शरद यादव की नीतीश से आर या पार, क्या है असली वजह?

1266

पहले मायावती फिर राहुल और सोनिया ने राजद की रैली में जाने से इंकार कर दिया। हालांकि अंत तक कई और नेताओं के आने या ना आने पर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। लेकिन ऐसे में एक नेता है जो कि हमेशा लालू जी के साथ खड़े नजर आए और वो हैं शरद यादव जी शरद यादव जी ने खुलेआम ये एलान कर दिया कि हम लालू जी की रैली में शिरकत करेंगे। जबकि उनकी पार्टी ने पहले ही ये कह दिया था कि शरद यादव अगर ऐसा कुछ करते हैं तो उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। पर शरद यादव ना केवल लालू की रैली में शामिल हुए बल्कि जनता को संबोधित करते हुए बीजेपी और बिहार में नए गठबंधन को लेकर जोरदार हमला भी बोला। लेकिन ऐसी क्या बात है जो शरद यादव ने अपना राजनीतिक भविष्य दाव पर लगा दिया है? वो क्यों उस खेमें में अपना भविष्य देख रहे हैं? जहां फिलहाल उन्हें कुछ भी नहीं मिल सकता।

शरद यादव जी राजनीति के एक मजे हुए खिलाड़ी हैं और अब वो राजनीति में अपना नहीं बल्कि अपने बेटे का भविष्य देख रहे हैं, जो कि उन्हें फिलहाल अपनी पार्टी जदयू में नहीं दिख रहा है। दरअसल 2014 लोकसभा चुनाव के बाद से ही वो नीतीश का विश्वास खो चुके हैं, और वो जानते हैं कि नीतीश अपनी पार्टी में खुद के विरोधियों को ज्यादा दिन टिकने नहीं देते, जैसा कि जार्ज फर्नांडीस और दिग्विजय सिंह के हालात को देखकर समझा जा सकता है। जब स्थिति ये है तो उनको अपने बेटे के लिए एक ऐसी पार्टी का इंतजार था जो ना केवल उन्हें उनके लोकसभा क्षेत्र मधेपुरा से (जहां से वो सात बार चुनाव लड़ चुके हैं) टिकट दे बल्कि उसे जीताने में भी अहम भूमिका निभाए। और ये करने वाले नीतीश कुमार कहीं से भी नहीं दिख रहे थे। खबर है कि लालू और शरद में ये डील हो गई है कि आप नीतीश के ऊपर हमले करते रहिए टिकट आपके बेटे को हम देंगे। ऐसे में भला बताइये, कैसे शरद यादव नीतीश का सपोर्ट कर सकते हैं? आखिर पुत्र मोह भी कोई चीज होती है। अब देखना ये है कि नीतीश विरोध में जी जान से जुड़े शरद जी को लालू जी की वफादारी के बदले क्या मिलता है, और राजनीति में उनके बेटे क्या कुछ कर पाते हैं?