डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय ने बुधवार को डिजिटल लाकर की सुविधा शुरू कर दी है। ऐसे में अब इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं को अपने डाक्यमूेंट रखने में किसी भी झंझट का सामना नहीं करना पड़ेगा। लॉकर में छात्र अपने डाक्यूमेंट ऑनलाइन सेव कर सकते हैं साथ सुरक्षा केनाम पर छात्रों को लॉकर का पासवर्ड भी मुहैया कराया जायेगा। साथ ही डिजिटल लॉकर से डिग्री सत्यापन भी आसानी होगी। साथ ही फर्जी डिग्री के मामलों से भी निजात मिल जायेगी। इस बारे में जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक प्रो. राजीव कुमार ने बताया कि डिजिटल लाकर पर 2017-18 में पास हुए छात्र-छात्राओं के सभी अंक पत्र एवं प्रमाण पत्र उपलब्ध करवा दिए गए हैं। अब छात्र-छात्राएं अपने अंकपत्र एवं डिग्री प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते हैं।
इसके लिए छात्र.छात्राओं को डिजिटल लाकर पर स्वयं को पंजीकृत करना होगा। उन्होंने बताया कि अब छात्र-छात्राओं को मूल प्रमाण पत्र सीधे डीजी लाकर से प्राप्त हो जाएंगे। प्रो. राजीव ने बताया कि अक्सर ऐसा होता है कि कोई छात्र जॉब अथवा किसी अन्य प्रयोजन से जाते समय साथ में ला जा रहे मूल अंकपत्र और डिग्री प्रमाण पत्र खोने से परेशान होते हैं। साथ ही डुप्लीकेट अंकपत्र और डिग्री प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए एक लम्बी प्रक्रिया करते हैं।
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ऐसे में अब डिजिटल लाकर की सुविधा शुरू होने से विवि के छात्र-छात्राओं को मूल अंकपत्र एवं डिग्री प्रमाण पत्र साथ नहीं कैरी करने पड़ेंगे। साथ ही साथ उनका सत्यापन भी क्लीक मात्र तक सिमित हो जाएगा। इसके अतिरिक्त फर्जी डिग्री धारकों पर लगाम कसना और आसान होगा। विवि के कुलपति ने कहा कि डिजिटल लाकर की सुविधा आज के युग में महत्वपूर्ण हो गयी है। ऐसे में विवि ने इस सुविधा को छात्र.-छात्राओं तक पहुंचाने के लिए डिजिटल लाकर पर अंकपत्र एवं प्रमाण पत्र उपलब्ध करवाने जैसा कदम उठाया है।
अभी तक प्रदेश में किसी यूनिवर्सिटी में लॉकर की सुविधा नहीं
अभी कि प्रदेश भर में संचालित 28 विश्वविद्यालयों में से एक भी विश्वविद्यालय ने छात्रों को डिजिटल लॉकर की सुविधा नहीं दी है। ऐसे में आये दिन छात्रों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं दूसरी ओर डिग्री सत्यापन भी बड़ा म़ुश्किल होता है। यही कारण है कि बेसिक शिक्षा परिषद में तमाम फर्जी शिक्षकों के डाक्यमेंट सत्यापित नहीं हो पाये और उनको बिना सत्यापन के ही वेतन मिलता रहा है। एकेटीयू लॉकर की सुविधा को मुहैया कराने में पहला विश्वविद्यालय बना है।
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