बिहार के इस गाँव को कोई फर्क़ नहीं पड़ता चाहे प्याज की कीमत 500 रूपये किलो हो जाए, जानिए क्यों?

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बिहार के इस गाँव को कोई फर्क़ नहीं पड़ता चाहे प्याज की कीमत 500 रूपये किलो हो जाए, जानिए क्यों?

देश भर में प्याज की कीमतें आसमान छू रही हैं और देश के विभिन्न हिस्सों में प्याज की कीमत 70 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 100 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है।

बिहार में प्याज की कीमत 70-80 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। प्याज की कीमतें इस तरह से बढ़ रही हैं कि बिहार राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (BISCOMAUN) पिछले कुछ दिनों से बिहार की राजधानी पटना के कई इलाकों में लोगों को राहत देने के लिए 35 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से प्याज की आपूर्ति कर रहा है।

दिलचस्प बात यह है कि बिहार में एक गाँव ऐसा भी है जहाँ प्याज के दामों में कोई दिलचस्पी नहीं है, भले ही दाम 500 रुपये किलों ही क्यों न हो जाए, इस गाँव के लोगों को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है। हम बात कर रहें हैं जहानाबाद जिले की चिरि पंचायत का त्रिलोकी बिगहा गाँव की, जो पटना से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस गांव में 35 परिवार हैं और इसकी आबादी लगभग 300 से 400 हैं।

देश भर में प्याज की कीमतें कितनी भी अधिक क्यों न हों, इस गाँव के लोग परवाह नहीं करते हैं क्योंकि पूरे गाँव में कोई भी प्याज नहीं खाता है।

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आश्चर्यजनक रूप से यह पता चला कि इस गांव का प्रत्येक व्यक्ति शुद्ध शाकाहारी है और प्याज या लहसुन का सेवन नहीं करता है। गांव में कोई भी शराब को भी हाथ नहीं लगाता है।

इस गांव के बुजुर्गों का कहना है कि इस गांव में कई सदियों से किसी ने भी प्याज या लहसुन नहीं खाया है।

गाँव के रहने वाले रामप्रवेश यादव ने कहा, “इस गाँव के लोगों ने सदियों से प्याज खाना बंद कर दिया है क्योंकि इस गाँव में भगवान विष्णु का मंदिर है। आज भी गाँव के लोग पूरी ईमानदारी के साथ अपने पूर्वजों द्वारा शुरू की गई प्रथा का पालन करते हैं।”

यादव ने आगे कहा कि उन्हें यह भी पता नहीं है कि प्याज की कीमत क्या है?

रामप्रवेश यादव ने यह भी दावा किया कि पहले इस गाँव के लोगों ने प्याज खाने की कोशिश की लेकिन जिन-जिन ने कोशिश की उनके साथ दुर्घटना हो गयी। इसलिए सभी ग्रामीणों ने प्याज का सेवन न करने का फैसला किया।

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यादव ने यह भी कहा कि ग्रामीणों को निश्चित रूप से परंपरा का पालन करने में कुछ कठिनाइयां हैं, लेकिन वे इसका पालन करते हैं, अगर कोई भी व्यक्ति कभी भी गांव से बाहर जाता है, तो वह उस स्थान पर भोजन करने की कोशिश करता है जहां प्याज और लहसुन का उपयोग नहीं किया जाता है।