हाई कोर्ट के क्या नियम है कोर्ट मैरिज करने के लिए ?

1684
कोर्ट मैरिज
कोर्ट मैरिज

हाई कोर्ट के क्या नियम है कोर्ट मैरिज करने के लिए ? ( What are the rules of High Court for court marriage? )

वर्तमान समय में भारत में आमतौर पर दो तरह से शादी होती है. एक अरेंज मैरिज, जिसमें माता-पिता या फिर परिवार की सहमती से शादी होती है. इसके अलावा दूसरे तरीके की बात करें, तो उसमें लव मैरिज या फिर कोर्ट मैरिज आती है. जिसमें परिवार की सहमति जरूरी नहीं होती है. ऐसा माना जाता है कि शादी दो रूहों का मिलन होता है. लेकिन काफी बार ऐसा भी देखने को मिलता है कि लड़का और लड़की शादी करना चाहते हैं, लेकिन जाति या धर्म की वजह से समाज इसकी अनुमति नहीं देता है. ऐसे में वो कोर्ट या कानून का सहारा लेते हैं. इस पोस्ट में जानते हैं कि कोर्ट मैरिज के लिए क्या नियम होते हैं.

742074 district judge recruitment 2021 1 -
इलाहबाद हाई कोर्ट

कोर्ट मैरिज अधिनियम-

संपूर्ण भारत में कोर्ट मैरिज के लिए समान नियम होते हैं. भारत के संविधान ने सभी नागरिकों को कुछ अधिकार दिए हैं. इसी के अनुसार कोई व्यक्ति अपनी पसंद की लड़की से शादी कर सकता है, अगर वह लड़की भी शादी करना चाहती है. इसमें समाज , जाति या धर्म कोई बाध्यता नहीं बन सकते हैं. यह प्रावधान भारतीय संविधान के विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के अंतर्गत किया गया है. इस नियम के अनुसार एक धर्म या जाति के लोग भी शादी कर सकते हैं.

images 16 -
कोर्ट मैरिज

कोर्ट मैरिज के नियम-

कोर्ट मैरिज रने के लिए कुछ नियम व शर्ते भी होती हैं. जिनका पालन करना अनिवार्य होता है.

यह भी पढ़ें: लोकतंत्र में चुनाव में कितने लोग चुनाव लड़ सकते हैं?

  • इससे पहले कोई विवाह नहीं किया हो या विवाह में शामिल होने वाले दोनों पक्षों की पहली शादी से जुड़े पति या पत्नि जीवित नहीं होने चाहिएं. अगर इससे पहले शादी हुई है, तो उससे तलाक हो चुका हो.
  • कोर्ट मैरिज करने के लिए लड़के और लड़की दोनों की सहमति जरूरी होती है.
  • कोर्ट मैरिज के लिए उम्र की शर्त पूरी करना बहुत जरूरी होता है. इसके लिए लड़की की उम्र कम से कम 18 वर्ष तथा लड़के की उम्र कम से कम 21 वर्ष होनी अनिवार्य है.
  • निषिद्ध संबंध – कोर्ट मैरिज में कुछ रिश्तों में शादी की अनुमति नहीं होती है. लेकिन हां अगर किसी धर्म की परंपरा में उन रिश्तों से शादी की अनुमति हो, तो वो शादी हो सकती है.
  • नोटिस का प्रकाशन- इसके अनुसार शादी करने से 30 दिन पहले इससे संबंधित नोटिस प्रकाशित करना होता है. जिसके बाद किसी को शादी से आपत्ति है, तो वह आपत्ति दर्ज कर सकता है. अगर आपत्ति जायज होती है, तो शादी की प्रक्रिया को वहीं समाप्त कर दिया जाता है. ( हाल ही में हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि विशेष विवाह अधिनियम-1954 में शादी से पहले 30 दिन का नोटिस देने का नियम वैकल्पिक है. जब विवाह करने वाले जोड़े चाहें, तभी इस तरह के नोटिस का प्रकाशन किया जाएगा. )

Today latest news in hindi के लिए लिए हमे फेसबुक , ट्विटर और इंस्टाग्राम में फॉलो करे | Get all Breaking News in Hindi related to live update of politics News in hindi , sports hindi news , Bollywood Hindi News , technology and education etc.