School Fee Increase: प्रदेश में स्कूलों ने बढ़ा दिया 30 फीसदी फीस, जानिए फीस पर क्या है स्कूलों का खेल | Uttar Pradesh Schools Increased Fees Maximum 30 percent | Patrika News
Uttar Pradesh School Update: हाल ही में सरकार ने स्कूलों को पांच फीसदी फीस बढ़ाने की अनुमति दी। लेकिन कुछ स्कूलों ने मनचाही 30 फीसदी तक फीस बढ़ा डाली। इतना ही नहीं फीस के चक्कर एक-एक महीने का शेड्यूल जारी कर खेल कर रहे।
लखनऊ
Updated: April 14, 2022 10:39:07 am
शासन के आदेश को दरकिनार करते हुए प्रदेश के कई प्राइवेट स्कूलों ने 30 फीसदी तक फीस में वृद्धि कर दी है। शासनादेश में शर्तों के साथ सिर्फ पांच फीसदी शुल्क बढ़ाने के आदेश थे। अहम बात है कि इस खेल को पकड़ा न जाए, इसके लिए किसी ने एक तो किसी ने दो माह की फीस का शेड्यूल जारी किया है। आमतौर पर स्कूल तिमाही शुल्क लेते हैं। जो शासनादेश जारी किया गया उसमें सत्र 2019-20 को आधार मानते हुए डीए आधारित पांच फीसदी फीस बढ़ाने की अनुमति दी गई थी। अधिक शुल्क वृद्धि पर अभिभावकों ने नाराजगी जतानी शुरू कर दी है।
Uttar Pradesh Schools Increased Fees Maximum 30 percent
स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के प्रभारी कृष्ण कुमार दुबे के मुताबिक कानपुर, उन्नाव, लखनऊ और फतेहपुर समेत कई जिलों में कुछ स्कूलों ने मनचाही फीस बढ़ाने की शिकायतें मिली है। 30 फीसदी तक वृद्धि की पोल न खुले इसके लिए स्कूलों ने फिलहाल बिना मद बताए एक माह की फीस मांगी गई है। कुछ स्कूलों ने दो-दो माह की फीस मांगी है, जिसमें शासनादेश का हवाला दिया गया है। पर आदेश के अनुसार पांच फीसदी से कहीं ज्यादा फीस मांगी है। एक स्कूल ने नोटिस में ही लिखा है कि शासनादेश के अनुसार दस फीसदी फीस बढ़ाई जा रही है। फीस वृद्धि पांच प्रतिशत ही करने का आदेश है। बता दें 30 फीसदी फीस बढ़ाने वाले ज्यादातर छोटे विद्यालय हैं, जिनका शुल्क धनराशि के हिसाब से कम था।
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पिछले आदेश भी नहीं माने कई स्कूल ऐसे हैं जो सत्र 2020-21 और 2021-22 में बिजली जैसी मदों में धनराशि लेते रहे हैं। इस पर शासन ने पूरी तरह रोक लगाई थी। स्कूलों को उन सभी मदों में फीस नहीं लेनी थी जिसका कोराना काल के दौरान कोई उपयोग नहीं था जैसे बिजली, कन्वेंस और खेलकूद आदि। स्कूल इस शुल्क को समायोजित भी नहीं करना चाहते हैं।
फीस का आगे करना होगा समायोजन यदि किसी स्कूल ने शासनादेश से पहले शुल्क ले लिया है और वह पांच फीसदी से अधिक है तो उसे आगे समायोजित करना होगा। कई स्कूलों ने बिना बिल बुक दिए शुल्क के नाम पर धनराशि पहले ही जमा करा ली थी। कई ने प्रवेश के समय ही अतिरिक्त फीस ले ली है।
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ऐसे बढ़ाई जा सकती है फीस सत्र 2022-23 के लिए शासनादेश के अनुसार शुल्क वृद्धि नवीनतम उपलब्ध वार्षिक प्रतिशत बढ़े हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के साथ छात्रों से वसूल किए गए पांच प्रतिशत शुल्क से अधिक नहीं होगी। सत्र 2022-23 में वार्षिक फीस वृद्धि की गणना किए जाते समय वर्ष 2020-21 और 2021-22 में शुल्क वृद्धि की काल्पनिक गणना नहीं की जाएगी और न ही उसे फार्मूले में जोड़ा जाएगा।
