गोरखपुर मामले में फरार, डॉ. कफील गिरफ्तार

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गोरखपुर में पिछले दिनों बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत का मामला काफी सुर्खियों में रहा, हालांकि रिपोर्ट की मानें तो गोरखपुर में हर वर्ष इंसेफलाइटिस से बच्चों की मौत होती है। लेकिन इस साल 29-30 अगस्त को जो मौतें हुई थीं, वो ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई थी। इसलिए इस पर जमकर बवाल हुआ था, मीडिया से लेकर आम जनता सभी ने योगी सरकार की जमकर आलोचना की थी। इस मामले में अब तक कुल 9 लोग आरोपी बनाए गए हैं, खबर के मुताबिक शनिवार सुबह डॉ. कफील को लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया गया है। बता दें कि डॉ. कफील 15 दिन से फरार चल रहे थे। कफील की गिरफ्तारी यूपी एसटीएफ ने की है। आगे डॉ. कफील को यूपी पुलिस को सौंप दिया जाएगा।

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मौत का तांडव जारी है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 29 अगस्त की रात 12 बजे से 30 अगस्त की रात 12 बजे तक 24 घंटे में 13 बच्चों की मौत हुई है। इनमें एनआईसीयू में 08 और पीआईसीयू में अलग-अलग बीमारियों से 5 बच्चों की मौत हुई है। बता दें कि एनआईसीयू में कुल 114 और पीआईसीयू में 240 मरीज भर्ती हैं। अगस्त महीने में अब तक 399 बच्चों की मौत हुई है।

गोरखपुर घटना के बाद मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर कफील खान का नाम सामने आया था, जिसमें कहा गया कि उन्होंने मुश्किल समय में ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवाए और मदद की। लेकिन बाद में कफील से जुड़ी कई नई बातें सामने आईं, जो कि बिल्कुल अलग कहानी दर्शाती हैं। मेडिकल कॉलेज से जुड़े कई लोगों ने उन मीडिया रिपोर्ट्स पर हैरानी जताई है, जिनमें कफील को किसी फरिश्ते की तरह दिखाया गया है। जबकि सच्चाई बिल्कुल अलग है। डॉ कफील बीआरडी मेडिकल कॉलेज के इन्सेफेलाइटिस डिपार्टमेंट के चीफ नोडल ऑफिसर हैं लेकिन वो मेडिकल कॉलेज से ज्यादा अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए जाने जाते हैं।

उन पर आरोप है कि वो अस्पताल से ऑक्सीजन सिलेंडर चुराकर अपने निजी क्लीनिक पर इस्तेमाल किया करता थे, जानकारी के मुताबिक कफील और प्रिंसिपल राजीव मिश्रा के बीच गहरी साठगांठ थी और दोनों इस हादसे के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। लेकिन हादसे के बाद से ही उन्हें फरिश्ते की तरह दिखाया गया था, कहा जा रहा है कि इसमें उन्होंने अपने पत्रकार दोस्तों की मदद ली।

योगी को नहीं किया सूचित

डॉ. कफील मेडिकल कॉलेज की खरीद कमेटी का मेंबर हैं, उन्हें भी ऑक्सीजन सप्लाई की स्थिति के बारे में पूरी जानकारी थी। 2 दिन पहले जब सीएम योगी आदित्यनाथ मेडिकल कॉलेज के दौरे पर आए थे वो भी उनके इर्द-गिर्द घूम रहे थे। लेकिन उसने भी उन्हें ऑक्सीजन की बकाया रकम के बारे में कुछ नहीं बताया।

हर खरीद में लेता था कमीशन

मेडिकल कॉलेज के कई कर्मचारियों और डॉक्टरों ने इस बात की पुष्टि की है कि डॉक्टर कफील वहां होने वाली हर खरीद में कमीशन लेता था और उसका एक तय हिस्सा प्रिंसिपल राजीव मिश्रा तक पहुंचाता था। ऑक्सीजन कंपनी पुष्पा सेल्स के साथ चल रहे विवाद में भी राजीव मिश्रा के साथ कफील का बड़ा हाथ था। हमने जितने लोगों से भी बात की उनमें से ज्यादातर का यही कहना था कि डॉक्टर राजीव मिश्रा, उनकी पत्नी पूर्णिमा शुक्ला और डॉ. कफील अहमद सारे हादसे के असली दोषी हैं।