जानियें, कहाँ मंडरा रहा है सूखे का खतरा?

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जानियें, कहाँ मंडरा रहा है सूखे का खतरा?
जानियें, कहाँ मंडरा रहा है सूखे का खतरा?

वाह रे कुदरत तेरी लीला की तो बात ही निराली है! अरे चौकियें मत, हम कोई धर्म से जुड़ी हुई खबर से नहीं रूबरू कराने जा रहे है, बल्कि देश की सबसे बड़ी समस्या से रूबरू कराने जा रहे है। जैसाकि हम सभी जानते है कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है, ऐसे में कृषि कार्य सुचारू ढंग से न चल पाना ही, देश की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। बारिश का मौसम है, बारिश होनी चाहिए लेकिन देश के कुछ ऐसे इलाकें है, जहाँ बारिश के इस मौसम में सूखे जैसे हालात है।

जहाँ एक तरफ कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात है, तो दूसरी तरफ सूखा जैसे हालात है। जी हाँ, देश की राजधानी दिल्ली समेत कई ऐसे इलाकें है, जहाँ कुदरत की बेरूखी का मामला सामने आया है। सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि उत्तर पश्चिम भारत के कुछ इलाके क्या इस बार भी सूखे की तरफ बढ़ रहे हैं? मौसम विभाग की मानी जाए तो इसका जवाब हां में है। आपको बता दें कि मौसम विभाग का कहना है कि एक जून से 14 अगस्त तक उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में सामान्य से चार फीसद बारिश ज्यादा हुई है, लेकिन इस आंकड़े की वजह जून में हुई भरपूर वर्षा है। साथ ही, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में हुई बारिश का भी योगदान है। अगर, पश्चिमी यूपी, दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़ और पंजाब की बात की जाए तो यहां बारिश की स्थिति पिछले पांच-छह सालों जैसी ही है।

साथ ही मौसम विभाग का यह भी कहना है कि अब इस बारिश के मौसम में इन मैदानी इलाकों में बहुत ज्यादा बारिश नहीं होगी, जो भी बारिश होनी है वह मध्य भारत में ही होगी। यह क्षेत्र भी अभी सामान्य से आठ फीसद कम बारिश से जूझ रहा है। आपको यह भी बता दें कि मई के महीने में अमेरिकी मौसम कंपनी एक्यूवेदर ने अंदेशा जताया था कि भले ही भारत में इस बार मानसून में सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज हो, लेकिन उत्तर पश्चिम भारत के कुछ इलाकों से लेकर पाकिस्तान तक सूखा फैल सकता है। इस कंपनी ने दक्षिणी भारतीय प्रायद्वीप में भी सूखे की आशंका जताई थी। कंपनी का मौसम अनुमान अगस्त बीतने तक सही प्रतीत होता दिखाई दे रहा है।

बहरहाल, मौसम विभाग की घोषणाओं पर गौर किया जाए तो यह साफ जाहिर होता है कि दिल्ली समेत कई इलाकों में सूखा पड़ सकता है। अगर सूखा पड़ा तो इससे देश की कृषि व्यवस्था पर बुरा असर होगा, जोकि देश हित में कतई नहीं होगा।