चीन की इस चाल से हो सकता है भारत को बड़ा नुकसान

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चीन की मिलिट्री गुप्तचर संस्था गुओजिया एंकुअन बूमस (गुयानबू) की नजर भारतीय परमाणु परियोजनाओं पर है। संस्था के पांच गुप्तचर इन परियोजनाओं की सूचनाएं एकत्रित करने के लिए राजस्थान समेत भारत के विभिन्न राज्यों में सक्रिय हैं। सूत्रों के अनुसार इनकी प्राथमिकता में डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एंव विकास संगठन) की गोपनीय सूचनाएं हासिल करना है।

चीन की मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी के सूत्रों के अनुसार इस मिशन की जिम्मेदारी चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सेकेंड ब्यूरो के थर्ड ऑफिस रेजिमेंट की यूनिट नंबर 61398 के कैप्टन सनकोई लाइंग उर्फ जैक्सन उर्फ सनकाई लाइंग, पीएलए के सेंट्रल सिक्योरिटी रेजीमेंट की 8341 यूनिट के कर्नल वांग डांग उर्फ जैक वांग उर्फ ग्लाई कोरिला, सेकेंड ब्यूरो के थर्ड ऑफिस रेजीमेंट की यूनिट नंबर 61398 के मेजर यू जेहांग यू, इसी यूनिट के कैप्टन यांग जेंगया उर्फ यंग जेह्न उर्फ यू हाई इन व पीएलए के फॉरेन लैंग्वेज इंस्टीट्यूट के शिक्षक सह मेजर वायोईये जुसांग को सौंपी गई है।

ये सभी चीनी गुप्तचर साइबर की सूचनाएं हैक करने, परमाणु बम और मिसाइल टेक्नोलॉजी के विशेषज्ञ हैं। ये सभी भारत में डीआरडीओ व राजस्थान के न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की रावनतभाटा साइट की नाभिकीय प्रशिक्षण केंद्र की गोपनीय सूचनाएं एकत्रित करने की कोशिश में हैं। भारतीय मिशन पर भेजे गए ये पांचों गुप्तचर पूर्व में अमेरिका व रूस की परमाणु सूचनाएं चोरी कर सकुशल चीन वापस लौट चुके हैं।

इसके बाद चीनी गुप्तचर संस्था ‘गुयानबू’ में इनका कद काफी बढ़ चुका है। चीन की मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी के अधीन ‘गुयानबू’ की स्थापना 1983 में हुई थी। इसके मुख्यालय का पता थियानमेन स्क्वॉयर एट डॉगचांगडगेन एवन्यू जिला डॉगचेंग, बीजिंग है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए के अनुमान के मुताबिक चीन की इस गुप्तचर संस्था के लिए कुल एक लाख लोग काम करते हैं। इसमें से 40 हजार चीन के अंदर बाकी के 60 हजार दुनिया के विभिन्न देशों में सक्रिय हैं।

हिंदुस्तान में प्रतिबंधित संगठनों की करती है मदद

‘गुयानबू’ उत्तर-पूर्वी भारत में प्रतिबंधित संगठन एनएससीएन (खपलांग), कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी, जैसे विभिन्न अलगाववादी संगठन, म्यांमार के प्रतिबंधित संगठन न्यू डेमोक्रेटिक आर्मी कचीन, युनाइटेड स्टेट ओया आर्मी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ भूटान (माओवादी), भाकपा (माओवादी) जैसे विभिन्न संगठन की मदद कर मणिपुर व अरुणाचल प्रदेश के कई जिलों को अशांत बनाने में मददगार है।