आखिर कब सुरक्षित होंगी महिलाएं?

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आखिर कब सुरक्षित होंगी महिलाएं?
आखिर कब सुरक्षित होंगी महिलाएं?

देश-प्रदेश की बहु-बेटियां न जाने कब सुरक्षित होंगी? रेप जैसे जघन्य अपराध न जाने कब थमेंगे? आजाद भारत की बात करते है, लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि देश की महिलाओं को कब आजादी मिलेगी? मनचलें अपनी हवस का शिकार मासूम बच्चियों को बनाते है।

जी हाँ, जहां एक तरफ कल पूरा देश जश्न-ए-आजादी मना रहा था, वहीं दूसरी तरफ एक नाबालिग लड़की से उसकी आजादी छिनने का मामला सामने आया है। समाज के कुछ दकियानूसी ख्यालात वालें लोगों का यह कहना होता है कि लड़कियों को घर से बाहर रात को अकेले नहीं निकलना चाहिए, अरे जनाब इस मासूम को तो आपके समाज ने दिनदहाड़े ही नहीं छोड़ा, अब क्या कहेंगे आप? हाँ अब आप कोई बहाना तो बना के ही बैठे होंगे क्योंकि आपके समाज की तो आदत है, लड़कियों को दोष देना। खैर, लड़कियों को कठघरें में खड़ा करना, यह कोई नयी बात नहीं है, लेकिन शर्म आनी चाहिए ऐसे समाज को।

क्या है पूरा मामला?
चंडीगढ़ में स्वाधीनता दिवस के मौके पर एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म का मामला सामने आया है। मासूम लड़की अपने स्कूल से स्वाधीनता दिवस का पर्व मनाकर आ रही था कि रास्तें में मनचलों ने उसे अपने हवस का शिकार बना लिया। पुलिस ने मासूम को अस्पताल में भर्ती कराया है, जहाँ उसकी हालत नाजुक बताई जा रही है। फिलहाल, पुलिस मामलें की जांच में जुटी है। क्या कसूर था मासूम क्या, उस बेचारी को क्या पता था कि स्कूल से लौटते वक्त के उसका शिकार किया जाएगा। क्या स्कूल जाना ही उसकी गलती थी, क्या लड़कियों को घर से बाहर निकलना बंद कर देना चाहिए? सवाल का जबाव तो नहीं ही होगा, तो फिर एक सवाल यह खड़ा होता है कि क्यों नहीं है लड़कियां सुरक्षित है?

देश-प्रदेश की सरकारें महिलाओं को सुरक्षा देने में क्यों नाकाम हो रही है, क्या देश की महिलाएं सरकार पर भरोसा करना छोड़ दें? हर दिन मनचलें एक न एक लड़की को अपना शिकार बनाते है, लेकिन हमारी सरकार क्या करती है, आरोपियों को कुछ सालों की सजा देती है, लेकिन उसके बाद क्या होता है, फिर से कोई लड़की शिकार बन जाती है, और यह सिलसिला चलता रहता है।

इस तरह के मामलों को रोकने और महिलाओं को सुरक्षित करने के लिए एक ऐसे कानून बनाने की आवश्यकता है कि जिससे फिर कोई मनचला किसी भी लड़की को अपना शिकार बनाने की तो दूर की बात है, उसकी तरफ आंख उठाकर भी न देख पाएं।

बहरहाल, देश-प्रदेश की महिलाओं को सुरक्षित रखने की जितनी जिम्मेदारी सरकार की है,, उतनी ही जिम्मेदारी समाज की है। जरूरत है कि लोग अपनी मानसिकता को बदलें। वो कहते है न कि सोच बदलेगी, तभी तो अपराध रूकेगा, तो हमें इसी राह पर चलते हुए यह ध्यान रखना है कि फिर कोई मासूम किसी दरिंदे की शिकार न बने।