Sholay’ के 45 साल: ‘वीरू’ नहीं ‘ठाकुर’ बनना चाहते थे धर्मेंद्र, पढ़ें फिल्म से जुड़े कुछ अनसुने किस्से

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नई दिल्ली: फिल्म निर्देशक रमेश सिप्‍पी (Ramesh Sippy) की ‘शोले (Sholay)’ आज ही के दिन 45 साल पहले 1975 में सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में अमिताभ बच्‍चन, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, जया बच्‍चन, अमजद खान और संजीव कुमार जैसे दिग्‍गज कलाकार अहम भूमिकाओं में थे. बॉलीवुड की यह एक ऐसी फिल्म है, जिसे आज भी लोग देखना पसंद करते हैं. इस फिल्म के गाने और इसके कई डायलॉग्स लोगों के बीच आज भी काफी मशहूर हैं. तो आइए, फिल्म ‘शोले’ के 45 साल पूरे होने पर आपको बताते हैं इस फिल्म से जुड़ी कुछ रोचक बातें…

‘वीरू’ नहीं ‘ठाकुर’ बनना चाहते थे धर्मेंद्र
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो फिल्म ‘शोले’ में धर्मेंद्र शुरुआत में ‘ठाकुर’ का किरदार करना चाहते थे, लेकिन जब उन्‍हें पता चला कि आखिर में ‘वीरू’ को ही लड़की मिलती है, तो वह इस किरदार को करने के लिए तैयार हो गए थे.

फिल्म के लिए अमिताभ नहीं थे पहली पसंद
आपको यह जानकर थोड़ी हैरानी जरूर होगी, लेकिन यह सही है कि फिल्म ‘शोले’ में ‘जय’ का यादगार किरदार करने वाले अमिताभ बच्‍चन इस फिल्‍म के लिए पहली पसंद नहीं थे. इस फिल्म में धर्मेंद्र के साथ यह दोस्‍ती शत्रुघ्‍न सिन्‍हा को निभानी थी, लेकिन बाद में यह रोल अमिताभ बच्‍चन को दिया गया. 

इस थिएटर में 5 सालों तक चली थी फिल्म
फिल्म ‘शोले’ पहली भारतीय फिल्‍म थी, जिसने भारत के 100 से ज्‍यादा सिनेमाघरों में सिल्‍वर जुबली (25 हफ्ते) मनाई थी. वहीं, यह फिल्‍म मुंबई के मिनर्वा सिनेमाघर में पूरे 5 साल तक चली थी.

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फिल्‍म को मिला था सिर्फ एक अवॉर्ड
जहां इस फिल्‍म ने बॉक्‍स ऑफिस पर धमाल मचा दिया था और आज भी इसे क्‍लासिक सिनेमा माना जाता है, पर फिल्‍मफेयर अवॉर्ड्स में इस फिल्‍म को महज एक ही पुरस्‍कार मिला था और वह भी मिला था सिर्फ एडिटिंग के लिए.  

‘रामगढ़’ में नहीं यहां हुई थी फिल्म शूटिंग
फिल्म ‘शोले’ की शूटिंग रामनगर में हुई थी, जो बेंगलुरु से 50 किलोमीटर दूर है. वहां बने पहाड़ों को आज भी ‘शोले की चट्टाने’ कहा जाता है. 

सिर्फ इस एक डायलॉग से छा गया था ‘सांबा’
इस फिल्‍म में ‘सांबा’ का किरदार निभाने वाले एक्‍टर मैक मोहन का इस पूरी फिल्‍म में बस एक ही डायलॉग था ‘पूरे पचास हजार’, लेकिन कई फिल्‍मों में नजर आने के बाद भी लोग उन्‍हें सांबा के नाम से ही जानते थे. 10 मई 2010 को मैक मोहन का निधन हो गया था. उन्हें कैंसर था और लंबे समय के इलाज के बाद उनकी जान चली गई थी. 

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