क्या है तिरंगे में तीन रंगों का महत्व ?

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क्या है तिरंगे में तीन रंगों का महत्व

15 अगस्त 1947 को हमारा देश आज़ाद हुआ था ,और उसके बाद से हीं देश में स्वतंत्रता दिवस मनाने की प्रथा है । लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री राष्ट्रीय झंडा तिरंगा फहराया जाता है। हमारा तिरंगा देश की एक एकता, अखंडता की पहचान है। यह कश्मीर से कन्याकुमारी और राजस्थान से पूर्वोत्तर को एक सूत्र में बांधता है। देश में अनकेता और विभिन्नता के बावजूद यही वह प्रतीक है जिसके जरिए हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, अमीर-गरीब को एक साथ लाता है। आपसी संघर्ष होने के बाद भी जब भी देश की बात आती है।

तब सभी भारतवासी मतांतर और संघर्षो को भूलकर तिरंगे के नीचे एक सूत्र में बंध जाते है। यही हमारे तिरंगे की सबसे बड़ी पहचान है। तिरंगे में तीन केसरिया, सफेद और हरे रंग होते हैं जो बहुत कुछ कहता है।जानिए, तिरंगे के तीन रंगों के बारे में : केसरिया रंग जहां शक्ति का प्रतीक है। सफेद रंग शांति को दर्शाता है। हरा रंग हरियाली और संपन्नता को दिखाता है। झंडे के बीच में नीले रंग का चक्र होता है।

नीले रंग का चक्र जीवन में गतिशीलता को दर्शाता है। इसकी तीलियां धर्म के 24 नियम बताती है। भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के रंगों की तरह इसकी बनावट भी खास है। झंडे की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 2:3 होता है.

tricolor facts

पहले राजकीय जगहों को छोड़कर किसी और स्थान पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति नहीं थी। बाद में 26 जनवरी 2002 में ध्वज संहिता में संशोधन किया गया। अब कोई भी भारतीय नागरिक घरों, कार्यालयों और फैक्टरियों में कभी भी राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकते हैं। तिरंगा हमेशा उत्साह के साथ से फहराया जाए और आदर के साथ उतारा जाए, सम्मान पूर्वक वहां फहराया जाए, जहां से स्पष्ट दिखाई दे। मंच पर फहराते समय जब वक्ता का मुंह श्रोताओं की ओर हो तो तिरंगा उनके दाहिनी ओर होनी चाहिए तिरंगे को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए।

तिरंगे पर न तो कुछ भी लिखा होना चाहिए और ना ही छपा होना चाहिए। तिरंगा गाड़ी पर सामने में बीचोंबीच या कार के दाईं ओर लगाया जाए। फटा या गंदा तिरंगा नहीं फहराया जाए। किसी दूसरे झंडे को तिरंगे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगाया जाए, न ही बराबर में रखा जाए।तिरंगा केवल राष्ट्रीय शोक के अवसर पर ही आधा झुका रहता है। सरकारी भवन पर तिरंगा रविवार और अन्य छुट्टियों के दिनों में भी सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाता है। खास अवसरों पर इसे रात को भी फहराया जा सकता है।

तिरंगे का इस्तेमाल सांप्रदायिक लाभ के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता। तिरंगे को पानी या फर्श पर नहीं रखा जा सकता है और ना ही इसे रेल, नावों तथा हवाई जहाज पर लपेटा जा सकता है।

देश का सबसे पहला राष्ट्रीय ध्वज वर्ष 1906 में बना। इसे कोलकाता के बागान चौक में फहराया गया था। इसमें केसरिया, पीला और हरा रंग था। इसमें आधे खिले कमल के फूल बने थे। साथ ही वंदे मातरम लिखा हुआ था। लेकिन भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का प्रगतिशील और अहम सफर 1921 से शुरू हुआ, जब सबसे पहले महात्मा गांधी जी ने भारत देश के लिए झंडे की बात कही थी और उस समय जो ध्वज पिंगली वैंकैया जी ने तैयार किया था उसमें सिर्फ दो रंग लाल और हरे थे।

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झंडे के बीच में सफेद रंग और चरखा जोड़ने का सुझाव बाद में गांधी जी लाला हंसराज की सलाह पर दिया था। झंडे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने के लिए डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया गया।

भारतीय संविधान सभी में इसे 22 जुलाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर स्वीकृति मिली। संविधान सभा में स्वीकृति मिलने के बाद सबसे पहला राष्ट्रीय ध्वज 16 अगस्त 1947 को लाल किले पर फहराया गया। झंडे को पंडित जवाहर लाल नेहरू ने फहराया था।

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