दिसंबर में इस दिन पड़ रहा है साल का तीसरा सूर्यग्रहण? जानें इसका पौराणिक महत्व

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हर साल सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण लगता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सभी का अपना अपना महत्व होता है। हिन्दू पुराणों और कथाओं के अनुसार हर एक ग्रहण का अपना मुहूर्त होता है। कभी कभी ग्रहण दुनिया के एक कोने में दिखता है लेकिन दूसरे कोने में नहीं। साल 2019 में अब तक बड़े सूर्यग्रहण लग चुके है। तीसरा और आखिरी सूर्यग्रहण 26 दिसम्बर को लगेगा। आइये इस बारें में विस्तार से जानते हैं।

ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य को ग्रहण लगना अच्छा नहीं माना गया है। दिलचस्प बात यह है कि इस ग्रहण को भारत सहित यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया और पूर्वी अफ्रीका में देखा जा सकता है।

खगोल वैज्ञानिकों का कहना है कि यह ग्रहण सूर्य ऐसा होगा जैसे सूर्य के सामने एक अंगूठी बन जायेगी। आइये जानते हैं क्या है इसके धार्मिक कारण-

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सूर्य ग्रहण लगने के कारण

यह तो सर्वज्ञात है कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है और चन्द्रमा पृथ्वी की। जब चाँद सूर्य और पृथ्वी के बीच और पृथ्वी चन्द्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है तो ग्रहण लगता है।

सूर्यग्रहण को लेकर धार्मिक मान्यताएं

धार्मिक मान्यताओं के समुद्र मंथन से निकले अमृत को पाने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच विवाद शुरू हो गया। इसे सुलझाने के लिए और अमृत को देवताओं को सौपने हेतु भगवान् विष्णु ने मोहिनी का रुप धर के देवताओं और असुरों के सामने आ गए। भगवान् के इस रूप पर के राक्षस को शक हो गया।

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राक्षस ने चालाकी से अमृत को पी लिया। इस बात की भनक सूर्य और चन्द्रमा को हो गयी। दोनों देवताओं की लाइन में बैठे थे। दोनों ने इस बारें में विष्णु जी को बता दिया। इसके बाद विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उस राक्षस का सर काट दिया। लेकिन राक्षस की मौत नहीं हुई क्योकि उसने अमृत पी रखा था। उसके दो धड़ हो गए। एक भाग राहु बन गया और एक केतु।

यही कारण है राहु और केतु सूर्य और चन्द्रमा को अपना शत्रु मानते हैं। कहा जाता है कि पूर्णिमा और अमावस्या के दिन इसलिए राहु और केतु सूर्य और चन्द्रमा का ग्रास कर लेते हैं। इसीलिए सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण कहते हैं।