साल में सिर्फ एक बार ही खुलता है ये अद्भुत मंदिर जानिए क्यों?

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हिन्दू सभ्यता की जब हम बात करते है तो हम सब जानते है हिन्दू सभ्यता में भगवान, मंदिर, पूजा, आराधना इन सब का सर्वश्रेष्ठ स्थान है। हिन्दुसभ्यता में लोगो के विश्वास का भले ही अलग-अलग भगवानो के रूप में बसा हो मगर सबके विश्वास का वास एक ही जगह होता है और वो है मंदिर।
मंदिर ही वही पावन स्थल है जहाँ लोग अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए विश्वास भरे मन से आते है। भारत वर्ष में लाखो करोड़ो मंदिरो की विषमताएं देखने को मिलती है और हर मंदिर की अपनी ही खासियत जानने को मिलती है। भारत में स्थित हर विशाल मंदिर से कोई न कोई चमत्कारी कथा जुडी होती है जिसपर विश्वास कर लोग वहां पूजा, आराधना करने जाते है, कुछ ऐसा ही है उज्जैन के नागचंदेश्वर का मंदिर। इस मंदिर से जुडी बड़ी ही रोचक और हैरान कर देने वाली कथा सामने आती है। यहाँ के निवासियों का मानना है कि इस मंदिर में स्वयं नागराज देवता वास करते है और इसी कारण यह मंदिर साल में केवल नाग पंचमी के अवसर पर ही खुलता है ।

भारत में नागो को हमेशा से ही देवताओं का दर्जा दिया है और सदियों से नागो को पूजा गया है। हिन्दू सभ्यता के अनुसार इस मंदिर की छंटाकरी कथा यह है की महृषि कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू के तीन पुत्र
नागराज तक्षक, अनंत व वासुकी है ।जो कि सभी सापो के जनक है। नागराज का वास पाताल में है। अनंत विष्णु के भक्त है और वासुकी शिव के भक्त है । यह भी माना जाता है कि इस मंदिर में ग्यारवी शताब्दी की प्रतिमा है जो नेपाल से लाई गई है, पूरे भारत वर्ष में एक मात्र यही मंदिर है जहाँ ऐसी प्रतिमा है ।

 

इस मंदिर से जुडी ख़ास बात यह है कि पौराणिक मान्यता के अनुसार तक्षक ने तपस्या कर शिव को मनाया और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर अमरत्व का वरदान दिया था । माना जाता है तक्षक ने प्रभु के के साथ ही वास किया और उनकी मंशा थी कि उनकी तपस्या में कोई विघ्न न हो बस इसी कारण की वजह से यह मंदिर उनके सम्मान में बंद रहता है और कहा जाता है कि नाग पंचमी के दिन जो भी यहाँ दर्शन करने आता है उसका हर सर्प दोष से मुक्ति पा लेता है, नागपंचमी के दिन यहाँ आपार भक्तो की भीड़ देखने को मिलती है।

ऐसी कई मान्यताएं जुडी है उज्जैन के इस नागचंदेश्वर मंदिर से, जिन्हे आप जान सकते है वीडियो के माध्यम से।