित्तीय क्षेत्र की मजबूती पर एक ग्लोबल सम्मेलन को संबोधित करते हुए दास ने कहा, ‘भारत का फाइनेंशल सिस्टम मजबूत बना हुआ है और कुछ आधुनिक इकॉनमी में वित्तीय अस्थिरता का इस पर बुरा असर नहीं पड़ा है।’ उन्होंने बैंकों के मैनेजमेंट और बोर्ड से नियमित रूप से फाइनेंशल रिस्क का आकलन करने और पर्याप्त फंड और लिक्विडिटी ‘बफर’ बनाने पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा कि बैंकों की लगातार मजबूती और सस्टनेबल ग्रोथ के लिए यह मिनिमम रेगुलेशन जरूरत से ज्यादा होना चाहिए।
बैड लोन घटकर 4.41% पर
गवर्नर ने कहा कि भारतीय बैकों ने हाल के समय में दबाव और कैपिटल बफर के मोर्चे पर सुधार दर्ज किया है। बैंकों का ग्रॉस नॉन पर्फोमिंग असेट रेशो (NPA) दिसंबर, 2022 में घटकर 4.41% पर आ गया जो मार्च, 2022 में 5.8% और 31 मार्च, 2021 को 7.3% था। दास ने कहा कि क्रेडिट रिस्क के लिए मैक्रो स्ट्रेस टेस्ट का अर्थ है कि भारतीय बैंक गंभीर तनाव की स्थिति में भी मिनिमम कैपिटल रिक्वायरमेंट का अनुपालन करने में सक्षम होंगे।
साइबर खतरों से किया आगाह
गवर्नर शक्तिकांत दास ने साइबर रिस्क और साइबर अटैक को लेकर भी आगाह किया। उन्होंने कहा कि साइबर रिस्क को ग्लोबल फाइनैंशल संस्थाओं के लिए 2023 में टॉप 10 ऑपरेशनल रिस्क के तौर पर देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि मजबूत IT और इन्फॉरमेशन सिक्योरिटी गवर्नेंस से ऐसे जोखिमों का पता पहले से लगाया जा सकेगा। बैंकों के रिसोर्सेज में बैंकों में पैसा जमा करने वाले डिपॉजिटर्स का सबसे बड़ा हिस्सा है, उनका ख्याल रखना सबसे अहम है।
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दास ने कहा कि अमेरिका के हाल के घटनाक्रमों से यह सवाल खड़ा हुआ है कि क्या व्यक्तिगत बैंकों का बिजनेस मॉडल सही था। उन्होंने कहा, ‘रिजर्व बैंक ने अब बैंकों के कारोबारी मॉडल पर नजदीकी निगाह रखनी शुरू की है। इनमें किसी तरह की खामी से संकट पैदा हो सकता है।’ बिजनेस मॉडल कई बार बैंक के बही-खाते के कुछ हिस्सों के लिए जोखिम पैदा कर सकता है, जो बाद में एक बड़ा संकट बन सकता है।
भारत का फाइनेंशल सिस्टम मजबूत
रिजर्व बैंक प्रमोटेड ‘कॉलेज ऑफ सुपरवाइजर्स’ की ओर से वित्तीय क्षेत्र की मजबूती पर एक ग्लोबल सम्मेलन को संबोधित करते हुए दास ने कहा, ‘भारत का फाइनेंशल सिस्टम मजबूत बना हुआ है और कुछ आधुनिक इकॉनमी में वित्तीय अस्थिरता का इस पर बुरा असर नहीं पड़ा है।’ उन्होंने बैंकों के मैनेजमेंट और बोर्ड से नियमित रूप से फाइनेंशल रिस्क का आकलन करने और पर्याप्त फंड और लिक्विडिटी ‘बफर’ बनाने पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा कि बैंकों की लगातार मजबूती और सस्टनेबल ग्रोथ के लिए यह मिनिमम रेगुलेशन जरूरत से ज्यादा होना चाहिए।
बैड लोन घटकर 4.41% पर
गवर्नर ने कहा कि भारतीय बैकों ने हाल के समय में दबाव और कैपिटल बफर के मोर्चे पर सुधार दर्ज किया है। बैंकों का ग्रॉस नॉन पर्फोमिंग असेट रेशो (NPA) दिसंबर, 2022 में घटकर 4.41% पर आ गया जो मार्च, 2022 में 5.8% और 31 मार्च, 2021 को 7.3% था। दास ने कहा कि क्रेडिट रिस्क के लिए मैक्रो स्ट्रेस टेस्ट का अर्थ है कि भारतीय बैंक गंभीर तनाव की स्थिति में भी मिनिमम कैपिटल रिक्वायरमेंट का अनुपालन करने में सक्षम होंगे।
साइबर खतरों से किया आगाह
गवर्नर शक्तिकांत दास ने साइबर रिस्क और साइबर अटैक को लेकर भी आगाह किया। उन्होंने कहा कि साइबर रिस्क को ग्लोबल फाइनैंशल संस्थाओं के लिए 2023 में टॉप 10 ऑपरेशनल रिस्क के तौर पर देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि मजबूत IT और इन्फॉरमेशन सिक्योरिटी गवर्नेंस से ऐसे जोखिमों का पता पहले से लगाया जा सकेगा। बैंकों के रिसोर्सेज में बैंकों में पैसा जमा करने वाले डिपॉजिटर्स का सबसे बड़ा हिस्सा है, उनका ख्याल रखना सबसे अहम है।
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