पश्चिम बंगाल में पाल जाति क्या है ?

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पाल जाति
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पश्चिम बंगाल में पाल जाति क्या है ?

पश्चिम बंगाल में पाल जाति के बारे में जानने से पहले पाल जाति के बारे में कुछ जानना जरूरी है. ऐसा माना जाता है कि पाल जाति का मुख्य व्यवसाय भेड-बकरियां पालना है. पाल शब्द का अर्थ जानने की कोशिश करें तो इसका अर्थ होता है कि पालने वाला. आरंभ में इस समाज के लोग भेड बकरियां पालते थे. इसी कारण इनको पाल कहा जाने लगा. इसके अलावा इनको गडरिया भी कहा जाता है. जिनका मुख्य व्यवसाय भेड-बकरियां पालना होता है.

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गडरिया

समय के साथ धीरे- धीरे इस समाज का विकास हुआ. ऐसा माना जाता है कि पुराने समय में बंगाल या वर्तमान पश्चिम बंगाल पर शासन करने वाला पाल वंश इसी समाज से संबंधित था. पाल वंश का काफी लंबे समय तक बंगाल पर शासन रहा था. पाल वंश के शासकों ने पूर्वी भारत पर एक समय तक शासन किया. इस वंश के शासक हिंदू धर्म से संबंध रखते थे. लेकिन इसके साथ ही ये शासक बौद्ध धर्म को भी बहुत समर्थन देते थे.

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पाल जाति

पूर्व मध्यकाल में जब इस बंगाल के क्षेत्र में अराजकता फैली हुई थी, तो वहां की जनता ने सर्वसहमती से अपना एक राजा बनाया तथा उसने बंगाल को स्वतंत्र राज्य घोषित किया. इस शासक का नाम गोपाल था. इसके के नाम पर ही इस वंश का नाम पाल वंश पड़ा. इसके बाद इसी वंश के शासको में धर्मपाल नाम का महान शासक हुआ. इस वंश के शसकों ने सैकड़ो वर्षों तक बंगाल पर शासन किया.

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इससे पाल जाति के इतिहास और महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है. आरंभ में पाल जाति के लोग भेड़-बकरियां पालने का काम करते थे. इसलिए ही इन्हे पाल कहा जाने लगा. इसके अलावा इनको गड़रिया जाति का भी माना जाता है. गडरिया जाति का मुख्य व्यवसाय भी भेड़ बकरिया पालना ही होता है.

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. News4social इनकी पुष्टि नहीं करता है.