Vikas Dubey: आखिर बिकरू कांड के आरोपी गैंगस्टर एक्‍ट से कैसे हुए बरी, वजह जान कर चौंक जाएंगे

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Vikas Dubey: आखिर बिकरू कांड के आरोपी गैंगस्टर एक्‍ट से कैसे हुए बरी, वजह जान कर चौंक जाएंगे

Vikas Dubey: आखिर बिकरू कांड के आरोपी गैंगस्टर एक्‍ट से कैसे हुए बरी, वजह जान कर चौंक जाएंगे

कानपुर देहात: बिकरू कांड (Bikru Encounter) से जुड़े गैंगस्टर मामले में 5 सितंबर को फैसला आया था। पुलिस ने 30 लोगों पर गैंगस्टर की कार्रवाई की थी, इसमें 23 को कोर्ट ने सजा सुनाई है और सात आरोपी दोषमुक्त हुए हैं। इस फैसले के बाद कानून के जानकार और वरिष्ठ अधिवक्ता पुलिस पर सवाल उठा रहे हैं। वह कहते हैं कि यह चौबेपुर पुलिस की बुरी तरह से विफलता है। पुलिस ने कोर्ट में दाखिल किए गैंग चार्ट में आरोपियों का पूरा अपराधिक इतिहास दर्ज नहीं किया जिसका लाभ उन्हें मिला और वह दोषमुक्त साबित हो गए।

2 जुलाई 2020 की रात बिकरू गांव में कुख्यात विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस टीम पर फायरिंग की गई थी। इसमें सीओ समेत आठ पुलिस कर्मी मारे गए थे। इस घटना से जुड़े 30 आरोपियों पर पुलिस ने गैंगस्टर की कार्रवाई की थी। चौबेपुर के तत्कालीन इंस्पेक्टर कृष्ण मोहन राय ने कोर्ट में गैंग चार्ट दाखिल किया था। मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश गैंगस्टर कोर्ट दुर्गेश की अदालत में चल रही थी। 5 सितंबर को आए फैसले में विकास दुबे के खंजाची जय बाजपेई समेत 23 को 10 वर्ष की कैद, 50-50 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई गई है। संजय दुबे उर्फ संजू, अरविंद त्रिवेदी उर्फ गुड्डन, बालगोविंद समेत सात आरोपी दोषमुक्त हुए हैं।

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ये हुए दोषमुक्त

कुढ़वा शिवली अरविंद त्रिवेदी उर्फ गुड्डन, सुशील तिवारी, आर्य नगर कानपुर का प्रशांत शुक्ला उर्फ डब्बू, बिकरू के बालगोविंद, राजेंद्र मिश्रा, रमेश चंद्र, संजय दुबे उर्फ संजू। ये सभी बिकरू कांड में नामजद अभियुक्त हैं। इनमें से कई का ठीकठाक अपराधिक इतिहास है।

अब जानिए कहां हुई चूक

माती कचहरी के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रेमचंद्र त्रिपाठी ने कहा, हम अदालत के फैसले पर कोई सवाल नहीं उठा रहे हैं लेकिन इस प्रकरण में चौबेपुर पुलिस ने बड़ी लापरवाही की। उन्होंने बताया कि बिकरू कांड के आठ घंटे पहले संजय दुबे उर्फ संजू और बालगोविंद पर हत्या के प्रयास, अपहरण जैसी गंभीर धाराओं में एफआईआर हुई थी। उसका भी जिक्र गैंग चार्ट में नहीं किया गया। राहुल तिवारी ने विकास दुबे और उसके साथी संजय दुबे उर्फ संजू और बालगोविंद आदि पर ये रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसी रिपोर्ट के बाद सीओ टीम के साथ विकास को गिरफ्तार करने गए थे। रात में गोली चलाई गई जिसमें सीओ समेत पुलिस कर्मी मारे गए। अधिवक्ता का कहना है कि इतने गंभीर मामले में दाखिल किए गए गैंगस्टर चार्ट में बड़ी घटना के आठ घंटे पहले की एफआईआर का जिक्र न करना समझ से परे है। इसका फायदा संजय और बालगोविंद को मिला और ये गैंगस्टर एक्ट में दोषमुक्त साबित हुए।

