CAA और NRC का कड़वा सच.

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सबसे पहले हम जानते हैं CAA और NRC क्या है ?
अगर हम आपको साधारण शब्दों में समझाए तो CAA ( citizenship amendment act ) में 31 दिसंबर , 2014 से पहले अफगानिस्तान , बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए गैर – मुस्लिम समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है. यहां हम आपको ये भी बताना जरूरी समझते हैं कि इस कानून में कहीं भी मुस्लिम समुदाय का जिक्र नहीं है , लेकिन धर्म के आधार पर प्रताड़ित होने का मतलब यहीं है कि गैर – मुस्लिम समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी, क्योंकि अफगानिस्तान , बांग्लादेश और पाकिस्तान में मुस्लिम बहुसंख्यक समुदाय में आते हैं.


अगर NRC ( National Register of Citizens ) को साधारण शब्दों में समझे तो यह एक रजिस्टर होता है , जिसमें देश के नागरिकों का नाम लिखा होता है.


अब सवाल ये उठता है कि अगर ये बात इतनी साधारण है तो चारों तरफ ये ऐसा माहौल क्यों और किसने बना रखा है,
सबसे पहले मुस्लिम समुदाय की चिंताओं पर बात करते हैं –

मुस्लिम समुदाय का कहना है कि अगर संविधान में भारत का कोई धर्म नहीं है, तो फिर CAA में मुस्लिम समुदाय को नागरिकता से अलग करना असंविधानिक है.

अगर CAA को NRC के साथ जोड़कर देखें तो एक उदाहरण से समझते हैं-
मान लो 100 लोग NRC के तहत भारत के नागरिक नहीं पाऐ जाते. उन में से 50 मुस्लिम समुदाय और 50 दूसरे समुदाय से संबध रखते हैं. अब दूसरे समुदाय के 50 लोगों को CAA के तहत नागरिकता मिल जाएगीं चाहे वो अफगानिस्तान , बांग्लादेश और पाकिस्तान इन तीनों में से किसी भी देश से संबंध रखते हों. लेकिन मुस्लिम समुदाय को सिर्फ इस आधार पर नागरिकता नहीं मिलेगी क्योंकि वो मुस्लिम हैं , अगर अप्रत्यक्ष रूप से देखें तो NRC का प्रभाव सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम समुदाय पर पडता है,
इसके समर्थन में जो तर्क दिए जा रहे हैं वो देखतें हैं –

इसके लिए तर्क दिया जाता है कि अफगानिस्तान , बांग्लादेश और पाकिस्तान इन तीनों देशों में इस्लाम धर्म है तो वहां पर कोई सवाल ही नहीं उठता कि वहां पर मुस्लिम समुदाय के लोग धर्म के आधार पर प्रताड़ित हों.

भारत की संस्कृति रही है कि हम प्रताड़ित लोगों को आश्रय देतें हैं.
शायद आप इस मुद्दे को समझ गए होगें.
अब समर्थन या विरोध करने वालों से कुछ कड्वी और सच्ची बाते करते हुए कुछ सवाल उठाते है.सबसे पहले जो लोग विरोध करते हैं उन से बात करते हैं-
अगर आप सोचते है कि कुछ गलत हो रहा है तो आप उसका विरोध कर सकते हैं ये आपका अधिकार है, तो हम कहते हैं ये आपका कर्तव्य भी है अगर आप विरोध नहीं करेगें तो कौन करेगा ?

लेकिन अगर आप एक तरफ आरोप लगाते हैं कि सरकार जो कानून बना रही है वो संविधान की आत्मा के खिलाफ है तो हम आपसे पूछना चाहते हैं कि जो हिंसा हो रही , क्या वो संविधान की आत्मा के अनुसार है ?? जी नहीं…..
लेकिंन हमारा दुर्भाग्य ये है कि जब हम मौलिक अधिकारों की बात करते हैं तो भूल जाते हैं कि संविधान ने हमें मौलिक कर्तव्य भी दिए हैं. देश की संपति की सुरक्षा करना हमारा कर्तव्य बनता है.

