बीजेपी ने महबूबा सरकार से समर्थन वापस लेने के पीछे बताई ये बड़ी वजह

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भारतीय जनता पार्टी ने आज एक बहुत बड़ा कदम उठाया है उसने जम्मू-कश्मीर सरकार से अपना समर्थन वापिस लिया है. बीजेपी के मुख्य नेता अमित शाह ने आज कश्मीर मसले पर बड़ी मीटिंग बुलाई है. शाह ने पार्टी के शीर्ष नेताओं समेत जम्मू-कश्मीर सरकार में शामिल अपने मंत्रियो को भी बुलाया हैं. जिसके बाद भाजपा ने समर्थन वापस लेने का फैसला किया है. इस पर भाजपा ने सरकार से अलग होने की इन अहम कारणों को बताया है.

इन वजह से बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर सरकार से हटने का नाम लिया

पहला कारण यह है कि रमज़ान में सीजफायर में मोदी सरकार की किरकिरी, दूसरा कारण है ऑपरेशन ऑलआउट पर सहयोग नहीं, तीसरा कारण, आने वाले लोकसभा चुनाव 2019 में पीडीपी से रिश्ते पर बीजेपी को नुकसान होने का खतरा, चौथा कारण है, पत्थरबाजों पर सख्ती नहीं हुई, पांचवा कारण है, सेना के ऑपरेशन पर मतभेद. छठा कारण है, पीडीपी ने बीजेपी और केंद्र सरकार के काम में अड़ंगा डालने की कोशिश की है और सातवां और मुख्य कारण है मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती राज्य में हालात नहीं संभाल पाईं.

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दरअसल, भाजपा ने यह फैसला इसलिए लिया है क्योंकि राज्य में कानून व्यवस्था की बिगड़ती हालत है. वहीं जम्मू-कश्मीर की पीडीपी पार्टी चाहती है कि कश्मीर में सीजफायर को आगे बढ़ाया जाये और हुर्रियत से बातचीत हो. पर भाजपा पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इस चीज को लेकर सहमत नहीं था.

विकास कार्य में भेदभाव

भाजपा पार्टी के महासचिव राम माधव ने जानकारी देते हुए कहा की पीडीपी के इरादों पर सवाल नहीं है, लेकिन राज्य सरकार विफल रही है. हमेशा से जम्मू और लद्दाख के विकास पर बीजेपी के मंत्रियों को कई प्रकार की दिक्कते आती रही है. कई विभागों में काम के लिहाज से जम्मू और लद्दाख के साथ भेदभाव जनता महसूस करती रही.

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राज्यपाल शासन लागू होने से सुधरेगी हालत

उन्होंने आगे कहा कि देश में अखंडता और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, कश्मीर को देश का अहम हिस्सा मानते हुए भाजपा ने इस फैसले पर निर्णय लिया है. अगर राज्य में गवर्नर का शासन आए तो परिस्थिति में सुधार किया जा सकता है. अभी जो जम्मू-कश्मीर में परिस्थिति बनी है उसका आकलन पार्टी ने किया है. एजेंसियों और गृह मंत्रालय से इनपुट लेने के बाद ही बीजेपी ने यह निर्णय लिया है. इस मसले को लेकर पार्टी ने प्रदेश नेतृत्व और राज्य सरकार के मंत्रियों से भी विचार-विर्मश किया.

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बता दें कि तीन साल पहले यह सरकार गठित हुई थी, उस समय खंडित जनादेश था. जहां जम्मू इलाके में बीजेपी तो कश्मीर घाटी में पीडीपी की ज्यादातर सीट मिली. चार महीने के आपसी सहमती के बाद दोनों पार्टियों ने एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाकर सरकार बनाई.