मोदी सरकार ने किसान उर्जा सुरक्षा और उत्थान महाअभियान (कुसुम) योजना बिजली संकट से जूझ रहे इलाकों को ध्यान में रख शुरू की है. कुसुम योजना के तहत देशभर में सिंचाई के लिए इस्तेमाल होने वाले सभी डीजल/बिजली के पंप को सोलर ऊर्जा से चलाने की योजना है.कुसुम योजना का एलान केंद्र सरकार के आम बजट 2018-19 में किया गया था. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कुसुम योजना की घोषणा की थी.भारत में किसानों को सिंचाई में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है और अधिक या कम बारिश की वजह से किसानों की फसलें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं.
केंद्र सरकार की कुसुम योजना के जरिये किसान अपनी जमीन में सौर ऊर्जा उपकरण और पंप लगाकर अपने खेतों की सिंचाई कर सकते हैं. कुसुम योजना की मदद से किसान अपनी भूमि पर सोलर पैनल लगाकर इससे बनने वाली बिजली का उपयोग खेती के लिए कर सकते हैं. किसान की जमीन पर बनने वाली बिजली से देश के गांव में बिजली की निर्बाध आपूर्ति शुरू की जा सकती है.
कुसुम योजना के तहत साल 2022 तक देश में तीन करोड़ सिंचाई पंप को बिजली या डीजल की जगह सौर ऊर्जा से चलाने की कोशिश की जा रही है. सरकार द्वारा निर्धारित बजट के हिसाब से कुसुम योजना पर कुल 1.40 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी.कुसुम योजना पर आने वाले कुल खर्च में से केंद्र सरकार 48 हजार करोड़ रुपये का योगदान करेगी, जबकि इतनी ही राशि राज्य सरकार देगी. किसानों को कुसुम योजना के तहत सोलर पंप की कुल लागत का सिर्फ 10 फीसदी खर्च ही उठाना होगा. कुसुम योजना के लिए करीब 45 हजार करोड़ रुपये का इंतजाम बैंक लोन के माध्यम से किया जाएगा.
कुसुम योजना के पहले चरण में किसानों के सिर्फ उन सिंचाई पंप को शामिल किया जाएगा जो अभी डीजल से चल रहे हैं. सरकार के एक अनुमान के मुताबिक इस तरह के 17.5 लाख सिंचाई पंप को सौर ऊर्जा से चलाने की व्यवस्था की जाएगी. इससे डीजल की खपत और कच्चे तेल के आयात पर रोक लगाने में मदद मिलेगी.केंद्र सरकार की कुसुम योजना किसानों को दो तरह से फायदा पहुंचाएगी. एक तो उन्हें सिंचाई के लिए फ्री बिजली मिलेगी और दूसरा अगर वह अतिरिक्त बिजली बना कर ग्रिड को भेजते हैं तो उसके बदले उन्हें कमाई भी होगी.
यह भी पढ़े:कुंडली में मंगल की शांति के लिए क्या उपाय करना चाहिए?