‘टैटू वाली टीचर’ की वजह से बच्चे आने लगे स्कूल, अलग है इनका अंदाज

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Shipra Tiwari
Shipra Tiwari with her students

5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। आइये इस शिक्षक दिवस जानते हैं एक ऐसी टीचर के बारें में जिसने न केवल स्कूल में बच्चों की अटेंडेंस में सुधार करवाया बल्कि अपने पढ़ाने के अलग अंदाज की वजह से इस समय चर्चा में बनी हुई है। आइये इस बारें में विस्तार से जानते हैं-

सुबह आठ बजने से पहले उसकी कक्षा में उत्सुक छात्रों के साथ भीड़ होती है। उसके शरीर और हाथों में टैटू बने हुए है। जब वह क्लास में आती है तो एक बिजली से चमक जाती है। ऐसा शायद ही किसी स्कूल की क्लास में होता होगा। मिलिए एक प्राथमिक स्कूल की शिक्षिका शिप्रा तिवारी से, जिन्हे ‘टैटू-वली मैडम-जी’ का नाम मिल गया है। शिप्रा ने अपने इस फंकी स्टाइल और पढ़ाने के अपने अलग अंदाज से सोनवा के बख्शी का तालाब के एक सरकारी स्कूल में विद्यार्थियों की उपस्थिति में सुधार किया है।

एक समय था जब इस सोनवा स्कूल में विद्यार्थी बहुत ही कम पढ़ने आते थे। जो कुछ भी बच्चे आते थे वह लंच की घंटी बजने का बेसब्री से इंतजार करते थे। वह सब बदल गया है। शिप्रा ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा, “मैं नहीं चाहती थी कि मेरे छात्र बिना रुचि के पढ़ाई करें या केवल दोपहर भोजन के लिए स्कूल आएं। मैंने उनके लिए सीखने को मज़ेदार बनाने का फैसला किया ताकि वे अपनी कक्षाओं में पसंद से भाग लें।”

Teacher 1 -

शिप्रा के पढ़ाने वाले उपकरणों में एक कठपुतली है। वह भोजन से पहले हाथ धोने जैसी स्वच्छता सिखाने के लिए उनका उपयोग करती थी। वह एंड्रॉइड ऐप जैसे आधुनिक टूल का भी उपयोग करती है। शिप्रा ने कहा, “मेरे छात्र अपने दोस्तों के पास गए और उन्हें गुड्डा-गुड्डी (कठपुतली) शो के बारे में बताया। अगले दिन कक्षा पूरी भरी हुई थी।”

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एक छात्रा सुहानी शर्मा ने शिप्रा के पढ़ाने के तरीके के बारें में कहा, “मुझे उनकी क्लास एक दिन के लिए छोड़ने का मन नहीं करता है।” सुहानी ने कहा, “बड़े स्कूलों की तरह, हमारे पास भी एक क्लास मॉनिटर, एक बेहतरीन परफॉर्मर अवार्ड और एक ऑल-राउंडर सेल्फी कॉर्नर है।” एक अन्य छात्र सुचित ने कहा कि उसे बॉटल गार्डन सेशन पसंद है। “हम पुरानी बोतलों को इकट्ठा करते हैं और उन्हें फैंसी प्लांटर्स में बदल देते हैं। कचरे से सबसे अच्छा हमारे आदर्श वाक्य है। हमने न केवल अपने पूरे स्कूल, बल्कि अपने घरों को भी सजाया है।”

शिप्रा के इस खास अंदाज से पढ़ाने के तरीकों से बच्चे स्कूल में डेली आने लगे है। वहीं लोग उनके इस खास अंदाज के लिए ‘टैटू वाली टीचर’ का नाम दे दिया है।