Uttar Pradesh Election 2022: तो क्‍या इस सीट से सपा के दो उम्‍मीदवार लड़ रहे चुनाव? अख‍िलेश ने बताया मजबूरी का प्रत्‍याशी

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Uttar Pradesh Election 2022: तो क्‍या इस सीट से सपा के दो उम्‍मीदवार लड़ रहे चुनाव? अख‍िलेश ने बताया मजबूरी का प्रत्‍याशी

तुलसीपुर/बलरामपुर: तारीख 26 फरवरी। ज‍िला बलरामपुर, विधानसभा क्षेत्र तुलसीपुर (Tulsipur Assembly Election) का परेड ग्राउंड। समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष और उत्‍तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री अखि‍लेश यादव (Akhilesh yadav) अपने प्रत्‍याशी और पूर्व विधायक मशहूद खान (Mashhood Khan) के लिए प्रचार करने आए थे। वे आए तो थे प्रचार करने। लेकिन जनसभा में उन्‍होंने जो कहा, वह उनके ही उम्‍मीदवार के गले की फांस बन गया है। अखिलेश ने हजारों लोगों के सामने मंच से कहा, ‘कुछ मजबूरियां रहीं जो हमें अपने पूर्व विधायक को तुलसीपुर से लड़ाना पड़ा।’ इस बयान के बाद क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चाएं हैं। मशहूद खान की लड़ाई जेल में बंद निर्दलीय प्रत्याशी जेबा रिजवान (zeba rizwan) से है जो पहले सपा से इस सीट की उम्‍मीदवार बताई जा रही थीं। और चुनाव से कुछ महीने पहले ही वे सपा में शामिल हुई थीं। लेकिन एक हत्‍या ने सपा से उनकी दावेदारी छीन ली। बलरामपुर की सभी सीटों पर 3 मार्च को मतदान होगा।

‘खेल कर गए अख‍िलेश’
तुलसीपुर विधानसभा से समाजवादी पार्टी के टिकट की रेस में पूर्व विधायक मशहूद खान, जेबा रिजवान, ब्राह्मण चेहरे के तौर पर डॉ भानु त्रिपाठी और राजेश्वर मिश्रा रेस में थे। लेकिन टिकट बंटवारे से ठीक पहले पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष फिरोज पप्पू की निर्मम हत्या के मामले में जेबा रिजवान उनके पिता पूर्व सांसद रिजवान जहीर व दामाद रमीज नियामत सहित पुलिस ने 6 लोगों को जेल भेज दिया था। जिसके बाद जेबा रिजवान को सपा ने टिकट नहीं दिया, जबकि वह टिकट की प्रबल दावेदार के तौर पर मानी जा रही थीं। आपको बता दें क‍ि मशहूद खान फिरोज पप्पू के दादा हैं।

अख‍िलेश के मजबूरी वाले बयान को लेकर तुलसीपुर विधानसभा के लोग एक पक्ष में एक ही बात करते दिखे। चाय-पान की दुकान चलाने वाले रघुबीर कहते हैं क‍ि यहां लड़ाई सपा बनाम सपा है। जेबा जीतने के बाद सपा में शामिल हो जाएंगी। अगर मशहूद जीते तो तब भी सपा की जीत होगी। मतलब सयह सीधे कह सकते हैं क‍ि एक ही सीट से सपा के दो प्रत्‍याशी मैदान में हैं।

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इसी जिले के वर‍िष्‍ठ पत्रकार सीपी मिश्रा कहते हैं क‍ि अख‍िलेश शायद यह समझ गए हैं क‍ि जेबा का पलड़ा भारी है। ऐसे में अखिलेश दोनों रास्‍ते खोल गए हैं। पोते की हत्या के बाद मैदान में कूदे दादा जीतेंगे या हत्या की साजिशकर्ता की जीत होगी। वे यह भी कहते हैं क‍ि जेबा का नाम यहां से लगभग फाइनल था। लेकिन हत्‍याकांड के बाद अख‍िलेश ने टिकट नहीं दिया।

पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष फिरोज पप्पू की हत्या के मामले में पूर्व सांसद रिजवान जहीर, बेटी जेबा रिजवान, दामाद रमीज समेत कुल 6 लोग जेल में हैं। रिजवान जहीर और उनके परिवार पर हत्या की साजिश रचने का आरोप है। रिजवान जहीर को अखिलेश यादव का करीबी माना जाता रहा है। अखिलेश यादव ने ही रिजवान जहीर को अक्टूबर 2021 में फिर से सपा में लाए थे। इससे पहले वह बसपा में थे। सपा नेता एवं पूर्व ब्लाक प्रमुख विजय यादव जेबा के समर्थन में हैं।

मुलायम को ललकारने वाले रिजवान को अख‍िलेश फिर से पार्टी में ले आए
रिजवान जहीर ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत निर्दलीय रूप से की थी। वह साल 1985 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद जिले में आए थे और उन्होंने राजनीति की शुरुआत की। साल 1989 में निर्दल, 1993 में सपा और 1996 में बसपा से तुलसीपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। इसके बाद इन्होंने बड़े राजनीतिक परिदृश्य के लिए काम करना शुरू किया। इन्होंने साल 1998 और 1999 में सपा से वो बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी रहे हैं।

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इसके अलावा इनकी पत्नी हुमा रिजवान जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहीं। वह 2005 व 2010 वाले सत्र में वह जिले के सबसे ताकतवर पद पर रहीं। उन्‍होंने अपने भाई सलमान जहीर और नौमान जहीर को दो बार विधानसभा चुनाव लड़वाया। लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। रिजवान जहीर का राजनीति सितारा गर्दिश में उस वक्त आना शुरू हुआ जब उन्होंने साल 1999 के बाद मुलायम सिंह यादव को सीधा चैलेंज करते हुए कहा कि रिजवान जहीर को किसी पार्टी की जरूरत नहीं है।

m रिजवान जहीर खुद में पार्टी हैं और मुलायम सिंह यादव चाहें तो मेरे सामने चुनाव लड़ कर देख लें, उन्हें भी हार ही हाथ लगेगी। जिसके बाद रिजवान जहीर ने एक भी चुनाव नहीं जीता। हालांकि अक्टूबर 2021 में अखिलेश यादव ने इन्हें फिर से सपा में शामिल किया। पूर्व सांसद रिजवान जहीर ने अपना खुद का राजनीतिक दल भी बनाया था। इससे पहले वह समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, इंडियन नेशनल कांग्रेस और पीस पार्टी में रहकर चुनाव लड़ चुके हैं।

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार पूर्व सांसद रिजवान जहीर पुत्र जहीरुउल हक के ऊपर पूर्व के 14 अभियोग पंजीकृत रहे हैं, जिसमें हत्या-बलवा समेत कई गंभीर आरोपों में उन्हें आरोपी बनाया गया था। जेबा रिजवान ने साल 2017 के विधानसभा चुनाव के जरिए अपना राजनीति में पदार्पण किया तो उन्हें चुनाव लड़ने के लिए भी फिरोज पप्पू आगे रहे।

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स्क्रिप्ट राइटर हैं जेबा रिजवान
पूर्व सांसद रिजवान जहीर की बेटी जेबा रिजवान ने जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता में परास्नातक की पढ़ाई की है। इससे पहले वह मुंबई में ‘दीया, बाती और हम’ नाम के एक सीरियल में स्क्रिप्ट राइटिंग का काम करती थीं।

2017 में जब रिजवान जहीर कांग्रेस में शामिल हुए तो उन्होंने अपनी बेटी जेबा रिजवान को चुनाव लड़ाने का फैसला किया। हालांकि तुलसीपुर सीट गठबंधन के खाते में थी। फिर भी समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार यहां से लड़ गया, जिस कारण से जेबा रिजवान को भारतीय जनता पार्टी के नेता कैलाश नाथ शुक्ला से शिकस्त खानी पड़ी। पिछले विधानसभा चुनाव में ज़ेबा रिजवान को 43637 मत प्राप्त हुए थे और वह दूसरे स्थान पर थी। समाजवादी पार्टी में शामिल होने के बाद रिजवान जहीर जेबा रिजवान के लिए तुलसीपुर विधानसभा से टिकट की मांग कर रहे थे। यह तय माना जा रहा था कि यदि जेबा रिजवान को टिकट मिल जाएगा तो वह इस बार के विधानसभा चुनाव में विजई होंगी।

zeba rizwan, akhilesh yadav

जेबा रिजवान के सोशल मीडिया हैंडल से जेल जैसी तस्‍वीरें शेयर की जा रही हैं।



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