बाईस साल के लेफ्टिनेंट उमर फैयाज परिवार से लेकर देश की सेवा तक की ख्वाहिशो को लेकर सेना में भर्ती हुए होंगे, मगर उन्हें आंतकियों ने मिटा दिया। दक्षिणी कश्मीर के शोपियां जिले में आतंकियों की गोली का शिकार हुए युवा लेफ्टिनेंट उमर फैयाज युवाओं के आदर्श थे। फैयाज जम्मू के अखनूर में सेना की राजपूताना राइफल में तैनात थे।
पांच महीने पहले ही 10 दिसंबर 2016 को उन्होंने एनडीए से सेना में कमीशन प्राप्त किया था। वह 129वैं बैच के कडेट थे।
फैयाज ने अपने रिश्तेदार की शादी के लिए छुट्टी ली थी। उन्हें 25 मई को अखनूर क्षेत्र में मौजूद अपने यूनिट में वापस जाना था, लेकिन यह शादी उनकी जिंदगी की आखिरी शादी भी बन गई। इससे एक बार फिर जाहिर होता है कि आंतक का कोई धर्म नहीं होता, जो उसके सामने सामने आया वो ही उसका शिकार हुआ। कश्मीर में हमारे जवान कभी पाक प्रायोजित पत्थरबाजी का शिकार बन रहे है, तो कभी आंतकियों का । वहां की जनता भी दहशत में जी रही है। जिससे लोगो के काम पर भी असर होता ही है, आखिर ये कब तक चलेगा ? आखिर कितने लोग राजनीती और कूटनीति की बलि चढ़ेंगे ? कभी तो हमे सख्त निर्णय लेना ही पड़ेगा । कभी तो हमे शख्त निर्णय लेना पड़ेगा तो सरकार को किस बात का इंतज़ार है ? जल्द करे सरकार क्योकि अब और नहीं सह सकती जनता अपने लाड़लो का बलिदान।