जानिये, कहाँ होगा वंदेमातरम गाना अनिवार्य?

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जानिये, कहाँ होगा वंदेमातरम गाना अनिवार्य?
जानिये, कहाँ होगा वंदेमातरम गाना अनिवार्य?

बच्चों में देश-प्रेम की भावना को जाग्रत रखने के लिए देश-प्रदेश की सरकारें अलग-अलग तरकीबें निकाल रही है। देश के प्रति आदर-भाव, देश का सम्मान करना आदि हमारे मौलिक कर्तव्यों में से एक है। देश के बच्चें, देश का भविष्य होते है, ऐसे में बच्चों के अंदर देश प्रेम की भावना को जाग्रत कराना कोई गलत बात नहीं है। एक के बाद एक प्रदेश सरकारें स्कूलों में वंदे-मातरम गाना अनिवार्य कर रही है। जी हाँ, मुंबई के स्कूलों में वंदे-मातरम गाना अनिवार्य किया जाएगा।

आपको बता दें कि तमिलनाडु के बाद अब मुंबई में भी बीएमसी के सभी स्कूलों में ‘वंदे मातरम’ गाना अनिवार्य हो सकता है। बीएमसी ने गुरुवार को वंदे मातरम अनिवार्य करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। बीएमसी के बाद अब इस पर आखिरी फैसला महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लेना है। अगर फडणवीस सरकार की तरफ से भी इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल जाती है, तो बीएमसी के सभी स्कूलों में वंदे मातरम गाना अनिवार्य हो जाएगा। खबर के मुताबिक, मुंबई के मेयर ने कहा कि बीएमसी के स्कूलों में वंदे मातरम को अनिवार्य करने के लिए बीएमसी ने नोटिस पास कर दिया है, अब सरकार द्वारा इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

आपको बता दें कि पिछले दिनों बीजेपी नगरसेवक संदीप पटेल ने इस संदर्भ में बीएमसी के सामने एक प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव में बीएमसी समेत सभी अनुदानित स्कूलों में वंदे मातरम गाना अनिवार्य करने की बात कही गई थी। संदीप ने अपने प्रस्ताव में कहा कि कम से कम सप्ताह में दो दिन स्कूलों में वंदे मातरम गाया जाना चाहिए। संदीप पटेल के इस प्रस्ताव को बीएमसी ने गुरुवार को पास कर दिया। बीएमसी द्वारा प्रस्ताव को पास करने के बाद अब सबकी नजरें महाराष्ट्र सरकार पर टिकी हुई है, जैसाकि हमने पहले ही बता दिया कि इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय सरकार का ही होगा, इसीलिए सबकी निगाहें प्रदेश सरकार पर टिकी हुई है।

मुबंई में वंदे-मातरम अनिवार्य की जाने की बात चल रही है, लेकिन इससे पहले मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु के सभी स्कूलों में सप्ताह में कम से कम दो बार राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम गाना अनिवार्य कर दिया है। मुंबई सरकार द्वारा अगर इस प्रस्ताव को पास कर दिया जाएगा, तो इससे प्रदेश के बच्चों में देश प्रेम की भावना जाग्रत रहेगी। प्रदेश की सरकार इस प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगाने में कितना वक्त लगाती है, यह तो खैर वक्त ही बताएगा।

बहरहाल, बीएमसी का यह फैसला सराहनीय कहा जा सकता है क्योंकि यह फैसला देश-प्रेम को मद्देनजर रखते हुए लिया गया है, लेकिन सवाल यह खड़ा होत है कि क्या तमिलनाडु सरकार के अनुसार यहाँ भी सप्ताह में दो दिन वंदे-मातरम कहना अनिवार्य होगा या फिर मुबंई सरकार इसके लिए कुछ अलग नियम बनाएगी।