एक खतरनाक इंटरनेट गेम को पूरा करने के लिए मुंबई में सोमवार को 9वीं में पढ़ने वाले 14 साल के मनप्रीत ने सांतवी मंजिल से कूदकर जान दे दी थी। भारत में ‘द ब्लू व्हेल गेम’ के जरिये खुदखुशी का ये पहला मामला है। दुनियाभर में इसका शिकार ज्यादातर किशोर हो रहे है। ऐसे में जरूरत है कि अभिभावक बच्चो कि आदत और व्यवहार पर नजर रखे।
क्या है यह खेल
‘द ब्लू व्हेल गेम’ या ‘द ब्लू व्हेल चेलेंज’ को एक सोशल मीडिया ग्रुप चला रहा है। इस खेल में खिलाड़ी को रोज टास्क दिए जाते है हर टास्क के बाद अपने हाथ पर एक कट लगाने के लिए कहा जाता है। इससे अंत में व्हेल मछली की आकृति उभरती है। आखिरी में 50वें दिन सुसाइड करना होता है।
ऐसे फंस जाते है
शुरुआत में जो टास्क मिलते है, वो खतरनाक नहीं होते है। इससे हाथ पर ब्लेड से कट लगाना, सुबह 4:30 बजे उठकर हॉरर वीडियो देखना आदि। लेकिन गेम में आगे बढ़ने पर ऊँची इमारत पर चढ़ने से लेकर नसें काटने जैसे टास्क मिलते है।
निर्माता है जेल में
रूस के फिलिप बुड़ेकीन ने यह गेम बनाया था। खुदखुशी के मामले सामने आने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।
अकेले बच्चे होते है शिकार
मुंबई में ऑनलाइन गेम ब्लू व्हेल चेलेंज से आत्महत्या के मामले ने नई बहस छेड़ दी है। डॉक्टरों का कहना है अकेलेपन के शिकार लोग इस तरह के गेम खेलते है। एम्स में मनोरोग विभाग के प्रमुख डॉ. नंदकुमार ने बताया कि किसी गेम के लिए इतना लती हो जाना इंटरनेट गेम्स डिसऑर्डर के लक्षण है । यह उन बच्चो में होता है जो अकेले रहते है। यह एक तरह का बॉर्डर लाइन पर्सनेलिटी डिसऑर्डर है। यह वह अवस्था है जिसमे लोगो को मानसिक अवस्था बहुत क्षणिक होती है। यानि ये लोग खुश भी बहुत जल्दी होते है और बहुत जल्दी उदास। ऐसे लोगो को अपना नियंत्रण नहीं होता है।
हीरो बनने की चाहत
इहबास में न्यूरोसर्जन डॉक्टर विनीत बांगा ने बताया कि इस तरह के डिसऑर्डर के कई तरह के लोग होते है। दबा महसूस कर रहे लोग ऐसे गेम खेलकर लोग अपने आप को हीरो साबित करना चाहते है। कुछ ऐसे लोग भी होते है जो इस गेम को अपने सम्मान के लिए खेलते है।