कल देशभर में एससी/एसटी एक्ट को लेकर हिंसक आन्दोलन हुआ. दलित समुदाय ने हिंसा और अराजकता के बल पर कोर्ट का फैसला बदलने की कोशिश की. लेकिन कोर्ट अपने फैसले पर अडिग है. दलित समुदाय के इस रवैये ने आरक्षण नीती पर सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या सिर्फ चुनिंदा मामलों में नही बल्कि हर जगह आरक्षण होना चाहिए. बॉर्डर पर खड़े होने के लिए आरक्षण से बँटवारा होना चाहिए?
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