Shiv Sena: उद्धव ठाकरे को शहीद बताकर शरद पवार के बराबर लाना चाहती है पार्टी, क्या है मातोश्री का प्लान, जानिए

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Shiv Sena: उद्धव ठाकरे को शहीद बताकर शरद पवार के बराबर लाना चाहती है पार्टी, क्या है मातोश्री का प्लान, जानिए

Shiv Sena: उद्धव ठाकरे को शहीद बताकर शरद पवार के बराबर लाना चाहती है पार्टी, क्या है मातोश्री का प्लान, जानिए

मुंबई: चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना (Shivsena) का चुनाव चिन्ह फ्रीज किये जाने के बाद पार्टी उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को अब एक नए अवतार के पेश करने की तैयारी में है। शिवसेना लगातार अब उद्धव ठाकरे को शरद पवार, नीतीश कुमार, अखिलेश यादव और ममता बनर्जी की तरह राष्ट्रीय स्तर पर नेता विपक्ष के रूप में स्थापित करने की तैयारी में है। इसके लिए पार्टी बीजेपी (BJP) को विलेन और उद्धव ठाकरे को पीड़ित के रूप के रूप में प्रदर्शित करने की कोशिश में है। इस कदम से महाराष्ट्र (Maharashtra) में उद्धव ठाकरे के प्रति सहानुभूति का भाव पैदा हो सकता है। पार्टी इस समय केंद्र सरकार को मुगल शासक की तरह पेश करने की कोशिश में जुटी है। यह कवायद पार्टी सिंबल सीज करने के बाद शुरू हुई है। इस घटना के बाद ठाकरे गुट, उद्धव को एक एक शहीद के रूप में जनता के बीच ले जाना चाहता है।

शिवसेना का चुनाव चिन्ह फ्रीज
उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच शिवसेना के सिंबल को लेकर फिलहाल विवाद थमने की उम्मीद है। चुनाव आयोग ने दोनों ही गुटों को शिवसेना के चुनाव चिन्ह ‘धनुष और तीर’ का प्रयोग करने पर अंतरिम रोक लगा दी गई है। चुनाव आयोग ने यह फैसला होने वाले उपचुनाव को लेकर लिया है। अब उद्धव या एकनाथ शिंदे दोनों में से कोई भी गुट धनुष और तीर को लेकर चुनावी मैदान में प्रत्याशी नहीं उतार सकेगा।चुनाव आयोग (ईसी) का यह फैसला आगामी अंधेरी पूर्व उपचुनाव को लेकर आया है। जिसमें शिंदे या उद्धव गुट दोनों में से कोई भी पार्टी के नाम या चुनाव चिन्ह का उपयोग नहीं कर सकेगा।

उद्धव को शहीद क्यों कह रही है पार्टी
उद्धव ठाकरे को एक शहीद की तरह पेश कर शिवसेना महाराष्ट्र की मराठी भाषी जनता तक सीधे पहुंचना चाहती है। मातोश्री में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी पर भी निशाना साधा। ठाकरे ने कहा कि हर हाल में बाला साहेब ठाकरे के विचारों के साथ हम आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि यह हमारा आखिरी युद्ध है। अगर हम जीतेंगे तब दुनिया की कोई भी ताकत शिवसेना को नुकसान नहीं पहुंचा पाएगी।

क्या है अंधेरी ईस्ट का चुनावी गणित
अगले महीने की तीन तारीख को विधानसभा की अंधेरी पूर्व सीट के लिए उप चुनाव होना है। इस सीट पर ज्यादातर हिंदी भाषी और मराठी मतदाता ही निर्णायक स्थिति में है। हालांकि, बीजेपी ने यहां से गुजराती भाषी मुरजी पटेल को उम्मीदवारी दी है। इसके बाद क्षेत्र में यह चर्चा चल पड़ी है कि कहीं यह फैसला बीजेपी को भारी न पड़ जाए। इसकी एक पटेल के खिलाफ बीजेपी के भीतर भी काफी अंतरविरोध बताया जा रहा है। बीजेपी के नेता भी इस खतरे को भांप रहे हैं, इसलिए शिवसेना को हराने के लिए शिंदे गुट का एक उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारने की जुगत लड़ाई जा सकती है। हालांकि, शिंदे गुट के एक नेता ने कहा ‘यह बहुत जोखिम वाला काम है। अगर हम एक पूर्व शिवसैनिक की विधवा के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारेंगे, तो शिवसैनिकों में इसका गलत संदेश भी जा सकता है।’

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