दूसरा सवाल –
अगर आप संविधान में दिए गए समता के आधार पर CAA को गलत मानते हैं तो आपको बताना चहाते हैं कि ये भारत के संविधान के तहत कानून बन चुका है अगर आपको इसमें कोई कमी नजर आती है तो आपके पास सिर्फ 2 ही रस्ते बचते हैं.

आप शांति पूर्ण तरीके से विरोध करें , अपनी बात रखनें के लिए social media का सहारा लेकर अपनें नेता को अहसास करांए की आप इस कानून के खिलाफ हैं. उनकों आपकी बात माननी पडेगी क्योंकि वोट लेने के लिए उनको आपके पास ही आना है.

दूसरा आप सुप्रीम कोर्ट में PIL दायर कर सकते हैं.
( सुप्रीम कोर्ट ;- एक उदाहरण बताते हैं निर्भया केस जहाँ शुरू से सब जानते हैं कि ये दोषी हैं, लेकिन फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों के मानवाधिकारों का ध्यान रखा . समय कितना भी लगे, लेकिन किसी के साथ अन्याय नहीं होना चहिए, तो CAA का विरोध करने वालों को हिंसक आंदोलन को छोडते हुए सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास रखना चाहिेए. अगर हम सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास नहीं करते तो कैसे बोल सकते हो कि CAA संविधान के खिलाफ है.
3.तीसरा सवाल-
अब बात करते हैं कुछ नेताओं कि जो बयान देते हैं कि हम अपने राज्यों में CAA लागू नहीं करेंगे. ये बयानबाजी पूरी तरिके से वोट बैंक के राजनितिक फायदे के लिए की जा रही है. CAA अब कानून बन चुका है प्रत्येक राज्य को अब इसे लागू करना ही होगा.

केरल में विधायकों द्वारा राज्यपाल का रस्ता रोकना देश के भविष्य के लिए बहुत खतरनाक है.
अब बात करते हैं समर्थन करने वालों और सरकार के बारे में –
ये बात सही है किसी भी देश के लिए NRC (National Register of Citizens ) बहुत जरूरी है सभी देशों का अपना NRC होता है. NRC के समर्थन में हैं उनकों भी समझना चाहिए . राजनिति के लिए देश में इस तरीके का माहौल बनाया दिया गया है जो हमारे देश लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकता है.

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NRC का एक अलग पहलू रखने की कोशिस करते हैं-
मान लो हम NRC लागू करते हैं. सबसे पहले देश में साम्प्रदायिकता का माहौल बढ सकता है. दूसरा -NRC में शामिल होने के लिए आसान प्रक्रिया होगी या बहुत कठीन. अगर आसान प्रक्रिया हुई तो सब शामिल हो जाएगें और अगर प्रक्रिया कठीन होगी तो ज्यादात्तर लोग बाहर हो जाएगें. यहां हम सिर्फ एक पहलू दिखाने की कोशिस कर रहें हैं जिस तरह नोटबदीं के समय कुछ लोगों ने अपने पद का दूरूपयोग किया तो क्या आपको नही लगता इससे भ्रष्टाचार बढ सकता है. जो लोग NRC में नहीं आए और कोर्ट केस हुए तो सोच कर देखें. हमारी सारी न्यायापालिका और प्रशासन सिर्फ इसी मुद्दे पर लगा रहेगा.

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अब हम ये नहीं कहते कि NRC नही लाना चहिेए NRC (National Register of Citizens ) बहुत जरूरी है ये सरकार का काम है, लेकिन जब साम्प्रदायिकता का माहौल बढ रहा है तो NRC के मुद्दे को कुछ समय के लिए टालकर , अभी रोजगार , आर्थिक क्षेत्र के साथ आम लोगो के जीवन पर भी ध्यान देना चाहिए.
CAA कानून बन गया चुका है, और राजनिति के लिए देश में इस तरीके का माहौल बनाया दिया गया है जो हमारे देश लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकता है. आप जितना इस मुद्दे को हवा देगे, ये विवाद उतना ही बढेगा,