US China Tension: अमेरिका के नजदीक युद्धपोत भेजने जा रहा चीन, युद्ध के लिए क्यों उकसा रहे जिनपिंग?
पेइचिंग
चीन ने अमेरिका को उसकाने के लिए प्रशांत महासागर और अटलांटिक महासागर में अपने युद्धपोतों को भेजने का ऐलान किया है। चीन ने यहां तक दावा किया है कि उसके युद्धपोत इस बार स्वतंत्र नेविगेशन के कानूनों के तहत अमेरिका के तटों के बेहद नजदीक तक जाएंगे। ऐसे में माना जा रहा है कि अमेरिका भी जवाबी कार्रवाई के लिए अपने युद्धपोतों और पनडुब्बियों को आक्रामक तैनाती कर सकता है। अमेरिका और बाकी यूरोपीय देश ऐसी किसी भी हरकत को युद्ध की कार्रवाई के तौर पर देख सकते हैं।
अमेरिका को उसी की भाषा में जवाब देगा चीन
पेइचिंग के एक प्रमुख सैन्य अधिकारी ने चेतावनी देते हुए कहा है कि चीन अमेरिका को उसी की भाषा में जवाब देगा। इस हफ्ते की शुरुआत में ही चीन ने दक्षिण चीन सागर में अपने द्वीपीय सैन्य अड्डे के पास अमेरिकी डिस्ट्रॉयर की मौजूदगी पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। पेइचिंग ने इसे अमेरिका की बदमाशी तक करार दिया और कहा कि वे उसे उसी की दवा का स्वाद चखाएंगे। हालांकि अमेरिका ने इसे स्वतंत्र नौ परिवहन का हिस्सा बताया था।
अमेरिका के तट के पास भेजेगा युद्धपोत
खोजी पत्रकार बेन स्वान ने रूसी सरकारी मीडिया आरटी को बताया था कि एक अमेरिकी नौसेना विध्वंसक दक्षिण चीन सागर में एक कृत्रिम चीनी द्वीप के 12 मील के भीतर से गुजरा। चीन ने इसे उकसाने वाली कार्रवाई करार दिया था। उन्होंने कहा कि अब चीन में एक सटीक प्रतिक्रिया देने के लिए दबाव बन रहा है। ऐसे में चीन अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की सीमा के 12 मील के भीतर अपने युद्धपोत भेजेगा।
चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना
वर्तमान में चीनी नौसेना (PLAN) में जितने युद्धपोत और पनडुब्बियां शामिल हैं, उतनी तो अमेरिका के पास भी नहीं है। यह बात अलग है कि चीनी नौसेना के पास इतनी बड़ी संख्या में हथियारों के होने के बावजूद उनकी फायर पॉवर और युद्धक क्षमता दुनिया के कई देशों से काफी कम है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग कई बार अपने भाषणों में यह दावा कर चुके हैं कि उनकी सेना का उद्देश्य किसी देश पर हमला करना नहीं है।
तेजी से युद्धपोत और पनडुब्बियां बना रहा चीन
चीन इस समय काफी तेजी से अपनी नौसेना के लिए युद्धपोत और पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है। चीन की 62 में से सात पनडुब्बियां परमाणु शक्ति से चलती हैं। ऐसे में पारंपरिक ईंधन के रूप में भी उसे अब ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ रहा है। चीन पहले से ही जहाज निर्माण की कला में पारंगत था। साल 2015 में चीनी नौसेना ने अपनी ताकत को अमेरिकी नौसेना के बराबर करने के लिए एक व्यापक अभियान चलाया था। पीएलए को विश्व-स्तरीय फाइटिंग फोर्स में बदलने के काम आज भी उसी तेजी से जारी है।
2015 के बाद चीनी नौसेना ने बढ़ाई ताकत
जिनपिंग ने 2015 में शिपयार्ड और प्रौद्योगिकी में निवेश का आदेश दिया था। उन्होंने तब कहा था कि हमें एक शक्तिशाली नौसेना के निर्माण की जरुरत जो आज महसूस हो रही है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ था। जाहिर है कि सुप्रीम कमांडर का आदेश पाने के बाद से ही चीनी नौसेना ने पिछले 5-6 साल में अपनी ताकत को कई गुना बढ़ा लिया है। ऐसे में यह न केवल अमेरिका के लिए खतरे की बात है, बल्कि इस क्षेत्र में शांति और कानून का पालन करने वाले देशों की चिंताएं बढ़ाने वाला मुद्दा भी है।
2025 तक चीनी नौसेना में होंगे 400 बैटल फोर्स शिप
यूएस ऑफिस ऑफ नेवल इंटेलिजेंस (ONI) के अनुसार, 2015 में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) के बेड़े में 255 बैटल फोर्स शिप थे। साल 2020 के आते-आते चीनी नौसेना के पास कुल बैटल फोर्स शिप की तादाद बढ़कर 360 तक पहुंच गई, जो अमेरिकी नौसेना की कुल शिप से 60 ज्यादा है। ओएनआई ने भविष्यवाणी की है कि आज से चार साल बाद यानी 2025 तक चीन के पास कुल 400 बैटल फोर्स शिप होंगी। दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बनाने के बाद भी चीन की भूख शांत नहीं हुई है। वह वर्तमान में भी आधुनिक युद्धपोत, पनडुब्बियां, एयरक्राफ्ट कैरियर, लड़ाकू विमान, एम्फिबियस असाल्ट शिप, बैलिस्टिक न्यूक्लियर अटैक सबमरीन, कोस्ट गार्ड के लिए कई आधुनिक पेट्रोल वेसल और पोलर आइसब्रेकर शिप का निर्माण खतरनाक गति से कर रहा है।
