किसान के जीवन में आत्मनिर्भरता किन-किन रूपों में देखी जा सकती है

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किसान
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भारत एक कृषि प्रधान देश है. जिसकी जनसंख्या का बहुत बड़ा हिस्सा कृषि से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है. किसान के जीवन में आत्मनिर्भरता के कई रूप हो सकते हैं. लेकिन इन रूपों को जानने से पहले ये जानना ज्यादा जरूरी है कि आत्मनिर्भरता क्या होती है ?

आत्मनिर्भरता का साधारण शब्दों में अर्थ होता है कि जब हम अपना जीवन निर्वाह करते हैं, तो उसके लिए हमें दूसरे के सहयोग की आवश्यकता नहीं हो. ये सहयोग किसी भी रूप में हो सकता है.

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गोबर खाद

मानव एक सामाजिक प्राणी है. उसके लिए पूरी तरह से आत्मनिर्भर होना संभव नहीं हो सकता. लेकिन हम कोशिस कर सकते हैं, ज्यादा से ज्यादा आत्मनिर्भर होने की. किसानों की बात करें तो किसान काफी बड़ी संख्या में गरीबी का सामना कर रहे हैं. उनके हालात बद से बदत्तर होते जा रहे हैं. उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि किसानों की जो फसल होती है, उसका भाव बाजार के हिसाब से तय होता है तथा अपनी फसल को तैयार करने के लिए वो जो खाद, बीज या सिंचाई के लिए तेल का प्रयोग करता है. उसके मूल्य पर किसान का कोई नियंत्रण नहीं होता है. किसान की सबसे बड़ी समस्या यहीं है कि उसको दूसरो पर निर्भर रहना पड़ता है.

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कृषि

किसान की समस्या का समाधान तभी हो सकता है, जब किसान ज्यादा से ज्यादा आत्मनिर्भर होगा. किसान के आत्मनिर्भर होने के कई रूप हो सकते हैं. अगर आत्मनिर्भरता की तरफ कदम उठाना शुरू करें तो किसान प्राकृतिक खेती पर काम कर सकता है. जिसमें रासायनिक चीजों का प्रयोग नहीं किया जाता है. महंगे बीज, रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों की खरीद को बंद कर , प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग कर किसान आत्मनिर्भर बन सकता है. जिसें जीरो बजट खेती भी कहा जाता है.

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इसके अलावा छोटे किसान मिलकर अपना एक समूह बना सकते हैं. जिससे खेती से प्राप्त होने वाले कच्चे माल को बेचनें के लिए पहले ही किसी कंपनी से समझौता कर सकते हैं. जिससे वो बिचौलियों के चंगुल से बच पाएं तथा किसानों को उसका पूरा लाभ मिल पाए. इसके साथ ही अपने खेत के छोटे से हिस्से में अपने लिए कई तरह की सब्जियां लगा सकते हैं. इसके अलावा इस समूह में ऐसी व्यवस्था की जा सकती है कि किसान कुछ पैसा जमा कराएं तथा समूह के किसी सदस्य को आर्थिक सहायता की जरूरत हो तो जमा पैसे प्रयोग कर सकें. जिससे साहूकारों से उनको छुटकारा मिल सकता है. किसान के लिए आत्मनिर्भर होना बहुत जरूरी है. तभी किसान के आर्थिक हालातों में सुधार हो सकते हैं.