केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के उस फैसले को गैर-कानूनी करार दिया है, जिसके तहत 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का आदेश दिया गया था। राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि वह UP सरकार से इस निर्णय को वापस लेने की मांग की है, क्योंकि ये कानूनी रूप से उचित नहीं है।
थावर चंद गहलोत ने कहा कि यह पूरी तरह से असंवैधानिक है क्योंकि यह संसद का विशेषाधिकार है और यह किसी भी विधि न्यायालय में मान्य नहीं है। हम योगी सरकार से इस फैसले को वापस लेने का अनुरोध करेंगे।
दरअसल बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने मंगलवार को राज्यसभा के शून्यकाल में UP की 17 जातियों को संवैधानिक प्रक्रिया के तहत अनुसूचित जाति की लिस्ट में डालने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि UP सरकार ने तीन दिन पहले इन 17 जातियों को OBC की लिस्ट से बाहर कर दिया और अनुसूचित जाति का सर्टिफिकेट देने के लिए कहा गया है जो कि पूरी तरह से गैर संवैधानिक है।
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आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का आदेश जारी किया था। इनमें 17 जातियों में कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर, धीमर, वाथम, तुरहा, गोड़िया, मांझी और मछुआरा शामिल हैं।
गौरतलब है कि बसपा प्रमुख मायावती भी योगी सरकार के इस फैसले पर असहमति जता चुकी हैं।