UP Election 2022 BJP Candidate List : भाजपा ने ‘पुरानों’ पर किया भरोसा, जातीय समीकरण भी परोसा

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UP Election 2022 BJP Candidate List : भाजपा ने ‘पुरानों’ पर किया भरोसा, जातीय समीकरण भी परोसा

हाइलाइट्स

  • दो चरणों की सूची में बीजेपी ने 44 पिछड़ों और 19 दलितों को दिया टिकट
  • योगी-केशव के साथ मंत्रियों को मैदान में उतार बड़े चेहरों पर लगाया दांव
  • पहली लिस्‍ट में 10 महिलाएं भी शामिल, कांग्रेस के अभियान का जवाब
  • जिताऊ चेहरों पर भी बीजेपी ने जताया भरोसा, एक मंत्री का टिकट कटा

लखनऊ
भाजपा ने पहले और दूसरे चरण के प्रत्याशियों में अपने पुराने साथियों के साथ जातीय समीकरण पर सबसे ज्यादा भरोसा किया है। पार्टी ने कुल 107 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। इनमें 60% टिकट पिछड़े और दलितों को दिए गए हैं। भाजपा ने सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और एक को छोड़ सभी मंत्रियों को चुनाव मैदान में उतार कर बड़े और जिताऊ चेहरों पर दांव लगाया है तो कम टिकट काटकर ‘अपनों’ पर उम्मीद कायम रखी गई है।

पुरानी सोशल इंजिनियरिंग फिर आजमाई
भाजपा ने नए प्रयोग से परहेज किया है तो 2017 में आजमाई सोशल इंजिनियरिंग को फिर से दोहराया है। पश्चिमी यूपी का खास ध्यान रखकर जाटों और गुर्जरों के साथ दलितों पर ज्यादा भरोसा किया गया है। भाजपा ने पिछली बार 58 में से 53 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार पार्टी ने ने 17 जाट, 7 गुर्जर और 19 दलितों को प्रत्याशी बनाया है। 2017 में भी 16 जाट, 7 गुर्जर और 18 दलितों को पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया था। पश्चिमी यूपी के 10-12 जिलों में जाटों और गुर्जरों की 16 से 17% आबादी अपना असर रखती है।

पिछड़ों-दलितों का विकल्प बनने की कोशिश
भाजपा के यूपी चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने प्रत्याशियों की घोषणा करते वक्त इस पर ज्यादा जोर दिया कि पार्टी ने सामान्य सीट से भी अनुसूचित जाति के उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारा है तो इसके पीछे मंशा साफ थी कि वह अब भी पिछड़े और दलितों पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं। बसपा और आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद की सपा से नाराजगी के बाद भाजपा दलितों के सामने खुद को विकल्प के रूप में पेश कर रही है। प्रत्याशियों के चयन में यह मंशा साफ दिखी है। इनमें 44 सीटों पर पिछड़ा वर्ग के तो 19 सीटों पर दलित प्रत्याशी उतारा गया। इनमें सहारनपुर सामान्य सीट से दलित जगपाल सिंह से प्रत्याशी बनाकर संदेश देने की कोशिश की गई है।

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योगी और केशव से लगेगा बड़ा दांव
सीएम योगी आदित्यानाथ को अयोध्या या मथुरा से उतारने की बजाए उनके गृह जिले गोरखपुर से चुनाव मैदान में उताकर सीधे हिंदुत्व के दांव से परहेज किया। गोरक्षपीठ को सामाजिक समरसता का पीठ माना जाता है। यह निषादों के साथ दलितों की भी आस्था का बड़ा केंद्र है। योगी खुद बड़ा चेहरा हैं पर 2018 में गोरखपुर में हुए उपचुनाव में निषादों के साथ से सपा को मिली जीत से यह भी सामने आ गया था कि समाजवादी पार्टी जातीय गोलबंदी से कुछ असर दिखा सकती है। सपा में गए स्वामी प्रसाद मौर्य, ओम प्रकाश राजभर, दारा सिंह चौहान पूर्वांचल से हैं।

सपा की रणनीति पूर्वांचल में जातीय ताने बाने के सहारे भाजपा की हर रणनीति को ध्वस्त करने की है। इस वजह से भी भाजपा योगी को गोरखपुर से लड़ाकर पूर्वांचल में जातीय गोलबंदी को बेअसर करना चाहती है। इस बार निषाद पार्टी भी भाजपा के साथ है तो योगी अपनी सीट के साथ पूर्वांचल के कई जिलों में भाजपा को मजबूत बनाने में मददगार साबित होंगे। गोरखपुर की सीट भाजपा के लिए ‘सेफ’ मानी जाती है तो वह पूरे प्रदेश में ध्यान भी दे सकेंगे। वहीं, केशव मौर्य पिछड़ों के नेता हैं और 2017 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे, इससे वह कौशांबी के साथ आसपास की सीटों पर असर डालेंगे।

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दस महिलाओं को टिकट
भाजपा ने पहली ही सूची में दस महिलाओं को भी टिकट दिया है। महिलाओं के चयन में भी प्रोफाइल का ध्यान रखा गया है। इसे कांग्रेस के ‘लड़की हूं तो लड़ सकती हूं’ अभियान का जवाब माना जा रहा है। भले ही कांग्रेस ने 50 महिलाओं को टिकट दिया हो पर भाजपा ने पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य सरीखे बड़े दलित चेहरे को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं कैराना से चुनाव मैदान में उतरने जा रही मृगांका सिंह पूर्व दिवंगत मंत्री हुकुम सिंह की बेटी हैं और गुर्जरों में अपना खासा असर रखती हैं। बाह से चुनाव मैदान में उतरीं रानी पक्षालिका सिंह सपा सरकार में मंत्री रहे राजा महेंद्र अरिदमन सिंह की पत्नी और भदावर रियासत की रानी हैं। वह भी मौजूदा विधायक हैं।

जिताऊ चेहरे ही भरोसेमंद
भाजपा ने जिताऊ चेहरों पर ज्यादा भरोसा किया है। एक को छोड़कर सभी मंत्रियों पर भी दांव आजमाया गया है, तो तीन पूर्व सांसदों कुंवर भारतेंदु सिंह, यशवंत सिंह और चौधरी बाबूलाल को चुनाव मैदान में उतारा गया है। वहीं विवादों में रहने के बावजूद लोनी से नंद किशोर गुर्जर को जिताऊ होने की वजह से चुनाव मैदान में उतारा गया है।

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रामपुर में आजम से भिड़ने वाले को टिकट
रामपुर में भाजपा ने आजम खां से मोर्चा लेने वाले आकाश सक्सेना को टिकट दिया है। आजम को जेल भेजने वाले और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खां की विधायकी रद कराने के पीछे पूर्व मंत्री शिव बहादुर सक्सेना के बेटे आकाश का ही हाथ माना जाता है। भाजपा ने आजम के परिवार के सामने आकाश पर ही अपना बड़ा दांव लगाया है।

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