आखिर क्यों है पर्यटकों की घूमने की पहली पसंद ‘लोटस टेम्पल’

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नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली अपने ऐतिहासिक स्मारक, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, खानपान, प्राचीन मंदिर, साहित्य, कला और इतिहास के लिए काफी प्रसिद्ध है. दिल्ली जो अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और सौंदर्य के लिए जानी जाती है. दिल्ली के ऐतिहासिक स्मारक और प्राचीन मंदिरों को देखने के लिए देश-विदेश के लोगों का जमवाड़ा देखने को अक्सर ही मिलता है. आज हम दिल्ली के एक ऐसे ही प्राचीन और बेहद खूबसूरत मंदिर के कुछ रोचक तथ्य से रूबरू करेंगे.

किसने किया लोटस टेम्पल का निर्माण

इस मंदिर का उद्घाटन 24 दिसम्बर 1986 को हुआ लेकिन आम जनता के लिए यह मंदिर 1 जनवरी, 1987 को खोला गया. इस मंदिर का निर्माण बहाई सम्प्रदाय के द्वारा किया गया है और उनके सात मुख्य मंदिरों में से एक है. यह भारत की राजधानी दिल्ली के नेहरु प्लेस एवं कालकाजी मंदिर के निकट स्थित हैं. इस मंदिर को बहाई मंदिर भी कहा जाता है. इसका वास्तु ईरानी-अमेरिकी वास्तुकार ‘फ़रीबर्ज़ सहबा’ ने दिया है. इसको कमल मंदिर भी कहा जाता है, इसकी कमल जैसी आकृति के लिए यह विश्व भर में प्रसिद्ध हैं. यह मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है. यह भव्य मंदिर सभी धर्मों के अनुयायियों के लिए प्रार्थना एवं ध्यान के लिए खुला है.

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तो चलिए जानते है इस लोकप्रिय मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें

दिल्ली का कमल मंदिर (लोटस टेम्पल) दिल्ली में स्थित एक अदभुत मंदिर है. यह उन सात प्रार्थना घरों में से एक है, जो बहाई धर्म का पालन करते है. बहाई धर्म के अन्य मंदिर सिडनी, पनामा शहर, अपिया, कम्पाला, फ्रैंकफर्ट और विलेमेट में हैं. दूर-दूर से इस मंदिर को देखने के लिए लोगों का अवागमन होता है. इस मंदिर में करीब 2400 श्रद्धालु प्रवेश कर सकते हैं.

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सभी धर्मों के लोग यह आकर ध्यान और प्रार्थना करते है

आपको बता दें कि इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है. यहां पर काफी शांत वातावरण है जो प्रार्थना और ध्यान में सहायक होता और सभी धर्मों के लोग यह आकर ध्यान और प्रार्थना करते है. इस ईमारत में 27 खड़ी मार्बल की पंखुड़ियां बनी हुई है. जिसे तीन और नौ के आकार में बनाया हुआ है. ये ही नहीं इसके एंट्री हॉल में 9 दरवाजे भी बनाये गये है जो करीब 40 मीटर के है.

Lotus shaped -

मंदिर में इस्तेमाल किया मार्बल ग्रीस से मंगवाया गया था

हम आपको पहले ही बता चुके है की इस मंदिर में किसी तरह की कोई तस्वीर या फिर मूर्ति नहीं है फिर भी इस मंदिर के दर्शन के लिए काफी संख्या में लोग आते है. लोटस टेम्पल में हर घंटे पांच मिनट के लिए प्रार्थना की जाती है.  इस मंदिर का निर्माण जिस व्यक्ति ने किया वो ईरान का रहने वाला था. कमल मंदिर को लगभग 700 इंजिनियर, तकनीशियन, कामगार और कलाकारों ने मिलकर बनाया. इसके नौ द्वार और नौ कोने हैं, माना जाता है कि नौ सबसे बड़ा अंक है, ये विस्तार, एकता को दर्शाता है. यह पर भक्त उपासना मंदिर के पुस्तकालय में बैठ कर धर्म की किताबें भी पढ़ते हैं.