Simranjit Mann: हिंदुओं को मिला अपना देश, मुसलमानों को पाकिस्तान… सिखों के साथ धोखा, सिमरनजीत मान का पूरा इंटरव्यू

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Simranjit Mann: हिंदुओं को मिला अपना देश, मुसलमानों को पाकिस्तान… सिखों के साथ धोखा, सिमरनजीत मान का पूरा इंटरव्यू

Simranjit Mann: हिंदुओं को मिला अपना देश, मुसलमानों को पाकिस्तान… सिखों के साथ धोखा, सिमरनजीत मान का पूरा इंटरव्यू

चंडीगढ़: पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के महज तीन महीने बाद सीएम भगवंत मान के इस्तीफे से खाली हुई संगरूर संसदीय सीट पर उप चुनाव हुआ तो अकाली दल अमृतसर गुट के सिमरनजीत सिंह मान जीत गए। पूर्व पुलिस अधिकारी और तीन बार के सांसद मान से एनबीटी नैशनल ब्यूरो की विशेष संवाददाता मंजरी चतुर्वेदी ने पंजाब की सियासत, कानून व्यवस्था, खालिस्तान और किसान से जुड़े तमाम मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की। पेश हैं अहम अंश :

सवाल: पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार नौ महीने का कार्यकाल पूरा कर चुकी है। आप सरकार के अब तक के कामकाज को कैसे देखते हैं?
जवाब: इनको सरकार चलाने का कोई ज्ञान नहीं है। ये उलटे-पुलटे काम कर रहे हैं। ये ना तो खेती वालों के साथ हैं, ना खेत मजदूर और बिजनेसमैन के साथ और ना ही सिखों के साथ। चुनाव से पहले इन्होंने वादा किया था कि 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब के साथ हुई बेअदबी मामले में दोषियों को सजा दिलाएंगे। लेकिन इतने महीने बीतने के बाद भी अभी तक कुछ नहीं हुआ।

सवाल:कहा जा रहा है कि हाल में पंजाब में खालिस्तान समर्थक फिर सामने आ रहे हैं। आप इसे कैसे देखते हैं?
जवाब: खालिस्तान की भावना कोई नई चीज नहीं है। यह आजादी से पहले से है। 1946 में सिखों की पार्लियामेंट में सर्वसम्मति से खालिस्तान का प्रस्ताव पास हुआ था। उसके बाद नब्बे के दशक में कैप्टन अमरिंदर सिंह, सुरजीत सिंह बरनाला, तलवंडी साहब, गुरचरण सिंह तोहड़ा और हमने अकाल तख्त पर इस प्रस्ताव पर दस्तखत किए हैं। इसके दस्तावेज आज भी मेरे पास हैं। तब सारे लोग सहमत थे खालिस्तान से। खालिस्तान की मांग को लेकर मेरे ऊपर इतने सारे केस किए गए। हम हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गए, जहां हम केस जीत गए। कोर्ट ने कहा कि हम खालिस्तान कह सकते हैं। खालिस्तान कोई बला तो है नहीं।

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सवाल: अगर खालिस्तान की मांग बढ़ती है तो क्या इससे देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी मांग आने का खतरा नहीं बढ़ेगा?
जवाब: वह बात अलहदा है। 1947 में हिंदुओं को अपना देश मिल गया, मुसलमानों को अपना देश पाकिस्तान मिल गया, तीसरी कौम सिख बची जिसके साथ धोखा हुआ। सिखों की बात सुनी नहीं गई।

सवाल:क्या आपको लगता है कि देश में सिखों के साथ न्याय नहीं हुआ?
जवाब: साल 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान क्या हुआ, सबने देखा। उसी साल देश में सिखों के साथ क्या हुआ, सबने देखा। अभी तक कोई भी दोषी नहीं पकड़ा गया। 2015 में पंजाब में गुरु ग्रंथ साहब की बेअदबी होती है, उस मामले में दो सिख मारे जाते हैं। उस मामले में कसम लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार बना लेते हैं, लेकिन पांच साल तक कुछ नहीं होता। फिर आम आदमी पार्टी और केजरीवाल उस मामले में जल्द फैसले की बात करते हुए सत्ता में आते हैं। लेकिन उसके बाद भी कुछ नहीं होता।

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सवाल:आप एक सांसद हैं, आपने उस संविधान की शपथ ली है, जो अखंडता और संप्रभुता संपन्न भारत की आत्मा है। फिर अलग खालिस्तान की मांग क्यों?
जवाब: मैं बिल्कुल कॉन्स्टिट्यूशनल बात करता हूं। संविधान का अनुच्छेद 51 कहता है कि जो भी अंतरराष्ट्रीय संधियां हुई हैं, उन्हें सरकार को मानना पड़ेगा। यूनाइटेड नेशन का राइट ऑफ सेल्फ डिटरमिनेशन (राष्ट्रों के आत्मनिर्णय का अधिकार) एक ऐसी चीज है, जिसे सबने माना है। संविधान की शपथ लेकर राइट ऑफ सेल्फ डिटरमिनेशन की बात करने में मुझे कोई हर्ज नजर नहीं आता। जनवरी 1948 में नेहरू जी ने यूनाइटेड नेशंस में जाकर कश्मीर में रायशुमारी कराए जाने की बात कही थी। आप संविधान की बात करते हैं, लेकिन यह शपथ तो पहले नेहरू ने तोड़ दी।

सवाल: पंजाब के राजनीतिक समीकरण के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे? वहां बीजेपी तेजी से अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रही है…
जवाब: पंजाब में जितने भी फेल लीडर हैं, उन्हें बीजेपी अपने पाले में ले रही है। उनमें से ज्यादातर लोग अपनी जायदाद बचाना चाहते हैं। सरकार के डर से तमाम लोग बीजेपी में चले गए। ऐसे लोगों के भरोसे वहां बीजेपी खुद को खड़ा करने में लगी है। एक तरफ आम आदमी पार्टी राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाती है, दूसरी तरफ तीन महीने बाद मुख्यमंत्री जिस लोकसभा सीट को छोड़ते हैं, वहां मैं जीत जाता हूं तो आप समझ जाइए कि हवा का रुख किस तरफ है।

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सवाल:आप पंजाब से आते हैं, जहां किसान एक बहुत बड़ा मुद्दा है। देश में किसानों ने अपनी समस्याओं को लेकर एक बार फिर आवाज बुलंद करनी शुरू की है। आप इसे कैसे देखते हैं?
जवाब: यह बहुत ही गंभीर सवाल है। जब से यूक्रेन और रूस का युद्ध शुरू हुआ है, तब से दुनिया में गेहूं की किल्लत सामने आने लगी है। यूक्रेन में सबसे ज्यादा गेहूं पैदा होता है। यूक्रेन युद्ध के चलते वहां पर गेहूं की खेती ही नहीं हुई तो आने वाले दिनों में गेहूं की कमी और भी बढ़ेगी। केंद्र को इस तरफ ध्यान देना होगा। केंद्र सरकार को किसानों को नाराज करने के बजाय उनकी हर संभव मदद करनी चाहिए। जल्द से जल्द स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करनी चाहिए, किसानों को एमएसपी देना चाहिए। मुझे लगता है कि सरकार को एक बार फिर शास्त्री जी के ‘जय जवान-जय किसान’ वाले नारे की ओर लौटना चाहिए। देश में आज जितनी जरूरत जवानों की है, उतनी ही किसानों की है।

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