UP Election 2022: इस्तीफों ने बदली UP की सियासत, कानपुर-बुंदेलखंड के 3 विधायकों ने छोड़ी पार्टी, BJP के गढ़ में साइकिल
यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी का तगड़ा झटका लगा है। योगी सरकार में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य समेत चार विधायकों ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है। चारों विधायकों ने एसपी मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात की है। ये सभी विधायक बहुत ही जल्द समाजवादी पार्टी का दामन थामने वाले हैं। बीजेपी विधायकों के इस्तीफों ने यूपी की सियासत बदलकर रख दी।
कानपुर-बुंदेलखंड बीजेपी का सबसे मजबूत किया किला है। कानपुर-बुंदलेखंड से बिल्हौर सीट से विधायक भगवती सागर, तिंदवारी से बृजेश प्रजापति ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही औरैया के बिधूना से विधायक विनय शाक्य के भी इस्तीफे की चर्चा चल रही है। विनय शाक्य की बेटी रिया का आरोप है कि चाचा बीमार पिता को सपा में शामिल कराने लिए लखनऊ ले गए हैं। कानपुर-बुंदेलखंड के तीनों विधायक स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी माने जाते हैं।
बीजेपी क्यों मानती है मजबूत किला
कानपुर-बुंदलेखंड बीजेपी का गढ़ है। बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में कानपुर-बुंदेलखंड की 52 विधानसभा सीटों में से 47 सीटों पर कमल खिलाया था। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में कानपुर-बुंदेलखंड की 10 में से 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस लिए कानपुर-बुंदेलखंड को बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है। तीनों विधायक अपनी-अपनी जातियों के वोटरों के बीच मजबूत पकड़ रखते हैं।
बिल्हौर से भगवती सागर का इस्तीफा
कानपुर की बिल्हौर विधानसभा सीट सुरक्षित सीटों में से एक है। भगवती सागर तीन बार के विधायक हैं, और कद्दावर नेताओं में उनकी गिनती होती है। भगवती सागर सबसे पहला चुनाव बीएसपी की टिकट पर 1996 में बिल्हौर विधानसभा सीट से जीते थे। मायावती सरकार में बेसिक और माध्यमिक शिक्षामंत्री भी रहे थे। 2002 के विधानसभा चुनाव में भगवती सागर सपा के शिवकुमार बेरिया से हार गए थे। इसके बाद भगवती सागर झांसी के मऊरानीपुर चले गए, और से भी विधायक रहे। इसके बाद 2017 में बीजेपी की टिकट बिल्हौर विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर जीत दर्ज की थी।
भगवती सागर अपनी सरकार से नाराज थे
विधायक भगवती सागर दलित वोटरों की राजनीति करते हैं। बल्कि ये कहा जाता है कि भगवती सागर दलित समाज के बड़े चेहरे हैं। भगवती सागर पिछले कई महीनों से सरकार और सरकारी अफसरों से नाराज चल रहे थे। पिछले साल अक्टूबर महीने में चौबेपुर के पनऊपुरवा गांव में दबंगों ने एक दलित युवक की घर में घुस कर लाठी-डंडों से पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। इस मामले में पुलिस अधिकारी विधायक की नहीं सुन रहे थे, तो उन्हे धरने पर बैठना पड़ा था। इसके साथ हाइवे निर्माण में पीडब्लयूडी के अधिकारी मनमानी कर रहे थे। विधायक ने मनमानी का विरोध किया, तो अधिकारियों ने उनकी बातों को इग्नोर कर दिया। जिससे भी विधायक नाराज थे।
बांदा के तिंदवारी विधायक बृजेश प्रजापति
बांदा की तिंदवारी विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक बृजेश प्रजापति विधायक हैं। बृजेश प्रजापति के जाने से बीजेपी को बड़ा नुकसान हो सकता है। बृजेश प्रजापति ने अपनी ही सरकारी के खिलाफ बगावती शुर अपनाए थे। बांदा खनिज का गढ़ माना जाता है। विधायक ने खनन माफियाओं और अधिकारियों की मिली भगत से हो खनन का पुरजोर तरीके से विरोध किया था। बांदा के अधिकारी सत्ता दल के विधायक की बात नहीं सुनते थे।
बृजेश प्रजापति ने लखनऊ के नेताओं से इस संबंध में बात की तो उनकी बातों दरकिनार कर दिया गया। इसके साथ ही विधायक जातिगत गणना कराने की मांग को लेकर जिद पड़े थे। लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही थी। जिसकी वहज से उन्होने पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
बिधूना विधायक विनय शाक्य
विनय शाक्य की बेटी रिया शाक्य ने चाचा देवेश शाक्य पर गंभीर आरोप लगाए हैं। रिया का कहना है कि मेरे विधायक पिता की तबीयत ठीक नहीं है। चाचा उन्हे जबरन सपा में शामिल कराने के लिए लखनऊ ले गए हैं। जबकि हम सभी आज भी बीजेपी में हैं। ये तो बेटी का आरोप है कि लिए विनय शाक्य औरया जिले के बड़े चेहरे माने जाते हैं। शाक्य समाज में उनकी जबर्दस्त पकड़ है।
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