चीनी नौसेना का कैरियर स्ट्राइक ग्रुप
चीन ने अमेरिका को उसकाने के लिए प्रशांत महासागर और अटलांटिक महासागर में अपने युद्धपोतों को भेजने का ऐलान किया है। चीन ने यहां तक दावा किया है कि उसके युद्धपोत इस बार स्वतंत्र नेविगेशन के कानूनों के तहत अमेरिका के तटों के बेहद नजदीक तक जाएंगे। ऐसे में माना जा रहा है कि अमेरिका भी जवाबी कार्रवाई के लिए अपने युद्धपोतों और पनडुब्बियों को आक्रामक तैनाती कर सकता है। अमेरिका और बाकी यूरोपीय देश ऐसी किसी भी हरकत को युद्ध की कार्रवाई के तौर पर देख सकते हैं।
अमेरिका को उसी की भाषा में जवाब देगा चीन
पेइचिंग के एक प्रमुख सैन्य अधिकारी ने चेतावनी देते हुए कहा है कि चीन अमेरिका को उसी की भाषा में जवाब देगा। इस हफ्ते की शुरुआत में ही चीन ने दक्षिण चीन सागर में अपने द्वीपीय सैन्य अड्डे के पास अमेरिकी डिस्ट्रॉयर की मौजूदगी पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। पेइचिंग ने इसे अमेरिका की बदमाशी तक करार दिया और कहा कि वे उसे उसी की दवा का स्वाद चखाएंगे। हालांकि अमेरिका ने इसे स्वतंत्र नौ परिवहन का हिस्सा बताया था।
अमेरिका के तट के पास भेजेगा युद्धपोत
खोजी पत्रकार बेन स्वान ने रूसी सरकारी मीडिया आरटी को बताया था कि एक अमेरिकी नौसेना विध्वंसक दक्षिण चीन सागर में एक कृत्रिम चीनी द्वीप के 12 मील के भीतर से गुजरा। चीन ने इसे उकसाने वाली कार्रवाई करार दिया था। उन्होंने कहा कि अब चीन में एक सटीक प्रतिक्रिया देने के लिए दबाव बन रहा है। ऐसे में चीन अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की सीमा के 12 मील के भीतर अपने युद्धपोत भेजेगा।
चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना
वर्तमान में चीनी नौसेना (PLAN) में जितने युद्धपोत और पनडुब्बियां शामिल हैं, उतनी तो अमेरिका के पास भी नहीं है। यह बात अलग है कि चीनी नौसेना के पास इतनी बड़ी संख्या में हथियारों के होने के बावजूद उनकी फायर पॉवर और युद्धक क्षमता दुनिया के कई देशों से काफी कम है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग कई बार अपने भाषणों में यह दावा कर चुके हैं कि उनकी सेना का उद्देश्य किसी देश पर हमला करना नहीं है।
तेजी से युद्धपोत और पनडुब्बियां बना रहा चीन
चीन इस समय काफी तेजी से अपनी नौसेना के लिए युद्धपोत और पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है। चीन की 62 में से सात पनडुब्बियां परमाणु शक्ति से चलती हैं। ऐसे में पारंपरिक ईंधन के रूप में भी उसे अब ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ रहा है। चीन पहले से ही जहाज निर्माण की कला में पारंगत था। साल 2015 में चीनी नौसेना ने अपनी ताकत को अमेरिकी नौसेना के बराबर करने के लिए एक व्यापक अभियान चलाया था। पीएलए को विश्व-स्तरीय फाइटिंग फोर्स में बदलने के काम आज भी उसी तेजी से जारी है।
2015 के बाद चीनी नौसेना ने बढ़ाई ताकत
जिनपिंग ने 2015 में शिपयार्ड और प्रौद्योगिकी में निवेश का आदेश दिया था। उन्होंने तब कहा था कि हमें एक शक्तिशाली नौसेना के निर्माण की जरुरत जो आज महसूस हो रही है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ था। जाहिर है कि सुप्रीम कमांडर का आदेश पाने के बाद से ही चीनी नौसेना ने पिछले 5-6 साल में अपनी ताकत को कई गुना बढ़ा लिया है। ऐसे में यह न केवल अमेरिका के लिए खतरे की बात है, बल्कि इस क्षेत्र में शांति और कानून का पालन करने वाले देशों की चिंताएं बढ़ाने वाला मुद्दा भी है।
2025 तक चीनी नौसेना में होंगे 400 बैटल फोर्स शिप
यूएस ऑफिस ऑफ नेवल इंटेलिजेंस (ONI) के अनुसार, 2015 में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) के बेड़े में 255 बैटल फोर्स शिप थे। साल 2020 के आते-आते चीनी नौसेना के पास कुल बैटल फोर्स शिप की तादाद बढ़कर 360 तक पहुंच गई, जो अमेरिकी नौसेना की कुल शिप से 60 ज्यादा है। ओएनआई ने भविष्यवाणी की है कि आज से चार साल बाद यानी 2025 तक चीन के पास कुल 400 बैटल फोर्स शिप होंगी। दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बनाने के बाद भी चीन की भूख शांत नहीं हुई है। वह वर्तमान में भी आधुनिक युद्धपोत, पनडुब्बियां, एयरक्राफ्ट कैरियर, लड़ाकू विमान, एम्फिबियस असाल्ट शिप, बैलिस्टिक न्यूक्लियर अटैक सबमरीन, कोस्ट गार्ड के लिए कई आधुनिक पेट्रोल वेसल और पोलर आइसब्रेकर शिप का निर्माण खतरनाक गति से कर रहा है।
चीनी नौसेना का कैरियर स्ट्राइक ग्रुप