Tablighi Jamaat News: तब्लीगी जमात क्या है? सऊदी अरब ने सुन्नी मुसलमानों के सबसे बड़े समूह को क्यों किया प्रतिबंधित

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Tablighi Jamaat News: तब्लीगी जमात क्या है? सऊदी अरब ने सुन्नी मुसलमानों के सबसे बड़े समूह को क्यों किया प्रतिबंधित

रियाद
दुनिया में सुन्नी मुसलमानों का रहनुमा होने का दावा करने वाले सऊदी अरब ने तब्लीगी जमात पर प्रतिबंध लगा दिया है। तब्लीगी जमात सुन्नी मुसलमानों का सबसे बड़ा समूह है। इसके बावजूद सऊदी अरब ने तब्लीगी जमात को आतंकवाद का एंट्री गेट बताया है। सऊदी ने तो मस्जिदों से जुमे की नमाज के बाद लोगों को तब्लीगी जमात से न जुड़ने और इस समूह से पैदा होने वाले खतरों को भी बताने का ऐलान किया है। जिसके बाद तब्लीगी जमात एक बार फिर चर्चा में आ गया है। प्यू रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार 150 से अधिक देशों में फैले तब्लीगी जमात के 35 करोड़ लोग सदस्य हैं।

भारत में भी विवादों में घिरा था तब्लीगी जमात
2020 में जब कोरोना की शुरुआत हुई थी तब दिल्ली में तब्लीगी जमात का दिल्ली में निजामुद्दीन मरकज हो रहा था। आरोप लगे थे कि इस मरकज के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया गया। पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार भी किया था। निजामुद्दीन मरकज में आए कई विदेशी नागरिकों को गलत कारण बताकर प्रवेश करने और कानून का पालन न करने के कारण ब्लैकलिस्ट भी किया गया था। हालांकि, इनमें से अधिकतर को उनके देश जाने की अनुमति दे दी गई।

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तब्लीगी जमात क्या है?
तब्लीगी जमात की शुरुआत लगभग 100 साल पहले देवबंदी इस्लामी विद्वान मौलाना मोहम्मद इलयास कांधलवी ने एक धार्मिक सुधार आंदोलन के रूप में की थी। तब्लीगी जमात का काम विशेषकर इस्लाम के मानने वालों को धार्मिक उपदेश देना होता है। पूरी तरह से गैर-राजनीतिक इस जमात का मकसद पैगंबर मोहम्मद के बताए गए इस्लाम के पांच बुनियादी अरकान (सिद्धातों) कलमा, नमाज, इल्म-ओ-जिक्र (ज्ञान), इकराम-ए-मुस्लिम (मुसलमानों का सम्मान), इखलास-एन-नीयत (नीयत का सही होना) और तफरीग-ए-वक्त (दावत और तब्लीग के लिए समय निकालना) का प्रचार करना होता है। दुनियाभर में एक प्रभावशाली आध्यात्मिक आंदोलन के रूप में मशहूर जमात का काम अब पाकिस्तान और बांग्लादेश से होने वाली गुटबाजी का शिकार हो गया है।

तब्लीगी जमात क्या काम करती है?
तब्लीगी जमात से जुड़े लोग पूरी दुनिया में इस्लाम के प्रचार-प्रसार का काम करते हैं। 10, 20, 30 या इससे ज्यादा लोगों की जमातें (ग्रुप्स) देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से यहां पहुंचते हैं और फिर यहां से उन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में भेजा जाता है जहां की मस्जिदों में ये लोग ठहरते हैं और वहां के लोकल मुसलमानों से नमाज पढ़ने और इस्लाम की दूसरी शिक्षाओं पर अमल करने की गुजारिश करते हैं।

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दक्षिण एशिया में तब्लीगी जमात का सबसे बड़ा जनाधार
दक्षिण एशिया में मोटे तौर पर तब्लीगी जमातों से 15 से 25 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं। जमात सदस्य केवल मुसलमानों के बीच काम करते हैं और उन्हें पैगंबर मोहम्मद द्वारा अपनाए गए जीवन के तरीके सिखाते हैं। तब्लीग का काम करते समय जमात के सदस्यों को छोटे-छोटे समूहों में बांट दिया जाता है। हर समूह का एक मुखिया बनाया जाता है जिसे अमीर कहते हैं। ये समूह मस्जिद से काम करते हैं। चुनिंदा जगहों पर मुसलमानों की बीच जाकर उन्हें इस्लाम के बारे में बताते हैं।

तब्लीगी जमात के विदेशी मिशन
तब्लीगी जमात का पहला विदेशी मिशन 1946 में हिजाज (पश्चिमी सऊदी अरब) और ब्रिटेन को भेजा गया था। इसके बाद 1970 से 1980 के दौरान अमेरिका और यूरोप के कई देशों में तब्लीगी जमात का प्रचार प्रसार किया गया। फ्रांस में इसे 1960 के दौरान भेजा गया, जहां जमात को खूब प्रसिद्धि भी मिली। यूरोप में तब्लीगी जमात ने हाशिए की आबादी पर ध्यान केंद्रित किया। यही कारण है कि इस महाद्वीप के देशों में 1970-80 के दशक में तब्लीगी जमात की प्रसिद्धि काफी बढ़ गई थी। हालांकि बाद में यूरोपीय मुस्लिमों ने अधिक पढ़े-लिखे और बौद्धिक संगठन की तलाश शुरू की, जिसके कारण तब्लीगी जमात से बड़ी संख्या में लोगों का मोहभंग भी हुआ।

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दुनिया में कहां-कहां होता है मरकज?
तब्लीगी जमात दुनिया के कई दिस्सों में समय-समय पर मरकज का आयोजन करती है। इनके मरकज मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल, मुंबई के नेरुल, दिल्ली में निजामुद्दीन, ब्रिटेन के वेस्ट यॉर्कशायर के ड्यूज़बरी, बांग्लादेश की राजधानी ढाका और पाकिस्तान के लाहौर के पास स्थित रायविंड शहर में किया जाता है। इन मरकजों में लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है।

सऊदी अरब ने तब्लीगी जमात को क्यों किया प्रतिबंधित?
सऊदी अरब ने तब्लीगी जमात को आतंकवाद का जन्मदाता बताकर प्रतिबंधित किया है। सऊदी अरब पर पहले से ही वहाबी विचारधारा को फैलाने का आरोप लगता रहा है। जिसके कारण प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अपने देश की कट्टरपंथी छवि को बदलने में जुटे हुए हैं। सऊदी ने कतर में तालिबान के साथ भी कोई सीधा संपर्क स्थापित नहीं किया। वहीं उनका पूरा ध्यान अपने देश को सभी धर्मों का सम्मान करने वाले के तौर पर बनाने की ओर केंद्रित है। यही कारण है कि पिछले कई साल में महिलाओं के अधिकारों में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है।



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