महाभारत में अर्जुन के रथ पर कौन कौन से देवता थे ?

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अर्जुन
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महाभारत का भारतीय इतिहास में विशेष महत्व है. महाभारत की कहानी घऱ घर में देखी जाती है. इसका युद्ध कुरूक्षेत्र में हुआ था. जिसमें एक तरफ कौरवों की सेना थी तथा एक तरफ पांडवों की सेना था. कौरवों की सेना धृतराष्ट्र पुत्र दुर्योधन के लिए तथा पांडवों की सेना पांडु पुत्र युधिष्टर के नेतृत्व में लड़ रही थी. जिसमें पांडु पुत्रो की जीत हुई तथा कौरवों की हार हुई.

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अर्जुन

महाभारत के युद्ध में दानवीर कर्ण तथा पांडु पुत्र अर्जुन के बीच एक घमासान युद्ध हुआ था. जिसमें दानवीर कर्ण वीरगति को प्राप्त हुए. ऐसा माना जाता है कि अर्जुन और कर्ण में दानवीर कर्ण बहुत ज्यादा ताकतवर थे. ऐसा बताया जाता है कि जब अर्जुन तीर चलाते थे, तो कर्ण का रथ 7 कदम पीछे जाता था. जब दानवीर कर्ण तीर चलाते थे, तो अर्जुन का रथ 2 कदम पीछे जाता था.

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अर्जुन

लेकिन फिर भी कर्ण को बड़ा यौद्धा माना जाता है. उसका कारण यह बताया जाता है कि अर्जुन के रथ पर एक श्रीकृष्ण भगवान स्वयं विराजमान थे तथा इसके साथ ही हनुमान जी भी अर्जुन के रथ पर विराजमान थे. दो साक्षात् देवताओं के रथ पर होने के बाद भी रथ 2 कदम पीछे जाता था.

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अर्जुन के रथ पर हनुमान और श्रीकृष्ण भगवान दोनो विराजमान थे. दानवीर कर्ण भी पांडुओं का बड़ा भाई माना जाता है. कर्ण भी कुंति का पुत्र था, लेकिन शादी से पहले भगवान सूर्य से कुंति को कर्ण की प्राप्ति हुई जिसके कारण कुंति ने मर्यादा के लिए कर्ण को पानी में बहा दिया. युद्ध से पहले ही कर्ण को पता चल गया था कि वह पांडुओं का बड़ा भाई है. लेकिन फिर भी उसने दुर्योधन की तरफ से युद्ध किया. इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि कर्ण और दुर्योधन में गहरी मित्रता थी.