Vivekananda bridge : 165 करोड़ रुपये खर्च…अब पूरा होने से पहले ही गिराया जाएगा कोलकाता का विवेकानंद पुल, जानें क्या है कारण

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Vivekananda bridge : 165 करोड़ रुपये खर्च…अब पूरा होने से पहले ही गिराया जाएगा कोलकाता का विवेकानंद पुल, जानें क्या है कारण

Vivekananda bridge : 165 करोड़ रुपये खर्च…अब पूरा होने से पहले ही गिराया जाएगा कोलकाता का विवेकानंद पुल, जानें क्या है कारण

हाइलाइट्स:

  • पश्चिम बंगाल में लेफ्ट की सरकार में हुआ था विवेकानंद पुल का कॉन्ट्रैक्ट
  • ममता सरकार आई तो पुल बनाने के काम में आई तेजी
  • 31 मार्च 2016 को पुल का एक हिस्सा ढह गया
  • जांच कमिटी ने पाया कि पुल के निर्माण में प्रयोग हुई घटिया सामग्री

कोलकाता
पश्चिम बंगाल के कोलकाता में विवेकानंद फ्लाईओवर को गिराने का फैसला किया गया है। यह ‘पोस्टा फ्लाईओवर’ के नाम से मशहूर है। 31 मार्च, 2016 को इसके ढहने से 28 लोगों की मौत हो गई थी। उसके पांच साल बाद राज्य सरकार के सलाह के बाद आखिरकार फ्लाईओवर को गिराने का फैसला किया गया है। 5 जून से फ्लाईओवर को गिराने का काम शुरू होगा।

कोलकाता नगर निगम के बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर के अध्यक्ष फिरहाद हकीम ने रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस (राइट्स) और कोलकाता म्यूनिसिपल डेवलपमेंट अथॉरिटी (केएमडीए) के अधिकारियों की उपस्थिति में पोस्टा बाजार मर्चेंट असोसिएशन के साथ बैठक की और फ्लाईओवर को गिराने के निर्णय की घोषणा की।

गिराने में लगेंगे 45 दिन
फ्लाईओवर को तोड़ने के लिए राइट्स कार्यकारी एजेंसी होगी। फिरहाद हाकिम ने कहा, ‘पुलिस यातायात के सुचारू प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक ट्रैफिक को मोड़ देगी। विध्वंस के पहले चरण में 45 दिन लगेंगे।’

28 लोगों की हुई थी मौत
1 मार्च, 2016 को उत्तरी कोलकाता में निर्माणाधीन विवेकानंद रोड फ्लाईओवर का 150 मीटर (490 फीट) स्पैन गिरने से 28 लोगों की मौत हो गई थी और दुर्घटना में 90 से अधिक लोग घायल हुए थे। फ्लाईओवर शुरू से ही विवादों में रहा था।

समिति का किया गया था गठन
2.2 किलोमीटर (1.4 मील) विवेकानंद रोड फ्लाईओवर का निर्माण तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार ने करवाया था। इसका काम साल 2009 में शुरू हुआ था। हैदराबाद स्थित एक निर्माण फर्म आईवीआरसीएल ने परियोजना के लिए बोली जीती। निर्माण 2010 में पूरा होने वाला था, लेकिन कई बार समय सीमा से आगे निकल गया।

2016 तक पूरा होना था काम
2011 में ममता बनर्जी के सत्ता में आने के बाद, आईवीआरसीएल को फरवरी 2016 तक फ्लाईओवर को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा 18 महीने की समय सीमा दी गई और लगभग 165 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया। उसके बाद राज्य सरकार ने फ्लाईओवर का भविष्य तय करने के लिए कई विशेषज्ञ समितियों का गठन किया।

पुल में मिली खामियां
आईआईटी केजीपी में सिविल इंजिनियरिंग विभाग के पूर्व प्रमुख आनंदप्रान गुप्ता ने कहा कि उनकी जांच समिति ने डिजाइन, निर्माण, कच्चे माल और पर्यवेक्षण सहित फ्लाईओवर निर्माण के कई पहलुओं में खामियां मिली। अंत में, राज्य सरकार ने पोस्टा फ्लाईओवर के भाग्य का फैसला करने के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया।

नया पुल बनेगा या नहीं, इस पर फैसला बाद में
प्रख्यात पुल विशेषज्ञ वी.के. रैना ने फ्लाईओवर का विस्तृत स्वास्थ्य ऑडिट किया और सुझाव दिया कि इसे ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए। केएमडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सभी एहतियाती कदम उठाए जाएंगे ताकि फ्लाईओवर से सटी इमारतों को कोई नुकसान न हो जब गिराने का काम होगा। राज्य सरकार को अभी यह तय करना बाकी है कि पुल पूरी तरह से ढह जाने के बाद वह एक नया फ्लाईओवर लेकर आएगी या नहीं।

विवेकानंद पुल (फाइल फोटो)

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