हनुमान जी ने तोता का रूप कब धारण किया था !
हनुमान जी को भगवान श्री राम के बहुत बड़े भक्त के रूप में जाना जाता है। प्रभु श्री राम में अपनी गहरी आस्था के कारण विश्वभर में पूजे जाते है , रावण वध के दौरान हनुमान ने श्री राम का बहुत अच्छा साथ दिया था। हनुमान से जोड़ी बहुत से ऐसा कथा है जो मशहूर है , हनुमान ने आपने बाल रूप से लेकर युवा रूप तक बहुत से ऐसे रूप है जो धारण किये थे।
उनमें से एक प्रख्यात रूप तोते का जो उन्होंने तुलसीदास को भगवन राम से मिलवाने के लिए धारण किया था, आपको बताना चाहेंगे इस रूप को धारण करने की कथा, तुलसी दास भगवान राम की भक्ति में लीन होकर लोगों को राम कथा सुनाया करते थे। एक बार काशी में रामकथा सुनाते समय इनकी भेंट एक प्रेत से हुई।
प्रेत ने इन्हें हनुमान जी से मिलने का उपाय बताया। तुलसीदास जी हनुमान जी को ढूंढते हुए उनके पास पहुंच गए और प्रार्थना करने लगे कि राम के दर्शन करवा दें।हनुमान जी ने कहा कि राम के दर्शन चित्रकूट में होंगे। तुलसीदास जी ने चित्रकूट के रामघाट पर अपना डेरा जमा लिया। एक दिन मार्ग में उन्हें दो सुंदर युवक घोड़े पर बैठे नज़र आए, इन्हें देखकर तुलसीदास जी सुध-बुध खो बैठे। जब युवक इनके सामने से चले गए तब हनुमान जी प्रकट हुए और बताया कि यह राम और लक्ष्मण जी थे।
तुलसीदास जी पछताने लगे कि वह अपने प्रभु को पहचान नहीं पाए। तुलसीदास जी को दुःखी देखकर हनुमान जी ने सांत्वना दिया कि कल सुबह आपको फिर राम लक्ष्मण के दर्शन होंगे। प्रातः काल स्नान ध्यान करने के बाद तुलसी दास जी जब घाट पर लोगों को चंदन लगा रहे थे तभी बालक के रूप में भगवान राम इनके पास आए और कहने लगे कि “बाबा हमें चंदन नहीं दोगे”।
हनुमान जी को लगा कि तुलसीदास जी इस बार भी भूल न कर बैठें इसलिए तोते का रूप धारण कर गाने लगे ‘चित्रकूट के घाट पर, भइ सन्तन की भीर। तुलसीदास चन्दन घिसें, तिलक देत रघुबीर॥’ तुलसीदास जी बालक बने राम को निहारते-निहारते सुध-बुध खो बैठे और भगवान राम ने स्वयं तुलसीदास ही का हाथ पकड़कर तिलक लगा लिया और खुद तुलसीदास जी के माथे पर तिलक लगाकर अन्तर्धान हो गए।
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इंदौर के पास स्थित एक मंदिर है जहां आज भी मंदिर के आस -पास तोतों का झुंड दिखाया देता है, ऐसी मान्यता है की हनुमान भगवन के तोते का रूप धारण करने से ही यह तोते इस मंदिर में प्रचिलित है। तोते का रूपइंदौर के पास स्थित एक मंदिर है जहां आज भी मंदिर के आस -पास तोतों का झुंड दिखाया देता है, ऐसी मान्यता है की हनुमान भगवन के तोते का रूप धारण करने से ही यह तोते इस मंदिर में प्रचिलित है।
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