Tihar Jail: तिहाड़ का ऐसा हाल, हथियार चलाना तो दूर, मैगजीन भी नहीं लगा सकते कर्मचारी

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Tihar Jail: तिहाड़ का ऐसा हाल, हथियार चलाना तो दूर, मैगजीन भी नहीं लगा सकते कर्मचारी

नई दिल्ली: गैंगस्टरों और आतंकवादियों से भरी देश की अति संवेदनशील तिहाड़ जेल में अगर किसी इमरजेंसी के दौरान तिहाड़ जेल स्टाफ के सामने हथियार चलाने की नौबत आ गई तो सटीक निशाना लगाना तो दूर शक है कि यह हथियार भी ठीक से पकड़ पाएंगे या नहीं? कारण, स्टाफ की भर्ती के बाद से इन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग का नहीं दिया जाना। 30 साल से भी पुराने स्टाफ का कहना है कि जब वह भर्ती हुए थे। तभी उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी गई थी। तब से आज तक उनसे एक भी गोली चलाने की ट्रेनिंग नहीं दिलाई गई।

इस गंभीर मामले में तिहाड़ जेल के डीजी संदीप गोयल से बात की गई। लेकिन उन्होंने इस मसले पर कोई भी जानकारी देने से साफ इंकार कर दिया। मामले में एनबीटी रिपोर्टर ने तिहाड़ जेल के कई कर्मचारियों से बात की। उन्होंने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि जब वह लोग भर्ती हुए थे। तब ही उनसे फायरिंग कराई गई थी। लेकिन इसके बाद कभी भी उन लोगों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग नहीं दिलाई गई। जबकि नियम कहते हैं कि हर साल नहीं तो दो-तीन सालों में एक बार जेल स्टाफ को भी हथियार चलाने की ट्रेनिंग दिलाई जानी चाहिए।

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कर्मचारियों ने बताया कि वैसे जेल की हिफाजत के लिए तमिलनाडु स्पेशल पुलिस, सीआरपीएफ और अन्य फोर्स है। लेकिन जब जेल चलाने की सारी जिम्मेदारी तिहाड़ जेल कैडर के कर्मचारियों की है तो कम से कम उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग तो दिलाई ही जानी चाहिए। वह भी तब जब तिहाड़ जेल में हर दिन खतरनाक बदमाशों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में जेल में गैंगवॉर होने के साथ ही इन कैदियों के भागने या इन्हें छुड़ाकर ले जाने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है।

इन तमाम आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए यह बेहद जरूरी है कि जेल के कर्मचारी भी तमाम हथियारों को चलाना सीखे। इससे पहले एनबीटी ने तिहाड़ जेल की सुरक्षा के लिए जेल नंबर-1 की कोत में रखे गोला-बारूद में से अधिकतर के खराब होने का खुलासा किया था। जिसमें बताया गया था कि यहां कोत में रखे पिस्टल, राइफल, आंसू गैंस के गोल और गोलियां पड़े-पड़े खराब हो गई हैं।

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अब मामले में जब जेल के कर्मचारियों से बात की गई तो पता लगा कि उन्हें तो भर्ती होने के बाद से गोलियां चलाने की ट्रेनिंग ही नहीं दी जाती। ऐसे में जो नए और आधुनिक हथियार आ रहे हैं। उन्हें तो चलाना तो दूर वह उनमें मैगजीन लगाना तक नहीं जानते।

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