पत्रकारों पर होने वाले देशद्रोह के झूठे मुकदमों पर सुप्रीम कोर्ट का क्या आदेश है ?

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देशद्रोह के झूठे मुकदमों
देशद्रोह के झूठे मुकदमों

पत्रकारों पर होने वाले देशद्रोह के झूठे मुकदमों पर सुप्रीम कोर्ट का क्या आदेश है ? ( What is the order of the Supreme Court on false cases of sedition against journalists? )

भारत एक लोकतांत्रिक देश है. जहां पर मीडिया एक चौथे स्तंभ के रूप में काम करती है. किसी भी लोकतांत्रिक देश में पत्रकारिता की स्वतंत्रता का होना बहुत जरूरी होता है. लेकिन यह भी देखने को मिलता है कि अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए नेताओं द्वारा कई बार पत्रकारों को भी परेशान किया जाता है. जिसके कारण वो सही से पत्रकारिता नहीं कर पाते या गलत पत्रकारिता करने के लिए उन पर दवाब बनाने के तरीके के तौर पर इसका प्रयोग किया जाता है. ऐसा भी देखने को आता है कि पत्रकारों के उपर देशद्रोह के झूठे मुकदमें भी लगा दिए जाते हैं, ताकि उनको परेशान किया जा सके. इस तरह के झूठे देशद्रोह के मुकदमों से बचाव के लिए सुप्रीम कोर्ट का क्या आदेश है. इस पोस्ट में जानते हैं.

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सुप्रीम कोर्ट

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट का फैसला-

अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने शिमला पुलिस द्वारा पिछले साल 6 मई को वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का आदेश दिया. इस पर कोर्ट ने कहा, किसी भी नागरिक को सरकार या सरकार से जुड़े लोगों की आलोचना और उस पर कमेंट करने का हक है, बशर्ते वह लोगों को सरकार के खिलाफ हिंसा करने के लिए प्रेरित न करे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में प्राथमिकी और कार्यवाही को रद्द करते हुए कहा कि “केदार नाथ सिंह के फैसले के अनुसार हर पत्रकार की रक्षा की जाएगी”.

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पत्रकार

क्या था केदार नाथ सिंह केस-

1962 में केदारनाथ बनाम स्टेट ऑफ बिहार केस में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला बता दें कि बिहार के रहने वाले केदारनाथ सिंह पर 1962 में राज्य सरकार ने एक भाषण को लेकर राजद्रोह का मामला दर्ज कर लिया था. लेकिन इस पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी. केदारनाथ सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने भी अपने आदेश में कहा था कि देशद्रोही भाषणों और अभिव्यक्ति को सिर्फ तभी दंडित किया जा सकता है, जब उसकी वजह से किसी तरह की हिंसा या असंतोष या फिर सामाजिक असंतुष्टिकरण बढ़े. केदारनाथ बनाम बिहार राज्य केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार की आलोचना या फिर प्रशासन पर टिप्पणी करने भर से राजद्रोह का मुकदमा नहीं बनता है. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने तब कहा था कि केवल नारेबाजी देशद्रोह के दायरे में नहीं आती.

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अंग्रेजी के शब्द सिडिशन और हिंदी में कहे तो राजद्रोह की बात करें, तो सिडिशन शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है राजद्रोह. हमारे देश में राजद्रोह को भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए में शामिल किया गया है.

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