अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे और इन हालातों के लिए जिम्मेदार कौन ?

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अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे और इन हालातों के लिए जिम्मेदार कौन
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे और इन हालातों के लिए जिम्मेदार कौन

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे और इन हालातों के लिए जिम्मेदार कौन ? ( Taliban occupation of Afghanistan and who is responsible for these situations? )

अफगानिस्तान पर लगभग तालिबान समूह का कब्जा हो गया है. जिससे पूरे अफगानिस्तान में अफरातफरी का माहौल बना हुआ है. सभी देश लगातार अपने नागरिकों को वहां से निकालने की कोशिश कर रहे हैं. वहां से लगातार इस तरह की तस्वीरे भी आ रही है, जो हर किसी को विचलित कर सकते हैं. वहां के लोग किसी ना किसी तरह यहां से बाहर किसी सुरक्षित जगह में जाना चाहते है. लेकिन इन सब परिस्थितियों के बीच सवाल यह पैदा होता है कि ये हालात क्यों बनें , क्या इन हालातों को टाला जा सकता था या फिर अफगानिस्तान के इन हालातों के लिए जिम्मेदार कौन है ? इस पोस्ट में इसी मुद्दे पर चर्चा करते हैं.

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अमेरिका राष्ट्रपति

क्या अमेरिका जिम्मेदार है ? 

काफी लंबे समय से अमेरिका की फौज की उपस्थिति की वजह से तालिबान एक दायरे में बंधकर रह गया था. लेकिन अमेरिका सरकार के द्वारा अपने सैनिकों को वापस बुलाने के फैसले के बाद तथा 31 अगस्त तक पूरी तरह अफगानिस्तान छोड़ने के फैसले के बाद तालिबान का हौसला बढ़ा. हालांकि इससे पीछली ट्रंप सरकार ने यह फैसला ले लिया था. लेकिन अमेरिका के फौज वापस बुलाने के तरीके पर उसकी आलोचना विदेशों में ही नहीं अमेरिका में भी की जा रही है. अमेरिका में भी इसे अमेरिका राष्ट्रपित बाइडन की विदेश नीति की असफलता बताया जा रहा है.

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तालिबान

क्या अफगानिस्तान की सेना जिम्मेदार है ?

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने इसे अफगान सेना की नाकामयाबी बताया. उनका कहना था कि दो दशक तक अमेरिका ने अरबों डालर का निवेश किया है तथा उनके सैनिकों को प्रशिक्षित किया है. इस समय अफगान सैनिकों को अपने मूल्क की रक्षा की जिम्मेदारी स्वयं उठानी चाहिएं थी. लेकिन उन्होंने फैसला किया कि वो काबुल के लिए नहीं लड़ेगें.

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अशरफ गनी

अफगानिस्तानी राष्ट्रपति अशरफ गनी की भूमिका-

आलोचको के द्वारा अफगानिस्तानी राष्ट्रपति अशरफ गनी की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं. जब देश को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी या कहें कि सैनिकों और आम नागरिकों को हौसला देने के लिए आगे आने की जरूरत थी उन्होंने अपने देश को छोड़ दिया. हालांकि इसके बाद उन्होंने बयान दिया कि खून-खराबे को कम करने के लिए उन्होंने ऐसा किया है. लेकिन रूसी दूतावास की तरफ से खुलासा करते हुए दावा किया गया कि अशरफ गनी अफगानिस्तान छोडते समय 4 कारों में तथा एक हेलीकाप्टर में पैसा भरकर अपने साथ ले गया.

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अगर देखा जाए तो हम अमेरिका की नीति की बात करें, अफगानिस्तान सेना के समर्पण की या फिर अशरफ गनी के देश छोड़कर जाने की. किसी ने भी अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरह से निभाने की प्रतिबद्धता नहीं दिखाई. जिसका परिणाम वर्तमान समय में अफगानिस्तान के आम नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है तथा अगर अफगानिस्तान की जमीन को आतंक के अड्डे के तौर पर निर्मित किया गया तो इसका भयंकर परिणाम दुनिया को भी भुगतना पड़ सकता है.

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