School Fees Issue: क्लास ऑनलाइन, बच्चे से मांग लिए खाने और एक्टिविटी के पैसे!

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School Fees Issue: क्लास ऑनलाइन, बच्चे से मांग लिए खाने और एक्टिविटी के पैसे!

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक प्रेप क्लास के बच्चे का नाम काटे जाने पर एक प्राइवेट स्कूल के प्रिंसिपल और चेयरपर्सन के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया है। बच्चे के पिता का आरोप है कि स्कूल की ओर से मील और एक्टिविटी चार्जिस(भोजन और गतिविधि शुल्क) की मांग को लेकर आपत्ति जताने पर उनके बच्चे के साथ ऐसा किया गया। उन्होंने स्कूल पर हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के इसी साल 31 मई के एक फैसले की अवमानना का आरोप लगाया और दावा किया कि यह स्कूल एनुअल स्कूल फीस में 15 पर्सेंट की छूट देने के आदेश तक का पालन नहीं कर रहा है।

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जस्टिस नजमी वजीरी ने दक्षिणी पीतमपुरा स्थित पी पी इंटरनेशनल स्कूल के प्रिंसिपल और चेयरमैन के साथ शिक्षा निदेशालय के शिक्षा निदेशक को भी अवमानना का नोटिस भेजा। कोर्ट ने स्कूल से कहा कि वह याचिकाकर्ता के बच्चे का दाखिला बहाल करे और 15 पर्सेंट की छूट देने के साथ फीस का नया बिल तैयार करे। कोर्ट ने साफ किया कि स्कूलों की ओर से किसी तरह की अवैध मांग नहीं होनी चाहिए, कोर्ट का मकसद सिर्फ यह तय करना है कि जो भी मांग हो, वह पूरी तरह उचित और वैध हो। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने याचिका पर सभी पक्षों को विस्तार से सुना। बच्चे के पिता की ओर से एडवोकेट शिखा शर्मा बग्गा और खगेश बी झा ने दलीलें रखीं। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता ने पिछले साल नर्सरी में इस स्कूल में अपने बेटे का दाखिला करवाया था और तिमाही(अप्रैल 2020 से जून 2020) की पूरी फीस दे दी जिसमें मील चार्ज, मेंटेनेंस चार्ज, एक्टिविटी चार्ज और कॉशन मनी भी शामिल थी। इसके बाद मार्च में पूरे देश में लॉकडाउन लग गया। स्कूलों में सभी तरह की फिजिकल एक्टिविटी रोक दी गई। अप्रैल में नए सत्र की शुरुआत ऑनलाइन क्लासेज के जरिए हुई।

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दिल्ली सरकार ने निजी मान्यता प्राप्त स्कूलों को आदेश दिया कि वे स्कूलों में शारीरिक मौजूदगी के साथ पढ़ाई शुरू होने तक स्टूडेंट्स से सिर्फ ट्यूशन फीस ही लें। याचिकाकर्ता के मुताबिक, इस आदेश को आधार बनाकर उन्होंने स्कूल से मांग की कि वे उनकी ओर से जमा कराई गई अतिरिक्त रकम लौटा दे या उसे एडजस्ट कर दे, पर ऐसा हुआ नहीं। हाई कोर्ट ने निजी स्कूलों के एक संघ की याचिका पर अपना फैसला सुनाया और उन्हें डिवेलप्मेंट चार्ज और एनुअल फीस लेने की इजाजत दे दी, पर 2020-21 के सेशन में कुल एनुअल स्कूल फीस में 15 पर्सेंट की छूट देने के साथ। साथ ही निर्देश दिया कि फीस या बकाया रकम का भुगतान न करने की वजह से किसी बच्चे को ऑनलाइन क्लास अटेंड करने या परीक्षा देने से न रोका जाए। स्कूल पर हाई कोर्ट के फैसले का उल्लंघन और मनमानी का आरोप लगाते हुए शर्मा ने कहा कि स्कूल न तो कोई छूट दे रहा है और पेरेंट्स को मनमाने चार्ज के भुगतान के लिए मजबूर औैर कर रहा है। याचिकाकर्ता के मुताबिक, इसका विरोध करने की वजह से पहले तो स्कूल ने इनके बच्चे की क्लास का लिंक ब्लॉक कर दिया और 26 जुलाई को उसका नाम ही स्कूल से काट दिया।

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सिंगल बेंच के संबंधित फैसले के खिलाफ पैरंट्स, एक एनजीओ और शिक्षा निदेशालय की अपील अभी हाई कोर्ट की दो जजों की बेंच के सामने पेंडिंग है। जस्टिस वजीरी ने प्रतिवादी स्कूल से सवाल करते हुए कहा कि ऐसी गतिविधियों के लिए शुल्कों की मांग क्यों की जा रही है, जो मौजूदा परिस्थितियों में हो ही नहीं रही । उन्होंने कहा कि किसी भी स्वीमिंग पूल में पानी नहीं है तो पूल एक्टिविटी कैसी? अपना पक्ष रखते हुए स्कूल ने याचिकाकर्ता पर आरोप लगाया कि उसने काउंटर ब्लास्ट के लिए मौजूदा याचिका दायर की है। स्कूल की ओर से पेश वकील ने कहा कि यह याचिका महज स्कूल को परेशान करने के मकसद से दायर की गई है। शिक्षा निदेशालय की ओर से दिल्ली सरकार के स्थाई अधिवक्ता संतोष के त्रिपाठी पेश हुए और स्कूल के बारे में कहा कि वह हाई कोर्ट के फैसले के बारे में यहां भ्रमित दावे कर रहा है।

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