सवाल 81- क्या होता है स्पेस स्टेशन, यह कैसे करता है काम?

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अगर किसी ने हॉलीवुड फिल्म ‘ग्रैविटी’ देखी हो तो उसे साफ़ समझ में आयेगा कि अंतरिक्ष स्टेशन यानि स्पेस स्टेशन क्या होता है? इस फिल्म में साफ़ दिखाया गया है कि कैसे एस्‍ट्रोनॉट्स स्पेस स्टेशन में रहते हैं उन्हें किस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बता दें कि स्पेस स्टेशन में रहने वाले वैज्ञानिकों को खगोल वैज्ञानिक या एस्‍ट्रोनॉट्स कहा जाता है। हाल के दिनों में भारत ने भी घोषणा की है वह स्पेस में एक अंतराष्ट्रिय अंतरिक्ष स्टेशन बनाएगा। आइये जानते हैं कि क्या होता है स्पेस स्टेशन और यह कैसे करता है काम-

अंतरिक्ष में ‘एस्‍ट्रोनॉट्स’ जिस जगह पर रहते हैं, उसे ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन’ के नाम से जाना जाता है। यह एक बड़ा अंतरिक्ष यान होता है, जो पृथ्वी की परिक्रमा करता है। यह पृथ्वी की कक्षा से करीब 330 से 435 किलोमीटर की ऊंचाई पर मौजूद होता है।

पहला ISS स्टेशन 1998 में लॉन्च किया गया था। पहली बार स्पेस स्टेशन में रहने के लिए 2 नवंबर 2000 को एस्‍ट्रोनॉट्स गए थे। ‘एस्‍ट्रोनॉट्स’ का यह घर ऐसा स्टेशन है, जो अंतरिक्ष में उपग्रहों की मदद के लिए तैयार रहता है। कोई भी अंतरिक्ष यान यहां आकर वैज्ञानिकों से संपर्क कर सकता है। इसमें अमेरिका, रूस और जापान जैसे देशों की विज्ञान प्रयोगशालाएं भी स्थापित हैं।

space station 1 -

स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण का परीक्षण करने के लिए पृथ्वी की निचली कक्षा में ऐसा स्थान होता है जहाँ से चन्द्रमा और मंगल ग्रह पर भेजे गए अंतरिक्ष यानों की निगरानी की जाती है। इसके अलावा स्पेस स्टेशन की मदद से अंतरिक्ष यानों की मरम्मत और उपग्रहों की प्रणाली पर काम किया जा रहा है। इसके अलावा इससे पृथ्वी की निगरानी होती है। यह चिकित्सा अनुसंधान, नई दवाओं के निर्माण आदि में मददगार साबित हो रहा है।

स्पेस स्टेशन पांच बेडरूम के घर जितना स्पेस रखता है। इसमें दो बाथरूम, एक व्यायामशाला और एक बड़ी खिड़की मौजूद होती है। कम से कम 6 लोग इसमें रह सकते हैं। पीने के पानी के लिए इस स्पेस स्टेशन में पुख्ता इंतजाम किये जाते है। इसके लिए खास किस्म के फिलटर लगाए जाते हैं, जिनकी मदद से अंतरिक्ष यात्रियों और प्रयोगशाला के जानवरों का मूत्र फिल्टर होकर स्टेशन के ड्रिकिंग वॉटर सप्लाई में चला जाता है।

स्पेस स्टेशन के कई भाग हैं। इन भागों को मॉड्यूल कहा जाता है। पहले मॉड्यूल्स में अंतरिक्ष स्टेशन को काम करने वाले लोग और अंतरिक्ष यात्री रहते थे। इसी क्रम में ‘नोड्स’ नामक मॉड्यूल स्टेशन के दूसरे हिस्सों को एक-दूजे से जोड़ता है।

वैज्ञानिकों का स्पेस स्टेशन बनाने का मुख्य उद्देश्य था कि जो प्रयोग पृथ्वी पर नहीं किये जा सकते हैं उन्हें स्पेस में किया जाये। असल में कई सारे शोध ऐसे हैं, जो पृथ्वी पर नहीं हो सकते। स्पेस स्टेशन में सत्र 2000 से एस्‍ट्रोनॉट्स जा रहे हैं और नए शोधों को अंजाम दे रहे हैं।

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