सेना के खिलाफ मर्डर की एफआईआर होने पर भड़के भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी

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हिन्दुस्तान को अगर आतंकी खतरे से कोई बहार निकालता है तो वो हैं देश के सैनिक. सैनिकों की सूझबूझ और समझदारी से देश में आया हर आतंकी खतरा टल जाता है. हम भारतवासियों को सुरक्षित करने के लिए कई बार बहुत से सैनिक शहीद भी हुये हैं. लेकिन अगर सैनिकों से ही इस लड़ाई में दो मासूम नागरिकों की जान चली जाए तो क्या होगा? सेना की इसी हरकत के कारण उन पर एफआईआर दर्ज की गयी है.

जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती के अनुसार एक भी नागरिक की मौत पर घाटी में चल रही शांति वार्ता को झटका लगता है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने दक्षिण कश्मीर के शोपियां में सुरक्षाबलों की फायरिंग में 2 आम नागरिकों के मारे जाने के मामले में सेना के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज करवाई है. मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने घटना की जांच के आदेश भी दिये हैं.

समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में भाज के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती को सेना के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी तुरंत वापस लेनी चाहिए अन्यथा मुफ्ती की सरकार गिरा देनी चाहिए. स्वामी ने भड़कते हुए अंदाज में कहा कि ‘ऐसी सरकार को बर्खास्त कर देना चाहिए. उन्होंने कहा, पता नहीं हम क्यों ऐसी सरकार चला रहे हैं? आज तक यह बात समझ में नहीं आई.’

 

साथ ही अलगाववादियों ने रविवार को  विरोध में कश्मीर बंद का एलान भी किया  था. Indian Army -अधिकारियों ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने शोपियां जिले के गनोवपुरा गांव से गुजर रहे सुरक्षा बलों के एक काफिले पर पथराव किया.

ये है पूरा मामला

एक रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि जवानों ने तब गोलियां चलायीं जब भीड़ ने एक जूनियर कमीशंड अधिकारी की पीट-पीटकर हत्या करने की कोशिश की और उनका हथियार छीन लिया. आत्मरक्षा में सैनिकों ने फ़ायरिंग की. जिसमें 20 साल के जावेद अहमद भट और 24 साल के  सुहैल जावेद लोन की बाद में मौत हो गयी.

राज्य की पुलिस ने शोपियां गोलीकांड को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है और पुलिस इस मामले की निष्पक्षता से जांच करने का आश्वासन दिया है.