गणेश जी का ऐसा कौन- सा मंदिर है जहां 128 वर्षों से दीपक प्रजव्लित है।

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भारत विश्वभर में अपने खूबसूरत और रहस्य से पूर्ण मंदिरों के लिए काफी प्रचलित है। इन मंदिरो से जोड़ी रहस्यमय कथा को सुनकर कोई भी हैरान रह जाएगा। आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारें में बताना जा रहे है जो अपने भीतर कई रहस्य समेटा हुआ है। एक ऐसा ही मंदिर गणेश भगवन को समर्पित है जहां 128 वर्षों से दिया जल रहा है। यह विख्यात मंदिर महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के कोल्हापुर क्षेत्र में एक सुन्दर पर्वतीय गांव महड में स्थित है। पूर्व मुखी अष्टविनायक मंदिर पूरे महाराष्ट्र में काफी प्रसिद्ध है। यहां गणपति के साथ उनकी पत्निया रिद्धि और सिद्धि की मूर्तियां भी स्थापित हैं। इस मंदिर से जुड़ी एक बात आपको हैरान कर सकती है की साल 1892 से लगातार श्री गणेश की असीम -कृपा प्राप्त करने के लिए एक दीप अभी तक प्रजव्लित है।

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ऐसी मान्यता है की सतयुग में देवराज इंद्र के वरदान से जन्मे कुत्समद ने पुष्पक वन में घोर तपस्या की। गजानन उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और कुत्समद से वर मांगने को कहा। कुत्समद ने कहा,“हे भगवान मुझे ब्रह्मा ज्ञान की प्राप्ति हो और देवता और मनुष्य दोनों ही मेरी पूजा -अर्चना करे।

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इसके अलावा कुत्समद ने यह वर भी मांगा कि पुष्पक वन बहुत सिद्ध हो और भक्तों के लिए सिद्धदायक साबित हो। भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने के लिए आप यही पर वास करें। गजानन ने वरदान दिया कि वर्तमान युग सतयुग होने के कारण इस युग में इस क्षेत्र को पुष्पक के तौर पर जाना जाएगा और वही त्रेता युग में इसे मनीपुर के तौर पर विख्यात होगा। द्वापर युग में वनन और कलयुग में भद्रक कहा जाएगा। इस प्रकार गजानन से वर प्राप्ति होने के बाद ऋषि कुत्समद ने एक उत्तम देवालय का निर्माण किया और गणेश मूर्ति का नाम वरदविनायक रखा और तभी यह मन्दिर अपनी चमत्कारी शक्तियों के लिए देशभर में प्रचलित है।

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