क्या है शरद पूर्णिमा की पूजा विधि और क्या इस पूजा से होगा आपके सब दुख-दर्द दूर?

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शरद पूर्णिमा का खास महत्व होता है. अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है. इसे रास पूर्णिमा, कोजागिरी पूर्णिमा या कौमुदी व्रत भी कहा जाता है. ज्‍योतिष शास्त्र के अनुसार, पूरे साल में केवल इसी दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है. हिन्दू धर्म में इस दिन कोजागर व्रत माना गया है. मान्यता है इस रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत झड़ता है. तभी इस दिन उत्तर भारत में खीर बनाकर रात भर चाँदनी में रखने का विधान है. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को जो भी व्यक्ति सोता हुआ मिलता है माता लक्ष्मी उनके घर पर प्रवेश नहीं करती हैं. ऐसे में देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने और हर मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए कुछ उपाय किए जाते हैं.

कहते हैं शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर धरती पर आती हैं और देखती हैं कौन सा भक्त उनकी भक्ति में लीन है. इसीलिए माना जाता है कि जो भक्त शरद पूर्णिमा तिथि को रात में जागकर मां लक्ष्मी की भव्य उपासना करता है उसपर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है.

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जानकारों मानें तो इस दिन सच्चे मन और श्रृद्धा से मां लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. जिनकी कुंडली में धन का कोई योग ही ना हो, इस दिन की पूजा से प्रसन्न मां लक्ष्मी उन्हें भी धन-धान्य से संपन्न कर देती हैं. इस दिन धन पाने के लिए कैसे करें मां लक्ष्मी की उपासना…

अपार धन पाने के लिए क्या करें ?

  • रात के समय मां लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाएं
  • इसके बाद उन्हें गुलाब के फूलों की माला अर्पित करें
  • फिर उन्हें सफेद मिठाई और सुगंध भी अर्पित करें
  • इसके बाद उनके मंत्र का कम से कम 11 माला जाप करें
  • मंत्र है- “ॐ ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद महालक्ष्मये नमः”
  • आपको धन का अभाव कभी नहीं होगा

शरद पूर्णिमा व्रत विधि

  • पूर्णिमा के दिन सुबह में इष्ट देव का पूजन करना चाहिए.
  • इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए.

माना जाता है कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है. अंतरिक्ष के समस्त ग्रहों से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा चंद्रकिरणों के माध्यम से पृथ्वी पर पड़ती हैं. शरद पूर्णिमा पर खीर बनाई जाती है और उसे पूरी रात खुले आसमान के नीचे रखा जाता है. पूर्णिमा की चांदनी में खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखने के पीछे वैज्ञानिक तर्क यह है कि चंद्रमा के औषधीय गुणों से युक्त किरणें पड़ने से खीर भी अमृत के समान हो जाती हैं. उसका सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद माना जाता है.

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खीर को शरद पूर्णिमा के दिन खुले में रखने के पीछे एक तर्क ये भी है कि दूध में लैक्टिक नामक अम्ल पाया जाता है, जो चंद्रमा की किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है. इसके साथ ही चावल में स्टार्च पाया जाता है जिस वजह से ये प्रक्रिया और भी आसान हो जाती है. वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार भी इस खीर का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है.

ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की बूंदें बरसती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती हैं. शरद पूर्णिमा के दिन महालक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती है. मान्यता है कि मां लक्ष्मी भक्तों की सभी परेशानियां दूर करती हैं. ज्योतिष के अनुसार साल में एक बार शरद पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है. पूर्णिमा की चांदनी में खीर बनाकर खुले आसमान में रखते हैं, ताकि चंद्रमा की अमृत युक्त किरणें इसमें आएंगी और खीर औषधीय गुणों से युक्त होकर अमृत के समान हो जाएगा. उसका सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद माना गया है.

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