यूपी में लौट आया VIP कल्चर!

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यूपी में लौट आया VIP कल्चर!
यूपी में लौट आया VIP कल्चर!

जहां एक तरफ देश के प्रधानमंत्री मोदी वीवीआईपी कल्चर को खत्म करने की बात करते नजर आते हैं, वहीं दूसरी तरफ यूपी में वीआईपी कल्चर को नया नाम देने का प्रकरण शूरू हो चुका है। जी हाँ, यूपी सरकार ने यह फैसला लिया है कि यूपी में सांसदों और विधायकों के लिए अलग से टोल प्लाजा की लेन बनाई जाएगी। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का कहना है कि सांसदों और विधायकों के लिए अलग से टोल प्लाजा लेन इसलिए बनाया जा रही है, ताकि वे ट्रैफिक और भीड़ से बच सकें।

यूपी सरकार के इस फैसलें से यह साफ जाहिर होता है कि यूपी में वीआईपी कल्चर लौटने के लिए तैयार है। अभी कुछ महीने पहले ही देशभर के सांसदों और विधायकों के गाड़ियों से नीली बत्ती को हटाने का प्रकरण हुआ था, जिससे देश से वीआईपी कल्चर का धीरे-धीरे खात्मा हो जाए। लेकिन यूपी सरकार के इस फैसलें से वीआईपी कल्चर के लौट आने की आशंकाएं जताई जा रही है।सांसदों और विधायकों के लिए अलग टोल प्लाजा लाईन की सुविधा नेशनल हाईवे पर दी जाएगी। जिसके लिए सभी जिला अधिकारियों को कड़े निर्देश भी दिए जा चुके है।

आपको बता दें कि यूपी में हाल ही में विधायकों और सांसदों द्वारा टोल कर्मचारियों के साथ मारपीट और बदतमीजी करने के कई मामलें सामने आए है। विधायक और सांसदों को छोड़ दें तो राज्य की पुलिस भी टोल कर्मचारियों के साथ मारपीट करती है। यहां सवाल यह उठता है कि यूपी में जिस तरह से टोल पर विधायकों और सांसदों की गुंडागर्दी के मामलें सामने आ रहे तो क्या उनके लिए अलग से टोल लाईन बना देने से, उनकी गुंडागर्दी में इज़ाफा नहीं होगा? गुंडागर्दी में इज़ाफा होने की संभवानाएं तो कई बड़े अधिकारी भी कर रहे है। अधिकारियों और टोल कर्मचारियों का कहना है कि टोल लाईन अलग से बनने में सांसदों और विधायकों के रवैये में नकारात्मक बदलाव आएगा, क्योंकि उनका मानना है कि सांसद और विधायक गुंडागर्दी के नये रूप को अपना सकते है।

बहरहाल सांसदों और विधायकों के लिए अलग से टोल प्लाजा की लाईन उनके व्यवहार में कितना बदलाव लाता है या फिर उनकी दादागिरी से टोल कर्मचारियों को जूझना पड़ेगा… ये तो खैर वक्त ही वताएगा।