राज्यमंत्री की हत्या में था नामजद, गैंगस्टर में हो गया दोषमुक्त

पुलिस ने विकास के करीबी रहे अरविंद त्रिवेदी उर्फ गुड्डन, बाल गोविंद पर शिवली थाने में अपराधिक मामले दर्ज रहे हैं लेकिन पुलिस ने उसका भी जिक्र नहीं किया। संजय दुबे उर्फ संजू दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री रहे संतोष शुक्ला की हत्या में नामजद था। तब भी उस पर गैंगस्टर लगा था। इसके बाद फिर से पुलिस ने उस पर गैंगस्टर लगाया जिसमें वह 2 दिसंबर 2022 को दोषमुक्त हुआ। अब 5 सितंबर को आए फैसले में तीसरी बार भी वह गैंगस्टर में दोषमुक्त हो गया। अधिवक्ता प्रेमचंद्र त्रिपाठी ने बताया कि संजय पर 10 से अधिक अपराधिक मामले हैं। पुलिस उन्हें कोर्ट के सामने रख नहीं पाई।

बेटे का कर दिया एनकाउंटर और बाप को बना दिया मुल्जिम

अधिवक्ता प्रेमचंद्र त्रिपाठी ने बताया कि प्रशांत उर्फ डब्बू और राजेंद्र मिश्रा का कोई अपराधिक इतिहास नहीं है। वह केवल बिकरू की घटना में आरोपी बनाए गए। पुलिस उनके विरूद्ध भी कोई मजबूत तथ्य कोर्ट के समक्ष नहीं रख सकी। प्रेमचंद्र का कहना है कि राजेंद्र मिश्रा के बेटे प्रभात उर्फ कार्तिकेय का बिकरू कांड के बाद एनकाउंटर कर दिया गया तो राजेंद्र ने मानवाधिकार को शिकायत कर बताया था कि कार्तिकेय की उम्र केवल 16 साल थी और पुलिस ने उसे पकड़ कर मार दिया। ये मामला मीडिया में बहुत चला। आरोप है कि इससे बौखलाई पुलिस ने राजेंद्र मिश्रा को घटना में आरोपी बना दिया ताकि वह विरोध में आवाज न उठाएं और शांत हो जाएं।

फर्जी एफआईआर से ही बढ़ी थी खुन्नस

अधिवक्ता प्रेमचंद्र त्रिपाठी की मानें तो जिस एफआईआर के बाद बिकरू कांड हुआ वह एक तरह से फर्जी थी। इसी से विकास दुबे नाराज हुआ और आपा खो कर उसने खौफनाक घटना को अंजाम दे डाला। राहुल तिवारी ने अपराध संख्या 191/20 दर्ज कराई थी। उसमें आरोप लगाया था कि विकास और उसके साथियों ने अपहरण करके जानलेवा हमला किया, जबकि डाक्टरी परीक्षण में राहुल को खरोंच तक न होने की बात सामने आई। इसी एफआईआर के बाद कई थानों के फोर्स के साथ सीओ विकास दुबे को गिरफ्तार करने गए थे।

कौन हैं अधिवक्ता प्रेमचंद्र त्रिपाठी

अधिवक्ता प्रेमचंद्र त्रिपाठी कानपुर खलासी लाइन के रहने वाले हैं। वह कानपुर कचहरी में बैठते हैं। दो दिन माती आते हैं। विकास दुबे के हर मुकदमे में वह वकील रहे हैं। विकास दुबे उन्हें हमेशा गुरूदेव कहता था। वह बताते हैं कि विकास बेहद गुस्सैल स्वभाव का था। उसके साथ बड़ी टीम भी थी। उसने लोकसभा चुनाव के दौरान चौबेपुर के प्रभावशाली नेता व ब्लाक प्रमुख को सरेआम थप्पड़ जड़ दिया था।

कई दूसरे वकील भी बोले, पुलिस से हुई बड़ी चूक

अधिवक्ता पवनेश कुमार शुक्ला ने कहा कि गैंगस्टर मामले में उनके पास कई मुल्जिम थे जिसमें चार बरी हो गए हैं। जो दोषी साबित किए गए हैं उनके मामले में वह हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। उनसे जब सात लोगों के दोषमुक्त होने का सवाल किया गया तो उन्होंने भी एक ही बात कही कि पुलिस की चूक का फायदा मिला। पुलिस ने कोर्ट के सामने समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करने में लापरवाही की। वहीं जिला शासकीय अधिवक्ता राजू पोरवाल का कहना है कि जो अभियुक्त दोषमुक्त साबित हुए हैं उन्हें हाईकोर्ट में कड़ी पैरवी करके सजा दिलाएंगे।

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