उत्तर प्रदेश पंचायत चुनावों को लेकर तैयारियां पूरी जोर शोर से चल रही हैं. जहां एक ओर वोटर लिस्ट का काम पूरा हो चुका है, वहीं अब चुनाव ड्यूटी को लेकर भी तैयारी तेज रफ़्तार से चल रही है. इतना ही नहीं सभी राजनीतिक पार्टियां भी चुनावी मोड में आ चुकी हैं. इस बार सबकी नजर पंचायत चुनाव में लागू होने जा रही नए सिरे से आरक्षण व्यवस्था पर टिकी हुई है.
इस बार ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों का नए सिरे से आरक्षण होगा. इसके लिए बाकायदा पंचायती राज निदेशालय की तरफ से यूपी सरकार को एक फॉर्मूला भेजा गया है. इस पर मंजूरी मिलते ही आरक्षण की नए सिरे से प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. बता दें साल 2015 के पंचायत चुनाव में भी सीटों का आरक्षण नए सिरे से हुआ था.
ये है फार्मूला
जानकारी के अनुसार हर ब्लॉक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े और सामान्य वर्ग की आबादी अंकित करते हुए ग्राम पंचायतों की सूची वर्णमाला के क्रम में बनाई जाएगी. इसमें एससी-एसटी और पिछड़े वर्ग के लिए प्रधानों के आरक्षित पदों की संख्या उस ब्लॉक पर अलग-अलग पंचायतों में उस वर्ग की आबादी के अनुपात में घटते क्रम में होगी.
सीटों के आरक्षण में फेरबदल
2015 में जो पंचायत एससी-एसटी के लिए आरक्षित थी, उन्हें इस बार एससी-एसटी के लिए आरक्षित नहीं किया जाएगा. इसी तरह अगर 2015 में पंचायत का प्रधान पद ओबीसी के लिए आरक्षित था तो इस बार उसे दूसरे वर्ग के लिए आरक्षित किया जाएगा. माना जा रहा है कि नए नगरीय निकायों के गठन या सीमा विस्तार का आरक्षण पर असर दिख सकता है. हालांकि, अभी चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र सिंह ने इशारा किया है कि चुनाव मार्च-अप्रैल में हो सकते हैं.
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