अभिभावक यहां करें शिकायत स्कूल शुल्क वृद्धि में मनमानी करते हैं तो अभिभावक इसकी शिकायत डीआईओएस कार्यालय में कर सकते हैं। सुनवाई जिला शुल्क नियामक कमेटी करेगी। इसे उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) के तहत रखा गया है। शिकायत के लिए अभिभावक को सबसे पहले स्कूल को 15 दिन का नोटिस देना होगा। यदि स्कूल सुधार नहीं करता है तो जिला समिति से शिकायत की जाएगी। जिला समिति के निर्णय के बाद मंडल स्तरीय कमेटी सुनवाई कर निर्णय देती है।
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लखनऊ
Updated: April 14, 2022 10:39:07 am
शासन के आदेश को दरकिनार करते हुए प्रदेश के कई प्राइवेट स्कूलों ने 30 फीसदी तक फीस में वृद्धि कर दी है। शासनादेश में शर्तों के साथ सिर्फ पांच फीसदी शुल्क बढ़ाने के आदेश थे। अहम बात है कि इस खेल को पकड़ा न जाए, इसके लिए किसी ने एक तो किसी ने दो माह की फीस का शेड्यूल जारी किया है। आमतौर पर स्कूल तिमाही शुल्क लेते हैं। जो शासनादेश जारी किया गया उसमें सत्र 2019-20 को आधार मानते हुए डीए आधारित पांच फीसदी फीस बढ़ाने की अनुमति दी गई थी। अधिक शुल्क वृद्धि पर अभिभावकों ने नाराजगी जतानी शुरू कर दी है।
Uttar Pradesh Schools Increased Fees Maximum 30 percent
स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के प्रभारी कृष्ण कुमार दुबे के मुताबिक कानपुर, उन्नाव, लखनऊ और फतेहपुर समेत कई जिलों में कुछ स्कूलों ने मनचाही फीस बढ़ाने की शिकायतें मिली है। 30 फीसदी तक वृद्धि की पोल न खुले इसके लिए स्कूलों ने फिलहाल बिना मद बताए एक माह की फीस मांगी गई है। कुछ स्कूलों ने दो-दो माह की फीस मांगी है, जिसमें शासनादेश का हवाला दिया गया है। पर आदेश के अनुसार पांच फीसदी से कहीं ज्यादा फीस मांगी है। एक स्कूल ने नोटिस में ही लिखा है कि शासनादेश के अनुसार दस फीसदी फीस बढ़ाई जा रही है। फीस वृद्धि पांच प्रतिशत ही करने का आदेश है। बता दें 30 फीसदी फीस बढ़ाने वाले ज्यादातर छोटे विद्यालय हैं, जिनका शुल्क धनराशि के हिसाब से कम था।
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पिछले आदेश भी नहीं माने कई स्कूल ऐसे हैं जो सत्र 2020-21 और 2021-22 में बिजली जैसी मदों में धनराशि लेते रहे हैं। इस पर शासन ने पूरी तरह रोक लगाई थी। स्कूलों को उन सभी मदों में फीस नहीं लेनी थी जिसका कोराना काल के दौरान कोई उपयोग नहीं था जैसे बिजली, कन्वेंस और खेलकूद आदि। स्कूल इस शुल्क को समायोजित भी नहीं करना चाहते हैं।
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अभिभावक यहां करें शिकायत स्कूल शुल्क वृद्धि में मनमानी करते हैं तो अभिभावक इसकी शिकायत डीआईओएस कार्यालय में कर सकते हैं। सुनवाई जिला शुल्क नियामक कमेटी करेगी। इसे उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) के तहत रखा गया है। शिकायत के लिए अभिभावक को सबसे पहले स्कूल को 15 दिन का नोटिस देना होगा। यदि स्कूल सुधार नहीं करता है तो जिला समिति से शिकायत की जाएगी। जिला समिति के निर्णय के बाद मंडल स्तरीय कमेटी सुनवाई कर निर्णय देती है।
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