ज़ाकिर नाइक को लगता है कि उसकी भारत में निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी: मलेशियाई पीएम

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एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने सोमवार को कहा कि उनके देश के पास यह अधिकार है कि वह विवादास्पद उपदेशक ज़ाकिर नाइक को भारत में प्रत्यर्पित न करें, क्योंकि प्रचारक नाइक का दावा है कि उसे एक निष्पक्ष ट्रायल इंडिया में नहीं मिलेगा।

गौरतलब है कि 53 वर्षीय कट्टरपंथी टेलीविजन उपदेशक जाकिर नाइक 2016 में कथित तौर पर भारत छोड़ दिया था और बाद में लार्जेल मलेशिया चला गया। मलेशिया में उसे स्थायी निवास स्थान प्रदान किया गया।

मलेशियाई प्रधानमंत्री ने द स्टार अखबार के हवाले से कहा, “सामान्य तौर पर जाकिर को लगता है कि उन्हें भारत में निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी।”

उन्होंने इस प्रत्यर्पण को पूर्व पुलिस कमांडो सिरुल अजहर उमर के ऑस्ट्रेलिया प्रत्यर्पण से तुलना करते हुए जाकिर का प्रत्यर्पण भारत को करने से इंकार किया। ज्ञात हों कि उमर को 2015 में मलेशिया में मंगोलियाई मॉडल की हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। मलेशियाई प्रधानमंत्री ने कहा, “हमने ऑस्ट्रेलिया से सिरुल का प्रत्यर्पण करने का अनुरोध किया और उन्हें डर है कि हम उसे फांसी पर चढ़ाने जा रहे हैं।”

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जाकिर नाइक को 2016 में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा एक राष्ट्रीय जांच एजेंसी FIR के आधार पर आरोपित किया गया था जो गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत पंजीकृत था।

जांच एजेंसी ने पिछले महीने कहा था कि ज़ाकिर नाइक ने अपने भाषणों के लिए सालों से अज्ञात अपने “शुभचिंतकों” के ट्रस्टों में करोड़ों की धनराशि प्राप्त की। कथित तौर पर यह धनराशि आतंकवाद फैलाने, घृणा फैलाने और मुस्लिम युवाओं को भड़काने” के लिए था।

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इस्लामिक रिसर्च फ़ाउंडेशन (IRF), मुंबई स्थित चैरिटी ट्रस्ट ने ज़ाकिर नाइक द्वारा प्रचारित और नियंत्रित किया जाता था। प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक कथित रूप से इस फाउंडेशन को दान और ज़कात (इस्लाम में दान देने का एक प्रकार) के रूप में घरेलू और साथ ही संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, बहरीन, कुवैत, ओमान और मलेशिया जैसे देशों से धन प्राप्त हुआ।